सीफार के सहयोग से फाइलेरिया मरीजों के लिए गठित सपोर्ट ग्रुप की बैठक हुई सम्पन्न
-वेक्टर बार्न के नोडल अधिकारी डॉ अभिषेक मिश्रा ने की बैठक की अध्यक्षता
बलिया ।। फाइलेरिया बीमारी के लिए गठित सपोर्ट ग्रुप के सदस्यों के समझ एवं जानकारी के साथ ही कौशल विकास के लिए बुधवार को बांसडीह तहसील के राजपुर गांव में वेक्टर बार्न के नोडल अधिकारी डॉ अभिषेक मिश्रा की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गयी। इसी क्रम में बांसडीह के वार्ड नम्बर 3 में सीफार संस्था के स्टेट प्रोग्राम मैनेजर डॉ सतीश पाण्डेय की अध्यक्षता में एक अलग बैठक हुई। इस कार्यक्रम का उद्देश्य सपोर्ट ग्रुप के सदस्यों को फाइलेरिया के प्रति जागरूक करना था।
बैठक में वेक्टर बॉर्न के नोडल अधिकारी डॉ अभिषेक मिश्रा ने सपोर्ट ग्रुप के सदस्यों को फाइलेरिया से जुड़े मिथकों, बीमारी के प्रबंधन,दवा के महत्व के बारे में जागरूक किया। उन्होंने सपोर्ट ग्रुप से जुड़े लोगों को बताया कि फाइलेरिया बीमारी क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलती है। यह मच्छर रुके हुए दूषित पानी में पनपते हैं। जब यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु खून के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं। फाइलेरिया के लक्षण तुरंत नज़र नहीं आते हैं। इसके लक्षण आने में कई वर्ष लग जाते हैं । इसलिए फाइलेरिया का बचाव ही इसका सफल उपचार है। इसके लिए जरूरी है कि वर्ष में एक बार चलाये जाने वाले एमडीए राउंड में फाइलेरिया से बचाव की खुराक का जरूर सेवन करें । यह लाइलाज बीमारी है, एक बार बीमारी हो जाने पर जिंदगी भर इसके साथ ही रहना पड़ता है। इसलिए इससे सतर्क और सुरक्षित रहना ही इसका सही उपचार है।
उन्होंने बताया कि जनपद में एमडीए राउंड चलाया जाता है। जिसमें प्रत्येक वर्ष फाइलेरिया की दवा खिलाई जाती जाती है। इस बैठक में प्रतिभागियों से उनके गाँव में प्रचलित भ्रांतियों के बारे में चर्चा की गयी। फाइलेरिया दवा के सेवन के प्रति लोगों का क्या रवैया है, इस पर भी चर्चा हुई। बैठक में फाइलेरिया रोगियों के लिए बनाये गए राजपुर गाँव के तीनों सपोर्ट ग्रुप (काशी बाबा सपोर्ट ग्रुप, ब्रह्म बाबा पेशेंट सपोर्ट ग्रुप तथा जय मां वैष्णो देवी पेशेंट सपोर्ट ग्रुप) के सदस्यों ने प्रतिभाग किया। इसी तरह बांसडीह के वार्ड नम्बर 3 में दो सपोर्ट ग्रुप (महावीर पेशेंट सपोर्ट ग्रुप, भजू ब्रह्म बाबा पेशेंट सपोर्ट ग्रुप) के सदस्यों ने प्रतिभाग किया।
पीसीआई संस्था के रीजनल मोबिलाइजेशन कोऑर्डिनेटर विकास द्विवेदी ने बताया कि फाइलेरिया के रोगी को हमें मानसिक सांत्वना देने की ज़रुरत है और फाइलेरिया से बचाव के लिए घर के आस-पास पानी जमा न होने दें और सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल जरूर करें। सीफार संस्था के एलएफ टीम के स्टेट प्रोग्राम मैनेजर ड़ॉ सतीश पाण्डेय ने फाइलेरिया रोग रुग्णता प्रबंधन का अभ्यास कराया और बैठक कर बताया कि फाइलेरिया रोग से बचने के लिए दवा का सेवन करने की आवश्यकता है। दवा के सेवन से फाइलेरिया रोग से बचा जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अत्यन्त गंभीर रोग से पीड़ित लोगों को यह दवा नहीं खानी है। फाइलेरिया की दवा जनपद के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर उपलब्ध है। फाइलेरिया के मरीजों के प्रभावित अंग को अच्छी तरह से साफ-सफाई कर रखना चाहिए, ताकि किसी प्रकार के इंफेक्शन से मरीज न प्रभावित हो। इसके लिए उन्हें साफ-सफाई और दवा का सेवन नियमित रूप से करना जरूरी है।
उन्होंने समूह के लोगों को बताया कि एमडीए राउंड में गाँव के लोगों और खासकर उन टोलों में जिनमें दवा खाने को लेकर मनाही है उन्हें किस तरह समझाएं इस पर संचार के तरीके बताए। इसके साथ ही अपने- अपने गाँव के प्रधान, कोटेदार को भी कैसे प्रोत्साहित करें, इसकी भी जानकारी दी।
काशी बाबा सपोर्ट ग्रुप की 57 वर्षीय फुलबसिया देवी बताती हैं कि प्रशिक्षण में आकर मैंने जाना कि फाइलेरिया के प्रति जागरूकता के लिए कितनी संस्थाएं काम कर रही हैं। हमारे लिए भी इतने लोग काम कर रहे हैं, यह जानकर बहुत अच्छा लगा। मैं भी अपने समूह के माध्यम से प्रशिक्षण में सीखी सभी बातों को अपने गाँव के लोगों को जरूर बताऊँगी। मां वैष्णो देवी की 62 वर्षीय ललिता देवी बताती हैं कि उन्हें प्रशिक्षण में फाइलेरिया जागरूकता पर बहुत अच्छी जानकारी मिली। उन्हें लगता है कि अब वह और आत्मविश्वास के साथ अपने गाँव के लोगों को ज्यादा से ज्यादा फाइलेरिया के प्रति जागरूक कर सकेंगी। ब्रह्म बाबा सपोर्ट ग्रुप के 65 वर्षीय ओमप्रकाश पाण्डेय ने बताया कि रोज अपना पैर साबुन से धोते हैं इससे बहुत आराम मिल रहा है।बैठक में पीसीआई, सी-फार के जिला समन्वयक, ब्लॉक कॉर्डिनेटर मौजूद रहे।