"जह जह चरण पड़े रघुवर के"का दर्शन करने के लिये निकली है अयोध्या से बक्सर तक की रथयात्रा, छोटी सरयू (तमसा) के जल प्रवाह की निरंतरता के लिये भी है यह एक प्रयास
डॉ सुनील कुमार ओझा
बलिया ।। रघुभूमि से तपोभूमि की यात्रा श्री राम ,लक्ष्मण, विश्वामित्र जी के रथ के साथ 14जून 2022 से सरयू स्नान करके हनुमान गढ़ी ,रामलाला, दशरथ समाधि, श्रृंगी आश्रम, भैरोधाम, विश्वामित्र मार्ग से जनपद मऊ में प्रवेश की । तमसा (छोटी सरयू ) के संगम बारह दुवरिया मंदिर पर रथ यात्रा टीम ने प्रवास के दौरान भोजन ग्रहण किया । तत्पश्चात, श्री पवन जी, डा दुर्गा प्रसाद अस्थाना छोटी सरयू शोध के निर्देशक व पूर्व प्राचार्य गांधी पीजी कालेज मालतारी, डा घनश्याम दुबे सह शोध प्रभारी छोटी सरयू भूगोल विभाग डीसी एसके पीजी कॉलेज मऊ,ढेकुलिया घाट से भीटी चौराहा होते हुए बहादुरगंज से गाजीपुर सिधागर घाट की तरफ यात्रा निकली । लखनेश्वरडीह जिस मंदिर की स्थापना लक्ष्मण जी ने की थी, का दर्शन रथ यात्रियों ने किया। बलिया में रात्रि विश्राम किया गया ।तत्पश्चात कारो में कामेश्वर नाथ मंदिर में शयन के वाद प्रातः जागरण गीत - उठ जाग मुसाफिर भोर भई अब रैन कहा तू सोवत है , का कीर्तन मंडली गान किया गया । इसके बाद सभी लोगो ने विश्वामित्र , राम लक्ष्मण विश्राम स्थल का दर्शन किया । जन श्रुतियों के अनुसार अयोध्या के राजा केमश्वर ने इस स्थल का जीर्णोद्धार कराया था और शंकर जी ने यहां कामदेव् को भस्म किया था, जिसका प्रतीक आम का वृक्ष अभी भी है। इसी कारण से इसका नाम केमेश्वर से बिगड़ते हुए कारो हो गया ।कामदेव को भगवान शिव ने जिस स्थान पर भस्म किया था वहां स्थापित शिव लिंग को कामेश्वर नाथ के नाम से प्रसिद्धि मिली हुई है ।
9 बजे प्रातः चितबड़ागाव के पास, सुजात गांव में, सुबाहु टीला रथ यात्रा पहुंची और सभी लोगो ने राम चरण पादुका का दर्शन किया । यहां से यह यात्रा मरची गांव पहुंची जिसको मारीच का गांव कहा जाता है ।इसके बाद यह यात्रा बक्सर के लिये निकल गयी । कहा जाता है कि भगवान राम लक्ष्मण और विश्वामित्र मुनि को बक्सर पहुंचने के क्रम में गंगा तट पर पहुंचने से पहले जिस स्थान पर उजियार हुआ था उस स्थान को उजियार और जिस स्थान पर पहुंचने पर भोर हुआ था,उस जगह को भरौली नाम से जाना जाता है । दोनों पास पास होने के कारण इनको उजियार भरौली के नाम से भी जाना जाता है ।
सुबह हो जाने के कारण यही गंगा घाट पर राम लक्ष्मण व विश्वामित्र मुनि ने गंगा पूजन किया था और गंगा पार करके बक्सर पहुंचे थे ।। ऐसी मान्यता है, श्री राम ने अपने जीवन का पहला युद्ध यही तड़का बध करके किया था। रामेश्वर नाथ में राम ने यज्ञ किया । कहा जाता है कि ताड़का बध करने के बाद भगवान राम को बड़ी आत्मग्लानी हुई क्योंकि सूर्यवंश में किसी ने स्त्री बध नही किया था,इसी लिये यज्ञ किये थे । बक्सर वह स्थान है जहां राम लक्ष्मण ने विश्वामित्र मुनि से शिक्षा ग्रहण की। यह सिद्ध भूमि हैं।
इस यात्रा का नेतृत्व लोक दायित्व के प्रमुख पवन सिंह कर रहे है । उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि इस यात्रा का उद्देश्य अयोध्या से बक्सर में विश्वामित्र आश्रम के बीच पड़ने वाले उन स्थलों को चिन्हित करके प्रमुख सांस्कृतिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कराने के लिये प्रयत्न करना है।
लोक दायित्व बैनर तले ही छोटी सरयू नदी के मृत प्राय होने पर उसको पुनर्जीवित करने के लिए शोध निर्देशक का उत्तरदायित्व निर्वहन करने वाले डा दुर्गा प्रसाद अस्थाना पूर्व प्राचार्य गांधी पीजी कालेज मलतारी आजमगढ़ ने की । कहा कि छोटी सरयू नदी में सदा जल का प्रवाह बना रहे इसके लिये इसकी सफाई पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इसमें गिरने वाले गंदे नालों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। जलापूर्ति सुनिश्चित करना चाहिए इसके लिए लोक दायित्व निरंतर प्रयास जारी रखे हुए है। यह यात्रा उसी का हिस्सा है , राम पथ की पूरी यात्रा छोटी सरयू नदी के किनारे किनारे ही निकली गई है।
कुल यात्रा 276 किलोमीटर है। जिसमे आजमगढ़ ,सुल्तानपुर, फैजाबाद, के कुल 40 सदस्य शामिल है। इस यात्रा में अवधेश यादव, अजय यादव , उत्कर्ष, अलंकार, प्रशांत, अमित अस्थाना , अवधेश बिक्रम, राणा सिंह, डा संजय ,धीरज, दीनानाथ, सुरेंद्र सुधीर आदि सह यात्री है। इस आशय की जानकारी डा घनश्याम दुबे डीसी एसके पीजी कॉलेज मऊ,छोटी सरयू शोध समिति के प्रभारी ने दी है।