24 घण्टे से जहरीली दवाएं सड़क पर,डिस्पोज ऑफ की सीएचसी वालो को नही है चिंता
मधुसूदन सिंह
बलिया ।। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नरही से महज 200 मीटर की दूरी पर नरही कारो मार्ग पर एक्सपायरी दवाओं और खाद्य पदार्थो का जखीरा पिछले 24 घण्टे से पड़ा हुआ है लेकिन आज मंगलवार सुबह सवा नौ बजे तक किसी जिम्मेदार ने इसको डिस्पोज ऑफ कराने की कोशिश ही नही की है । जबकि सोमवार को लगभग 4-5 बजे के बीच नरही सीएचसी के सम्मानित चिकित्सक डॉ बृज कुमार घटना स्थल पर पहुंच कर कुछ लोगो को बयां भी देते हुए देखे गये है । अब सवाल यह उठता है कि जहर खुले में है और जिम्मेदार देखकर भी उसको नही हटवाते है तो ऐसे जिम्मेदार के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिये कि नही ? यह भी बता दे कि बयान देने वाले ये चिकित्सक महोदय कितने दिन अस्पताल में ड्यूटी करते है किसी से छुपा नही है ।
घटना स्थल पर दवाओं को देखकर मुस्कुराते सम्मानित चिकित्सक
बता दे कि अभी कुछ दिन ही हुए बांसडीह में घर के सामने गिरी हुई टॉफी खाने से एक बच्ची की मौत हो चुकी है । ऐसे में जब इन जहरीली चीजों में बच्चो के खाने के आइटम सेरेलक आदि है, टॉनिक आदि भी है, उसको यूंही सड़क पर खुला छोड़ने का मतलब है कि गरीबो की जिंदगियों को दांव पर लगाना । लालच में अगर कोई गरीब इनको उठाकर अपने घर ले जाकर बच्चो को खिला दे,खुद टॉनिक पी ले और फ़ूड पॉइज़निंग हो जाये तो जिम्मेदार कौन होगा ? अगर किसी जानवर ने ही खा लिया और उसकी जान चली गयी तो जिम्मेदार कौन होगा ? आप ऊपर के वीडियो में खुद देखिये कि कितने बेजुबान यहां आ रहे है ।
दरअसल नरही स्वास्थ्य केंद्र यहां के चिकित्सक हो या कर्मी खाला का घर बन गया है । यहां पर आधा दर्जन चिकित्सक तैनात जरूर है लेकिन कभी भी स्थायी चिकित्सको में 1 या 2 से ज्यादे उपस्थित नही रहते है । संविदा चिकित्सको के सहारे ही यह अस्पताल चलता है । अब अंदाजा लगा सकते है कि जो चिकित्सक जहरीली वस्तुओं को सार्वजनिक स्थान पर पड़े होने को अपनी आंखों से देखने के बाद भी पूरी रात बिना ऐसी वस्तुओं को डिस्पोज ऑफ कराये गहरी नींद सोता है, वह कितना संवेदनशील है ।
डिस्पोज ऑफ का यह है तरीका
ऐसी दवाओं के डिस्पोज ऑफ के लिये सरकार ने गाइड लाइन दे रखी है । ऐसी जहरीली चीजों को पहले रैपर मुक्त किया जाएगा ,फिर एक सेफ्टी किट में बांधकर जमीन के नीचे दबाया जाएगा । सेफ्टी किट नही होने की दशा में रैपर हटाने के बाद ऐसी जहरीली चीजों को गहरे गड्ढे में दफन किया जायेगा । यह चिकित्सक/विशेषज्ञ की देखरेख में किया जाएगा । लेकिन यहां तो चिकित्सक महोदय को कोई चिंता ही नही है । लगता है कि ये सिर्फ सरकारी दवाओं को ही डिस्पोज ऑफ करना अपनी जिम्मेदारी समझते है,प्राइवेट दवाओं के डिस्पोज ऑफ जानकारी होने के बाद भी इनके जिम्मे नही है ।