तथाकथित डॉक्टर के इलाज में गयी प्रसूता की जान,प्राइवेट अस्पताल के कथित डॉक्टर समेत सभी स्टाफ ताला बंद करके फरार
संतोष कुमार शर्मा
सिकंदरपुर, बलिया ।। बेल्थरा मार्ग पर स्थित एक प्राईवेट हॉस्पिटल में ऑपरेशन के दौरान इंजेक्शन लगाने से जच्चा-बच्चा की हुई मौत। परिजनों ने किया जमकर बवाल। सूचना पर पहुंची पुलिस परिजनों के तहरीर पर शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। खेजुरी थाना क्षेत्र के कासमापुर गांव निवासी चंदन गुप्ता अपनी 30 वर्षीय प्रसूता पत्नी खुशबू को लेकर शुक्रवार को प्राईवेट हॉस्पिटल में आए हुए थे। जांच पड़ताल के दौरान डॉक्टर ने उन्हें सिजेरियन कराने की सलाह दी। जिस पर चंदन के द्वारा यह कहा गया कि यदि आपके पास आपरेशन की सुविधा हो तो सिजेरियन करें।
इस दौरान डॉ के द्वारा सभी जांच पड़ताल करने के बाद खुशबू को इंजेक्शन लगाया गया, जिसके बाद खुशबू की हालत खराब होने लगी। तत्काल डॉक्टर के द्वारा ऑपरेशन को रोककर अन्यंत्र ले जाने की सलाह दी। जिससे परिजनों को कुछ अचरज हुआ। तभी डॉक्टर द्वारा खुद ही प्राइवेट साधन बुलाकर अन्य हॉस्पिटल के लिए रेफर कर दिया गया। वही जब परिजनों के द्वारा डॉक्टर से पूरी पर्ची मांगी गई तो डॉक्टर के किसी कर्मचारी द्वारा पर्ची को फाड़ दिया गया तथा कोई पुरानी पर्ची थमा दिया गया। हालत खराब होता देख चंदन तत्काल प्रसूता को लेकर पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गए ,जहां पर डॉक्टर ने जांच के बाद स्थिति गंभीर होना बताया।
जिससे परिजन तत्काल मरीज को लेकर मऊ को रवाना हो गए, पर रास्ते में ही मरीज ने दम तोड़ दिया। जिससे परिजनों में कोहराम मच गया। तत्काल परिजन मृतका के शव को ले आकर सड़क को जाम कर दिए। वहीं मालदा चौकी इंचार्ज देवेंद्र नाथ दूबे तत्काल मौके पर पहुंचकर समझा-बुझाकर जाम को हटवाया। इस दौरान प्रभारी निरीक्षक सिकंदरपुर राजेश यादव भी मौके पर पहुंच गए तथा समझाने बुझाने के बाद परिजनों की तहरीर पर शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। डाक्टर सहित सभी कर्मचारी अस्पताल गेट में ताला बंद कर फरार हो गए।
बलिया में सीएमओ कार्यालय की मेहरबानी से पूरे जनपद में बिना पंजीकरण और डॉक्टरों के झोलाछाप डॉक्टरों के सहारे सैकड़ो की संख्या में अस्पताल संचालित है लेकिन स्वास्थ्य विभाग कोई कार्यवाही ही नही करता है । यह अवैध अस्पताल हो,या अल्ट्रासाउंड सेंटर हो,पैथालॉजी हो, सीएमओ कार्यालय, जिला महिला अस्पताल हो, जिला अस्पताल हो, के आसपास ही कई दर्जन संचालित हो रहे है जो दीपक तले अंधेरा की कहावत को चरितार्थ कर रही है । जब सीएमओ अपने कार्यालय के आसपास ही फर्जीवाड़े को नही रोक सकते है तो ग्रामीण अंचलों में कौन रोकेगा ।