सफलता का कोई शॉर्टकट नही,यह उम्दा सोच,संस्कार व दृढ़ संकल्प से मिलती है सफलता : डॉ अर्पिता सिंह
सनबीम स्कूल बलिया ने "ख्वाबों के परिन्दों" की शानदार विदाई के साथ ही किया खुले आसमान में उड़ान भरने के लिए प्रेरित
बलिया।। नगर के अगरसंडा स्थित सनबीम स्कूल में 'ख्वाबों के परिंदे - 4' के अंतर्गत कक्षा बारहवीं के छात्रों की कक्षा ग्यारहवीं के छात्रों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम के साथ शानदार विदाई दी गयी । छात्र - छात्राओं की मनोहारी प्रस्तुति ने ऐसा समां बांधा मानो भागता हुआ समय भी कुछ पल के लिए विद्यालय प्रांगण में ठहर सा गया हो। एक से बढ़कर एक मनोरंजक प्रस्तुतियों में हास्य-प्रहसन , आधुनिकता से तालमेल बैठाते नृत्य संयोजन, छात्राओं के चमत्कृत अंदाज में रैंप वाॅक ऐसे लग रहे थे जैसे अप्सराओं को भी धरती पर आने के लिए विवश कर दिए हों। छात्रों द्वारा प्रदर्शित प्रत्येक प्रस्तुति हर किसी के उत्साह को दूना कर रही थीं।
एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियों की समाप्ति पर समूचा हाल करतल ध्वनियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा। शिक्षकों द्वारा छात्रों के विशिष्ट क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए सम्मानित भी किया गया। बच्चों ने विद्यालय में शिक्षण के दौरान संजोये अपने अमूल्य और सुखद अनुभवों को साझा किया। समय-समय पर विभिन्न क्षेत्रों में सफलता पाये हुए छात्रों ने शिक्षकों के योगदान को भी रेखांकित कर उनका आभार प्रकट किया।
इसके पूर्व प्राइमरी के बच्चों द्वारा तुलसी वेदी से वैशाखी उत्सव की शुरुआत की गई। तत्पश्चात वाद्य यंत्रों की धुन पर नन्हे सुकमारों के गीत व नृत्य प्रदर्शन से ऐसा लगा मानो तारे जमीं पर उतर आए हों। इस दौरान बच्चों को शिक्षिकाओं द्वारा वैशाखी का इतिहास एवं उसके महत्व के बारे में भी बताया गया। विद्यालय के निदेशक डॉ कुँवर अरुण सिंह व प्रधानाचार्य डॉ अर्पिता सिंह ने बच्चों का उत्साहवर्धन करते हुए उन्हें स्नेहाशीष दिया।
विद्यालय के निदेशक डॉ कुँवर अरुण सिंह ने अपने उद्बोधन में जब बोलना शुरू किया तो उन भावुक क्षणों में पल भर को खामोशी छा गई और सबकी आंखों ने नमी की विराट चादर मानो ओढ़ ली हो। डॉ कुंवर ने विदाई भाषण में बच्चों को आदर्श, अनुशासन, धैर्य और सतत परिश्रम का मूल मंत्र देते हुए परीक्षा संबंधी कई महत्वपूर्ण टिप्स भी दिये। उन्होंने कहा कि शिक्षा मात्र ज्ञानार्जन का माध्यम ही नहीं बल्कि यह व्यक्तित्व निर्माण व राष्ट्र सेवा भी सिखाती है।
सफलता पाने के लिए पहला कदम स्वयं आपको ही बढ़ाना होता है उसके बाद रास्ते अपने आप ही बनते चले जाते हैं। बस जरुरत है अपने भीतर आत्मविश्वास जगाने की, दृढ़ इच्छा शक्ति की, कर्तव्यनिष्ठा की और सबसे महत्वपूर्ण एक सही राह चुनने की। फिर किसी भी चुनौती का सामना आप पूरे जोश से कर सकते हैं। काजल की कोठरी से बिना दाग लगे बाहर निकल आना आपके लक्ष्य के प्रति आपकी निष्ठा को उजागर करती है।
प्रधानाचार्या डॉ अर्पिता सिंह ने बच्चों को प्रेरित करते हुए कहा कि जीवन में अपने संस्कार व संकल्प को कभी नहीं भूलना चाहिए। आपकी दूरदर्शिता व उम्दा सोच ही भीड़ से आपको अलग करती है। सफलता शॉर्टकट से नहीं बल्कि लगन व कठिन परिश्रम से स्थाई रूप से मिलती है। यही सनबीम का ध्येय भी है। मिस फेयरवेल का ताज अंशिता पांडे के सिर बंधा जबकी मिस्टर फेयरवेल का खिताब हर्ष चौरसिया को मिला।
इस दौरान सचिव अरुण सिंह , उषा सिंह , निर्मला दयाशंकर सिंह की गरिमामय उपस्थिति रही। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रशासक, हेडमिस्ट्रेस, समस्त कोऑर्डिनेटर्स व शिक्षकगणों की भूमिका सराहनीय रही इसके। संचालन उज्जवल, श्रृंगी , अपूर्व व संध्या ने किया।