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होली में बच्चों का रखें "खास" ख्याल : डॉ सिद्धार्थ



बलिया ।। रंगों का त्योहार होली आ गया है। यह बच्चों को काफी पसंद होता है क्योंकि उन्हें रंगों से खेलने और मस्ती करने का अच्छा अवसर मिल जाता है। अभिभावक उन्हें रंगों से खेलने दे पर सेहत का कुछ खास ख्याल रखना जरूरी है। कई बार रसायन वाले रंग आंखों में जाने से नुकसान उठाना पड़ता है,इसलिए बाद में इलाज कराने से बेहतर है कि हम पूर्व में ही सावधानी बरतें।उक्त बातें जिला महिला अस्पताल स्थित प्रश्नोत्तर केंद्र पर कार्यरत वरिष्ठ नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सिद्धार्थ मणि दुबे ने दी।





      डॉक्टर दुबे ने बताया कि होली खेलने से पहले बच्चों के पूरे शरीर पर तैलीय पदार्थ या मॉइश्चराइजर लगा दे ताकि रासायनिक रंगों का असर शरीर की त्वचा पर कम से कम हो सके। बच्चों के बालों में नारियल का तेल लगा दे जिससे रंगों में पड़े रसायनों का असर ना हो सके।यह प्रयास हो कि बच्चे होली खेलने के लिए प्राकृतिक रंगों का ही इस्तेमाल करें। बहुत अधिक गहरे रंगों का इस्तेमाल ना करें क्योंकि इनमें रसायन होने की आशंका अधिक होती है जिससे त्वचा में एलर्जी एग्जिमा और बालों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। 

अभिभावक यह भी सुनिश्चित करें कि सभी बच्चे उनकी देखरेख में एक नियत स्थान पर ही होली खेलें। यह भी ध्यान रखें कि होली का रंग मुंह, नाक और आंख में ना जाए। ऐसा होने पर बच्चों को सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन,आंख का लाल होना और पानी गिरना, कान से ना सुनाई देना आदि कोई भी दिक्कत हो तो तुरंत चिकित्सक की सलाह लें। आंखों की सुरक्षा के लिए बच्चों को गॉगल्स पहनाया जा सकता है। होली खेलने के लिए पानी वालों को गुब्बारों का इस्तेमाल ना करें क्योंकि इससे कानों में पानी जाने का संभावना बढ़ जाती है।

   होली खेलने के बाद रंगों को हटाने के लिए ठंडे पानी का उपयोग करें एवं त्वचा पर हानिकारक केमिकल (डिटर्जेंट) या मिट्टी का तेल आदि का इस्तेमाल ना करें। इससे ब्लिस्टर,  एलर्जिक रिएक्शन (स्किन रैश) हो सकते हैं।  होली का रंग फीका ना हो इसलिए यह प्रयास रहे कि बच्चे अभिभावकों की देखरेख में प्राकृतिक रंगों का ही इस्तेमाल करें और पूरी सावधानी के साथ होली खेलें।