एनसीसी तिराहे पर स्थित बच्चों के अस्पताल में मरीज के परिजनों व स्टाफ में झड़प,डॉक्टर ने किया बच्ची को रेफर
मधुसूदन सिंह
बलिया ।। एनसीसी तिराहा स्थित सत्या हॉस्पिटल में भर्ती बच्ची के परिजनों व अस्पताल के स्टाफ में जमकर झड़प हुई और नौबत हाथापाई तक पहुंच गई । अन्य मरीजों के परिजनों ने बीच बचाव किया तब जाकर मामला मारपीट में बदलने से रुक गया । लेकिन दोनों पक्षो द्वारा एक दूसरे को देख लेने की धमकी सरेआम दी गई । मरीज की माता का कहना है कि अगर सच्चाई जाननी है तो अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज निकाल कर चेक कर लिया जाय । फुटेज में साफ स्टाफ द्वारा स्टूल उठाकर मेरे भाई को मारने का प्रयास किया गया है और उस स्टाफ के समर्थन में और स्टाफ भी धमकाते हुए दिख जाएंगे ।
बच्ची की माँ का आरोप है कि मेरी बच्ची को 102 डिग्री बुखार के साथ उल्टी दस्त हो रही थी । मै सत्या हॉस्पिटल में आकर डॉ अजित सिंह को दिखायी, तो बच्ची की हालत सीरियस बताते हुए डॉक्टर साहब ने बच्ची को भर्ती कर लिया और इसका इलाज शुरू हो गया । जब 2 घण्टे गुजर जाने के बाद भी बच्ची का रोना बन्द नही हुआ तो मैंने वहां मौजूद स्टाफ से डॉक्टर साहब को बुलाने की बात की तो उसने कहा कि डॉक्टर साहब खाना खाने गये है,वो अपने समय से ही आएंगे । तब मैंने कहा कि जब बच्ची मर जाएगी तब आएंगे तो स्टाफ बोला - आपकी बच्ची मर तो नही गयी है । इस पर मेरे भाई ने कहा कि (अपशब्द )...जैसे बातें क्यो कर रहे हो, इतने पर वह स्टूल उठाकर मेरे भाई को मारने पड़ा । आसपास के लोगो ने उसे पकड़ लिया । इसके बाद उसके समर्थन में अन्य स्टाफ भी आकर धमकी देने लगे । घटना के बाद डॉक्टर साहब आये और बिना देखे ही मेरी बच्ची को रेफर कर के डिस्चार्ज कर दिये ।
वही चिकित्सक डॉ अजित सिंह का कहना है कि मरीज के परिजनों द्वारा हमारे स्टाफ के साथ बदसलूकी की गई है और धमकी दी जा रही है कि मेरी बच्ची को कुछ हो गया तो अस्पताल को कही का नही छोडूंगी । कहा कि हम इलाज करने के लिये यहां बैठे है । ऐसे परिजनों की धमकी के बाद सीरियस मरीज का इलाज करना संभव नही है, इस लिये मैंने जिला अस्पताल के लिये रेफर कर दिया है ।
वारदात सीसीटीवी फुटेज में कैद
मरीज के परिजनों के बयान और सबके सामने कुछ स्टाफ द्वारा भी जिस उदंडता के साथ बात की जा रही थी, वह दर्शाता है कि अस्पताल का स्टाफ भी दूध का धुला नही है । हां, इसमें डॉक्टर की कोई कमी नही दिख रही है । यह सारा माजरा तब हुआ है जब डॉक्टर खाना खाने साढ़े चार बजे घर गये है । लेकिन डॉ अजित सिंह को भी अपनी सीसीटीवी फुटेज को निकाल कर देखना जरूर चाहिये क्योंकि सौभाग्य है कि आज केवल गर्मा गरम बहस से ही समापन हो गया । अगर किसी दबंग के परिजनों के साथ यह घटना हुई होती तो आज दूसरी खबर भी बन गयी होती । अस्पताल के स्टॉफ को सोचना चाहिये कि डॉक्टर साहब अस्पतालचला रहे है कोई रंगदारी वसूली का सेंटर नही । अस्पताल में मरीजों के परिजन इस सोच में बार बार देखने के लिये कहते है,तो इसका मतलब यह नही है कि झगड़ा ही करने पर उतारू हो जाय । डॉक्टर साहब को भी आज की घटना के बाद अपने स्टॉफ की एक बार काउंसलिंग जरूर करनी चाहिये कि कैसे मरीजों के व्यग्र परिजनों को समझा कर शांत किया जा सके ।