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काश आज बलिया में चंद्रशेखर जी होते ?



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। 8 जुलाई 2007 बलिया के लिये वह काली रात बन कर आया जिसका अबतक सवेरा नही हुआ है । जीहां, यह एकदम सच है । इसी दिन हम सब के नेता चंद्रशेखर जी हमको छोड़कर दूसरी दुनिया की यात्रा पर चले गये थे । इनके जाने के बाद बलिया में राजीनीतिक स्पष्टता,बेबाकी और जनता के दुःख दर्द को सड़क से सदन तक उठाते थे,समस्याओं का समाधान कराते थे, ऐसा करने वाला कोई नही दिख रहा है । बलिया में 30 मार्च से ही गलत तरीके से 3 पत्रकारों की गिरफ्तारी के बाद से जनपद ही नही पूरे प्रदेश के पत्रकार समुदाय में आक्रोश है और लगातार धरना प्रदर्शन चल रहा है । लेकिन दुर्भाग्य है कि बलिया में राज्य सरकार में मंत्री,4 सांसद समेत 6 लोग सत्ता पक्ष के प्रभावशाली लोग है लेकिन इनमें से एक भी ऐसा नेता सामने नही आता है जो यह कहे कि पत्रकार साथियो आपकी उचित बातों को बाबा योगी जी महाराज तक पहुंचा कर न्याय दिलाने का प्रयास करूंगा ।

यही अंतर चंद्रशेखर जी और इन नेताओं में दिखता है । बलिया में कुछ भी होता था तो चंद्रशेखर जी तुरंत सक्रिय होकर उस घटना का संज्ञान लेकर समाधान कराते थे,जो गुण आजकल के किसी नेता में नही दिख रहा है । 12 दिनों से यह आंदोलन चल रहा है लेकिन हमारे जनप्रतिनिधियों ने इतनी भी कोशिश नही की कि समस्या के समाधान के लिये जिले स्तर पर ही वार्ता का क्रम शुरू कराये । वही चंद्रशेखर जी से सम्बंधित एक किस्सा बता कर अपने राजनेताओ के बागीपन को जगाना चाहता हूं जो कही दब गया है ।

एक बार 1942 की क्रांति के अग्रदूत,अंग्रेजो से चित्तू पांडेय की अगुवाई में बलिया को आजाद कराकर पहले एसपी बने महान सेनानी पंडित महानन्द मिश्र की बेवा राधिका मिश्र अपने घर के पास ही धरने पर बैठ गयी । एक घण्टे के अंदर यह खबर दिल्ली में बैठे चंद्रशेखर जी के पास पहुंच गयी । तत्काल चंद्रशेखर जी से राधिका मिश्र की टेलीफोन से बात करायी गयी । चंद्रशेखर जी ने पूंछा ,आप क्या चाहती है, तो राधिका मिश्र ने कहा कि मेरे घर वाली सड़क बन जाय । चंद्रशेखर जी ने कहा कि अनशन तोड़िये आपकी सड़क आज ही बनने लगेगी । भाइयों, और मात्र3 घण्टे के अंदर सड़क बनने लगी । यह होता है नेता का जनता के प्रति कर्तव्य व वफादारी जो आज नही दिख रही है ।




पेपर लीक मामला बलिया जिला प्रशासन की सबसे बड़ी व्यवस्था की विफलता है । प्रदेश सरकार के मुखिया योगी जी महाराज इसकी मोनिटरिंग कर रहे है,इस कारण कोई सत्य बात भी बोलने को तैयार नही है । सीएम योगी ने कभी यह नही कहा है कि निर्दोषों को भी फंसा कर उनका जीवन प्रशासन बर्बाद कर दे । सीएम योगी ने हमेशा दोषियों पर कार्यवाही की बात कही है । बलिया का जिला प्रशासन पहले ही चरण में अधिकतर बेगुनाहों को जेल भेज दिया है । अब इस प्रशासन से न्याय मिलने की थोड़ी भी उम्मीद नही है । यही हाल स्थानीय नेताओं से भी है ।

अब पत्रकारों को अगर कोई न्याय दिला सकता है तो वो है सीएम योगी जी महाराज । लेकिन चाहे बलिया के हो या शासन में बैठे उच्च पदस्थ प्रशासनिक अधिकारी हो,योगी जी महाराज से पत्रकारों के पीड़ितों,आंदोलनरत बलिया के पत्रकारों के प्रतिनिधि मंडल को मिलाने में ही दिलचस्पी नही ले रहे है क्योंकि इन लोगो के मिलने के बाद सीएम के सामने अधिकारियों द्वारा की गई ज्यादतियां खुल कर सामने आ जायेगी । होना यह चाहिये था कि लखनऊ से प्रशासनिक अधिकारियों की एक टीम आकर आंदोलनरत पत्रकारों से वार्ता करती लेकिन ऐसा बलिया के तानाशाह जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की वजह से नही हो पा रहा है ।

सोमवार से क्रमिक अनशन शुरू हो रहा है जो कुछ दिनों के अंदर स्थानीय डीएम एसपी पर कार्यवाही न होने और गिरफ्तार पत्रकारों की बाइज्जत रिहाई न होने पर भूख हड़ताल में भी बदल सकता है ।बलिया के जिलाधिकारी और आजमगढ़ जेल के जेल अधीक्षक की सांठगांठ की भी जांच होनी चाहिये क्योंकि इन दोनों लोगो की सांठगांठ के चलते 31 मार्च से जेलर के सामने हस्ताक्षरित आवेदन पत्र बलिया न आने के कारण दिग्विजय सिंह और मनोज गुप्ता की कोर्ट में पेशी तक नही हो पा रही है । गिरफ्तार कर जेल भेजने के बाद अब न्याय मिलने से भी रोकने में बलिया के डीएम लगे हुए है ।