मां, तुम इतनी भोली क्यो हो : कामना पांडेय
मधुसूदन सिंह
बलिया ।। स्थानीय वरिष्ठ पत्रकार श्रवण पांडेय की सुपुत्री कामना पांडेय ने मां का चित्रण कविताओं के माध्यम से संजीदगी के साथ किया है । सुश्री पांडेय ने मां के हर एक रूप और उसको मिलने वाले कष्टों से अपनी कविता को जोड़कर भविष्य की एक संवेदनशील कवियित्री होने का संकेत दिया है । सुश्री पांडेय ने अपनी कविता के माध्यम से वर्तमान समय मे बच्चो द्वारा आधुनिकता की अंधी दौड़ के मध्य जिस तरह से अपनी माताओं की उपेक्षा की जा रही है,उसको यथार्थ तरीके से अपने शब्दों में पिरोकर कविता की शक्ल देकर मातृ दिवस पर संदेश देने की जो कोशिश की है, बलिया एक्सप्रेस की पूरी टीम साधुवाद देती है और आशा करती है कि सुश्री कामना पांडेय भविष्य में एक संवेदनशील कवियित्री के रूप में जानी जाये ।
मां
मां तुमसे ही हम दुनिया में आते है,
फिर तुम ही को हम क्यों भूल जाते है।
हे मां ! तुम इतनी भोली क्यों होती हो ?
उंगली पकड़कर चलना भी तुम हमें सीखाती हो,
पर तुम्हें सहारा देने हम कभी नहीं आते है।
हे मां ! तुम इतनी भोली क्यों होती हो ?
घूम घूम कर खाना हमें तुम ही खिलाती हो,
पर एक एक निवाले के लिए तुम स्वयं तरस जाती हो।
हे मां ! तुम इतनी भोली क्यों होती हो ?
हमारी हर जिद को पूरा तुम ही करती हो,
पर अपनी किसी भी जरूरत को तुम किसी से नहीं कह पाती हो।
हमारे हर गुस्से को तुम हर बार सह जाती हो,
हे मां ! तुम इतनी भोली क्यों होती हो?
हमारी हर खुशी को अपनी खुशी समझ जाती हो,
अपने गम तुम किसी को भी नहीं बताती हो।
हे मां ! तुम इतनी भोली क्यों होती हो ?
हमारी हर ख्वाहिशों को सर माथे लगाती हो,
तुम अपने सपने को छोड़ हमारे सारे सपने पूरे कराती हो।
हे मां ! तुम इतनी भोली क्यों होती हो ?
इतनी भोली क्यों होती हो तुम, की आसानी से छल दी जाती हो।
भगवान की परछाई होने के बावजूद, तुम एक कोने में छोड़ दी जाती हो।
हे मां ! तुम इतनी भोली क्यों होती हो ?
कामना पांडेय
सुपुत्री वरिष्ठ पत्रकार श्रवण पांडेय