नकल रोकने पर नही पढ़ाई पर जोर दे यूपी बोर्ड,सीबीएसई से ले नकल विहीन परीक्षा की सीख
मधुसूदन सिंह
बलिया ।। साल में एक बार लगने वाले यूपी बोर्ड की परीक्षा के नकल महाकुंभ को अगर सरकार रोकने में वास्तव में दृढ़प्रतिज्ञ है तो उसे सत्र के प्रारंभ में ही अपनी योजना को शुरू करना पड़ेगा । आज यूपी बोर्ड से सम्बद्ध लगभग सभी विद्यालयों में सीसीटीवी लग चुकी है । इन्ही सीसीटीवी कैमरों के चलते सरकार परीक्षा में सभी परीक्षा केंद्रों पर ऑनलाइन निगरानी रखती है । इतनी तैयारी के बाद भी नकल माफिया पेपर आउट करने और बाहर से हल की हुई कॉपियों को अंदर जमा करने में सफल हो जाते है । अब सवाल यह उठता है कि यूपी बोर्ड से सम्बद्ध सरकारी हो या सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में लाखों रुपये तक मासिक सेलरी देने के बाद भी इसमें पढ़ने वाले बच्चों को नकल ही सहारा परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिये क्यो बनता है ? जबकि सीबीएसई में तो 5 से 10 हजार की सैलरी पाने वाले ही शिक्षक होते है, फिर भी इस बोर्ड के बच्चे नकल नही करते है आखिर क्यों ?
रेगुलर क्लास चलना हो अनिवार्य,पढ़ाई की भी हो ऑनलाइन मानिटरिंग
यूपी बोर्ड और सीबीएसई के शिक्षण सत्र की तुलना करने पर साफ हो जाता है कि सीबीएसई बोर्ड में पढ़ाने वाले शिक्षकों के ऊपर नही पढ़ाने पर नौकरी जाने का खतरा हमेशा रहता है,जबकि वेतन भी बहुत कम मिलता है । वही यूपी बोर्ड में सरकार से वेतन पाने वाले शिक्षकों में नौकरी जाने का भय नही होने के कारण पढ़ाने का भी इनका शेड्यूल रेगुलर नही होता है । न तो लगातार पूरे माह पढ़ाई ही हो पाती है, न ही परीक्षा से पूर्व कोर्स ही पूरा हो पाता है । यूपी बोर्ड के शिक्षकों के न स्कूल में न पढ़ाने के कारणों में एक छात्रों को ट्यूशन पढ़ने के लिये बाध्य करने की प्रवृत्ति भी है ।
अगर वास्तव में योगी सरकार यूपी बोर्ड से नकल का कोढ़ हटाना चाहती है तो सत्र की शुरुआत से ही पढ़ाई की ऑनलाइन मोनिटरिंग करनी शुरू कर देनी चाहिये । जिस विद्यालय में क्लास न चलती हो उस पर अगर सख्त कार्यवाही होने लगे तो पूरे प्रदेश में पढ़ाई का माहौल बन जायेगा । अगर छात्रों का कोर्स समय से विद्यालय में पूरा होने लगे तो छात्र नकल के सम्बंध में सोचेंगे ही नही । सीबीएसई बोर्ड की कब परीक्षा शुरू होती है और कब खत्म होती है, किसी को पता नही चलता है । लेकिन यूपी बोर्ड की परीक्षा शुरू होने से पूर्व ही परीक्षा केंद्रों पर मेला जैसा सदृश्य दिखने लगता है ।
परीक्षा केंद्र बनाने में मानकों से न हो समझौता
नकल के खेल में मानक विहीन परीक्षा केंद्र बनाना पहला चरण होता है । यह खेल सहायता प्राप्त विद्यालयों की जगह वित्त विहीन विद्यालयों को बनाने से शुरू होता है । जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति में डीआईओएस और सभी उप जिलाधिकारी गण शामिल होते है । वर्तमान नियम के अनुसार सभी विद्यालय जो परीक्षा केंद्र बनने के इच्छुक होते है,बोर्ड की साइट पर अपना डिटेल अपलोड करते है । इसके बाद इनकी उपलब्ध सुविधाओ की जांच उप जिलाधिकारियों द्वारा करके जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेजी जाती है । जिन वित्त विहीन विद्यालयों से चढ़ावा मिल जाता है,उनको परीक्षा केंद्र बनाने की संस्तुति वाली सारी रिपोर्ट्स को जिलाधिकारी के द्वारा बोर्ड को भेज दी जाती है । सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट भेजने के लिये प्रति विद्यालय डेढ़ से दो लाख का चढ़ावा लेते है ।
गिफ्ट टाइम की हो चेकिंग
नकल के खेल में शामिल माफियाओं को कोई आर्थिक नुकसान न हो,इसके लिये गिफ्ट टाइम का जो खेल शुरू होता है,इस पर लगाम लगानी जरूरी है । यह गिफ्ट टाइम परीक्षा शुरू होने के समय और समाप्त होने के समय से 15 मिनट पहले मिलता है । यह खेल सरकार द्वारा सभी परीक्षा केंद्रों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग शुरू करने के बाद से शुरू हुआ है । इस गिफ्ट टाइम के दौरान परीक्षा केंद्र का नेटवर्क 15 मिनट के लिये खराब होता है,जिससे परीक्षा केंद्र का जिला मुख्यालय के कंट्रोल रूम और प्रदेश मुख्यालय के कंट्रोल रूम से संपर्क कट जाता है,जिससे इस केंद्र पर पर्चा बाहर भेजना हो या बाहर लिखी हुई कॉपियों को अंदर रख लिया जाता है और कही रिकार्ड भी नही हो पाता है । ऐसे केंद्रों की सघनता के साथ जांच होनी चाहिये ।