जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की धूम
बलिया। जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन स्थित सभागार में मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय परिवार की ओर से माननीय कुलपति प्रो. कल्पलता पाण्डेय जी की अध्यक्षता में किया गया। जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर कल्पलता पांडेय ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में संस्कार के संदर्भ में बताया कि यदि रोटी ना हो तो मानव मरता है ,यदि संस्कार न हो तो मानवता मर जाती है । एतदार्थ हमें संस्कारी होना चाहिए और स्त्री एवं पुरुष में कोई भेद नहीं है, दोनों ही जीवन रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं ,एतदार्थ जीवन में संतुलन होना ही चाहिए। हमें अपने नकारात्मक सोच को बदलना पड़ेगा।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में महिला जिला अस्पताल से मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका डॉ सुमिता सिन्हा जी सम्मिलित हुई। डॉ. सिन्हा ने विविध महिला कार्यक्रमों, पोषण कार्यक्रम, महिला हेतु संतुलित आहार की आवश्यकता इत्यादि पर सभी प्रतिभागियों के समक्ष अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के छात्रों ने अपनी सक्रिय सहभागिता दर्ज़ की तथा समाज कार्य, हिन्दी तथा गृह-विज्ञान विभाग के छात्रों यथा अंबरीश ओझा, संयोगिता, अदित्रि, विवेक, अर्पिता आदि ने भाषण के माध्यम से अश्वनी श्रीवास्तव, प्रीति सिंह, प्रज्ज्वल, शालू, रंजू आदि छात्रों ने काव्यपाठ व सचिन, आदित्य, शालू, गुड़िया आदि ने गायन के माध्यम से महिला सशक्तीकरण व उत्थान के प्रति अपने विचार साझा किए।
साथ ही गुलाब देवी महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ नीरजा सिंह जी ने बच्चों द्वारा प्रस्तुत किए गए।उन्होंने कहा कि वेदनाएं केवल स्त्रियों के हिस्से ही क्यों आयी हैं। हम अर्द्धनारीश्वर के रूप को पूजते है लेकिन फ़िर भी असमानता है समाज में । छात्राओं को महाविद्यालय व विश्वविद्यालय में आने जाने के दौरान आने वाली दिक्कतों यथा छेड़छाड़ आदि को भी सभी के समक्ष साझा किया, और इस सन्दर्भ में उचित कदम उठाने की बात भी की।
विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर प्रतिभा पांडेय ने छात्रों को उद्बोधन देते हुए कहा कि अतीत मे क्या हुआ उससे हमे क्या लेना-देना ,हमें वर्तमान में क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है इस पर ध्यान देना है। भारत के संविधान में बहुत से अधिकार प्राप्त है महिलाओ को लेकिन जरूरी है कि स्वयं महिला जागरूक हो, इसमे पुरुषों की भी बराबर की भागीदारी होनी चाहिए। महिलाओं की सुरक्षा प्राथमिकता में होनी चाहिए।
कार्यक्रम में उपस्थित महिला चिकित्सालय में मुख्य चिकित्सा अधीक्षका व मुख्य अतिथि डॉ. सुमिता सिन्हा ने महिलाओ हेतु स्वास्थ्य की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने गर्भावस्था से लेकर परिपक्व अवस्था तक स्वास्थ्य दशाओं, अधिकारों, अधिनियमों, कार्यक्रमों इत्यादि से संबंधित जानकारियों को सभी प्रतिभागियों के समक्ष साझा किया। कन्या भ्रूण हत्या रोकने हेतु विशिष्ट अधिनियमों यथा पीसीपीएनडीटी अधिनियम पर भी विस्तार से जानकारी साझा की।
डॉ सिन्हा ने अपने चिकित्सालय में प्रदान की जा रही है। विविध अर्श काउंसलिंग सेंटर के अंतर्गत विभिन्न मानसिक परेशानियों के समाधान हेतु सुविधा प्रदान करने का वादा किया तथा विविध स्वास्थ्य शिविरों में अपना सहयोग प्रदान करने का आश्वासन भी दिया जो आज के कार्यक्रम की बहुत बड़ी उपलब्धि भी रही।
कार्यक्रम के अंत में अध्यक्षीय संबोधन देते हुए कार्यक्रम की संरक्षक माननीय कुलपति प्रोफेसर कल्पलता पांडे जी ने सभी छात्रों का उत्साहवर्धन करते हुए उन्हें विषम परिस्थितियों में भी अपनी आशा को बरकरार रखने को कहा.
कार्यक्रम में प्राध्यापकों डॉ. शकुंतला श्रीवास्तव, डॉ खुशबू दुबे, नीरज पांडे, डॉ सुरारी पांडे जी ने भी कार्यक्रम के दौरान अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम के दौरान वंदना यादव, डॉ अपराजिता, डॉ शैलेन्द्र, अतुल कुमार, डॉ अमित सिंह, नलिनी, डॉ राघवेन्द्र, रंजीत सिंह, श्री विनय कुमार, नीति कुशवाहा, मिथिलेश सिंह, डॉ तृप्ति सिंह, ऋतम्भरा, आदि उपस्थित रहे।