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सीएम योगी की सरकार को अपने कृत्यों से बार बार परेशानी में डालते है डीएम बलिया इंद्र विक्रम सिंह,नही है डीएम लायक आचरण



बलिया ।। ऐसा नही है कि जिलाधिकारी बलिया इंद्र विक्रम सिंह ने पहली बार आपे से बाहर आकर कोई कृत्य किया हो । पहले शामली ,फिर शाहजहांपुर के जिलाधिकारी के रूप में रहते हुए भी इन्होंने वो कारनामे किये है जो आंदोलन का कारण बने । एक जिलाधिकारी के रूप में इनका आचरण न तो महिलाओ के प्रति संयमित रहा है, न तो आमजन , न ही सरकारी कर्मचारियों के प्रति और न ही पत्रकारों के प्रति ही मर्यादित रहा है । बलिया में तो चैनलों के वरिष्ठ पत्रकारों द्वारा पर्चा लीक प्रकरण के बाद जब कहा गया कि आप बयान नही देंगे तो हमारी नौकरी कैसे होगी, तो डीएम इंद्र विक्रम सिंह ने कुटिल मुस्कान के साथ कहा कि मैं आपको नौकरी करने दूंगा,तब न करेंगे । यह स्पष्ट रूप से पत्रकारों को चेतावनी थी कि मैं पत्रकारों को पत्रकारिता करने ही नही दूंगा,जो दर्शाता है कि एक जिलाधिकारी के रूप में ये कितने तानाशाह हो गये है ।

6 जनवरी 2022 को जिलाधिकारी के रूप में कार्यभार ग्रहण किये और 10 जनवरी को बलिया के जेल अधीक्षक को भरी मीटिंग में अपमानित करते हुए बोले कि 20 दिनों में बलिया जेल में कैदी वापस आ जाने चाहिये लेकिन आजतक ऐसा नही हो पाया है । जब जिलाधिकारी भरी सभा मे एक जेल अधीक्षक को बेइज्जत कर सकते है, तो यह सोचा जा सकता है कि दूसरे के साथ इनका व्यवहार कितना शालीन रहता होगा । अपने कार्यभार ग्रहण करने के बाद 30 जनवरी को 14 आवास के आवंटियों का आवास इस आधार पर निरस्त कर देते है कि उनकी तैनाती मुख्यालय से दूर है । आवंटन रद्द करने के बाद उनको एक दिन की भी मोहल्लत नही देते है और नगर मजिस्ट्रेट पुलिस के बल पर नगर पालिका के कर्मचारियों के द्वारा कर्मचारियों के घरों से सामान जबरिया निकाल कर सड़क पर फेंकवा देते है । कर्मचारियों के हजारो रुपये के कीमती सामान गायब हो जाते है, मशीनी उपकरण टूट जाते है लेकिन कोई बोलने की हिम्मत नही करता है जबकि अचार संहिता लगी हुई थी और कर्मचारियों द्वारा कोरोना वैक्सीनेशन के साथ साथ चुनावी ड्यूटी का भी कार्य किया जा रहा था । 4 कर्मचारियों के घरों में तो ताले लगे थे और वो लोग ड्यूटी में गये हुए थे, बावजूद इनके आवासों के तालों को तोड़कर सामान बाहर फेंककर नगर मजिस्ट्रेट चलते बने थे ।

जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह के कुछ पिछले चर्चित प्रकरण


शाहजहांपुरएक वर्ष पहले

                 शाहजहांपुर के डीएम इंद्र विक्रम सिंह
  • सोमवार को अस्पताल पहुंचे थे जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह तभी एंबुलेंस से टकराई थी उनकी गाड़ी
  • सोशल मीडिया पर बुधवार को सामने आया वीडियो, पक्ष जानने के लिए फोन किया गया तो अर्दली ने उठाया



कहते हैं कि हमारे आचरण ही हमारी व्यक्तित्व की पहचान होते हैं। ऐसे में जब आप किसी दल, समाज या सरकारी मशीनरी का नेतृत्व कर रहे हों तो और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। लेकिन कुछ लोग कुर्सी के मद में सबकुछ भूल जाते हैं। ऐसा ही एक प्रकरण उत्तर प्रदेश में शाहजहांपुर जिले से आया है। यहां जिला अस्पताल में DM (जिलाधिकारी) की गाड़ी एक एंबुलेंस से टकरा गई। इस पर DM इंद्र विक्रम सिंह इस कदर नाराज हुए कि उन्होंने एंबुलेंस ड्राइवर को खुलेआम जान से मारने की धमकी देने लगे। उन्होंने कहा कि इसी ड्राइवर को टायर के नीचे रख दो, चढ़ जाए इसके ऊपर ठीक हो जाए। इस घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है।



DM की गाड़ी से छू गई थी एंबुलेंस

जानकारी के मुताबिक सोमवार की रात जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह जिला अस्पताल पहुंचे थे। उनकी गाड़ी साइड में खड़ी थी। तभी एक 108 नंबर एंबुलेंस अस्पताल में आई और DM की गाड़ी से टच हो गई। जिसके बाद DM आगबबूला हो गए। DM ने बुलंद आवाज से सभी के सामने फरमान सुनाया कि, इसी ड्राइवर को टायर के नीचे रख दो, चढ़ जाए इसके ऊपर ठीक हो जाएगा।

दो बच्चे पैदा करके मन नही भरा कि कर रही चौथा पैदा

यही  नही डीएम साहब ने अस्पताल में बेड न मिलने की शिकायत करने वाली गर्भवती महिला को अपनी बातों से इस कदर हर्ट किया कि वह महिला सदमे में चली गयी और अगले दिन एक बच्चे को जन्म देकर स्वर्गवासी हो गयी । डीएम साहब ने उस महिला से सार्वजनिक रूप से कह दिया था कि 2 बच्चो से मन नही भरा कि चौथा पैदा कर रही हो ।





विवादों में रहते हैं DM इंद्र विक्रम

इससे पहले भी DM पर अपने मातहतों को अपशब्द बोलने के आरोप लग चुके हैं। कुछ दिन पहले मेडिकल स्टाफ की मीटिंग में डाक्टरों को गैंडा, गधा, घोड़ा जैसे अपशब्द कहने के आरोप DM पर लगे थे। वे खुद फोन भी किसी का नहीं उठाते हैं। इसकी तस्दीक उस वक्त हुई जब DM का खबर से संबंधित पक्ष जानने के लिए फोन किया गया गया। उनके अर्दली ने फोन उठाकर साहब को बता देंगे की बात कहकर फोन रख दिया।



 |  | Updated: Nov 14, 2018, 9:39 AM

2009 बैच के आईएएस अधिकारी और शामली के डीएम को चुनाव आयोग ने हटा दिया है। आईएएस इंद्र विक्रम सिंह कैराना लोकसभा उपचुनाव में गड़बड़ी करने के दोषी पाए गए हैं। चुनाव आयोग ने उन्हें एक साल तक चुनावी कार्य से डिबार कर दिया है।

लखनऊ ।। चुनाव आयोग ने मंगलवार को शामली के डीएम इंद्र विक्रम सिंह को हटाते हुए सख्त निर्देश जारी किए हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि इंद्र विक्रम सिंह को अगले एक साल तक किसी भी चुनावी कार्य में न लगाया जाए। दरअसल इस साल मई में कैराना लोकसभा उपचुनाव के दौरान इंद्र विक्रम सिंह की तरफ से लापरवाही हुई थी जिसके बाद चुनाव आयोग ने यह सख्त कदम उठाया है।
इंद्र विक्रम सिंह (फाइल फोटो)
इंद्र विक्रम सिंह (फाइल फोटो)

कैराना लोकसभा सीट 2014 में बीजेपी के हुकुम सिंह ने जीती थी। उनके निधन के बाद 28 मई को कैराना में उपचुनाव हुआ था, जिसमें बीजेपी के खिलाफ संयुक्त विपक्ष ने चुनाव लड़ा था। 31 मई को घोषित नतीजे में विपक्ष की संयुक्त प्रत्याशी के तौर पर राष्ट्रीय लोक दल की तबस्सुम हसन ने बीजेपी की मृंगाका सिंह को 44618 वोटों से हरा दिया था।

तबस्सुम के जीतने के बाद भी डीएम ने आठ घंटे तक रिजल्ट रोके रखा। काफी विवाद के बाद फिर से काउंटिंग की गई और तबस्सुम की जीत घोषित की गई। सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग की जांच में करीब 3000 वोटों की गणना में गड़बड़ी मिली है। टेबुलेशन के लिए इस्तेमाल होने वाले फार्म 21-ई में हर राउंड के वोटों की प्रत्याशीवार एंट्री की जाती है। इसमें भी गलतियां सामने आई हैं। रिटर्निंग अफसर के तौर पर इसकी सीधी जिम्मेदारी डीएम की थी। चुनाव आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस उपचुनाव में जीत का अंतर काफी अधिक होने के चलते नतीजे पर भले ही कोई असर नहीं पड़ा लेकिन नजदीकी मुकाबले में यह गड़बड़ी अप्रत्याशित हालात पैदा कर सकती थी।
चुनाव आयोग ने कहा कि शामली डीएम को तत्काल उनके पद से हटाया जाए जिसके बाद उन्हें प्रतीक्षारत कर दिया गया है। सरकार की तरफ से जारी किए गए आदेश में विशेष सचिव धनंजय शुक्ला ने लिखा है कि प्रदेश सरकार ने आपको डीएम के पद से मुक्त करने का फैसला लिया है। आपको प्रतीक्षारत किया जाता है।

कैराना लोकसभा सीट के उपचुनाव की मतगणना के गणित में शामली के डीएम इंद्र विक्रम सिंह शुरू से ही मात खा रहे थे। इस सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटों में दो सहारनपुर और तीन शामली जिले में हैं। सहारनपुर की दोनों सीटों की मतगणना का योग तो शुरू से एक ही रहा, लेकिन शामली की तीनों सीटों के वोटों का योग दो बार आयोग को भेजा गया, जो दोनों बार अलग था। तभी चुनाव आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए नाराजगी जताई थी। 
 
कैराना लोकसभा क्षेत्र में शामली जनपद के कैराना, थानाभवन और शामली विधानसभा क्षेत्र हैं, जबकि सहारनपुर के नकुड़ और गंगोह विधानसभा क्षेत्र हैं। 31 मई को चुनाव आयोग को भेजी गई मतगणना नतीजों की तालिका में पांचों विधानसभा क्षेत्रों में सभी प्रत्याशियों को 938742 मत मिलना दर्शाया गया था। अगले दिन आयोग को यह संख्या 915050 भेजी गई। खास बात यह थी कि सहारनपुर की नकुड़ सीट पर सभी प्रत्याशियों को 205426 मत और गंगोह में 209366 मत प्राप्त होने की संख्या दोनों रिपोर्ट में एक ही थी। शामली की कैराना, थानाभवन और शामली विधानसभा क्षेत्रों की मतगणना के आंकड़े में बड़ा अंतर था।

दो दिन तक चला था मंथन  
31 मई को कैराना लोकसभा सीट के उपचुनाव के नतीजों की शाम तक चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेज दी गई थी। आयोग को भेजे गए आंकड़ों में गलती का अगले दिन पता चला तो इन्हें ठीक करने के लिए दो दिन तक मंथन चला। इसके बाद मतगणना के आंकड़ों को निर्धारित प्रारूप में आयोग को भिजवाया जा सका था। सभी प्रत्याशियों को मिले कुल मतों में 23692 वोट दूसरी तालिका में कम किए गए थे। 

पहला आंकड़ा         संशोधित आंकड़ा  
नकुड़ : 205426     205426  
गंगोह : 209366      209366  
कैराना : 184225     176393  
थानाभवन : 173460    165819  
शामली : 166008     157690  
डाक मतपत्र : 257     356  
योग :     938742     915050