सच सच कहना प्रिय तिरंगे, आज नहीं रहना तुम मौन,हाथ बहुत फहराने वाले, लेकिन तुम्हें समझता कौन :अर्जुन पांडेय
जंगे आजादी के दीवानों को सदा याद करेगा हिंदुस्तान - डॉ. अर्जुन पांडेय
बलिया।। एकौना डिफेंस एकेडमी एवं एकौना नेशनल लाइब्रेरी के तत्वावधान में 'स्वाधीनता आंदोलन में हिंदी साहित्य की भूमिका' विषय पर एक अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर किया गया। संगोष्ठी का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती एवं भारत माता के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ।
सर्वप्रथम अतिथियों एवं गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में ध्वजारोहण किया गया।संगोष्ठी में पधारे सभी अतिथियों एवं गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए एकेडमी के प्रबंध निदेशक प्रवीण मिश्र ने कहा कि भारतीय नौसेना में अपनी 15 साल उत्कृष्ट सेवा देने के उपरांत मैंने समाज एवं राष्ट्र के युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए एकेडमी का शुभारंभ करने का संकल्प लिया, जिसको आज मूर्त रूप प्रदान किया गया।
विषय का प्रवर्तन करते हुए युवा साहित्यकार एवं विचारक डॉ. शिवम् तिवारी ने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन में क्रांतिकारियों द्वारा दी गई कुर्बानी का ही परिणाम है कि आज आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर देश और दुनिया में अमृत महोत्सव बड़े धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। स्वाधीनता आंदोलन में साहित्यकारों की भूमिका को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता।
नॉर्वे में प्रवास कर रहे प्रवासी भारतीय डॉ. सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने अपने संदेश में कहा कि देश की आजादी को बरकरार रखने के लिए आज इस बात की आवश्यकता है कि देश प्रेम को सर्वोपरि रखते हुए हर एक नागरिक अपना कर्तव्य समझकर अपने हिस्से का योगदान समाज को निश्चल भाव से अर्पित करें।
नॉटिंघम यूके से प्रवासी भारतीय साहित्यकार जय वर्मा ने अपना संदेश देते हुए कहा कि तिरंगे का सम्मान अटूट देश प्रेम में समाहित है। सभी भारतीयों की नैतिक जिम्मेदारी है कि देश की आन बान शान तिरंगे का सम्मान करें। आजादी के अमृत महोत्सव पर्व में युवाओं को बढ़-चढ़कर के हिस्सा लेना चाहिए।
पर्यावरणविद् एवं समाजसेवी डॉ. अर्जुन पाण्डेय ने बागी बलिया के मंगल पांडेय एवं चित्तू पांडेय की कुर्बानी को याद करते हुए मुख्य अतिथि के रूप में अपना उद्बोधन प्रस्तुत करते हुए कहा कि जब तक धरती रहेगी तब तक जंगे आजादी के दीवानों को सदा याद किया जाता रहेगा। आज तिरंगे के सम्मुख सारी दुनिया नतमस्तक है। चार पंक्तियों के माध्यम से एक सार्थक संदेश देते हुए डॉ. पाण्डेय ने आगे कहा कि
"सच सच कहना प्रिय तिरंगे, आज नहीं रहना तुम मौन।
हाथ बहुत फहराने वाले, लेकिन तुम्हें समझता कौन।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए साहित्य मनीषी डॉ. रघुनाथ उपाध्याय ने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन में मुंशी प्रेमचंद, हजारी प्रसाद द्विवेदी, केशव चंद्र सेन, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र, काका कालेलकर आदि साहित्यकारों की महती भूमिका रही है। क्रांतिकारियों के साथ-साथ साहित्यकारों को भी याद किया जाना अपरिहार्य है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में अपना संबोधन प्रस्तुत करते हुए इतिहासविद् एवं प्रोफेसर अरुण कुमार मिश्र ने कहा कि सैन्य शिक्षा के क्षेत्र में एकौना डिफेंस एकेडमी एवं एकौना नेशनल लाइब्रेरी का शुभारंभ किया जाना समय की मांग है। मुझे पूरा विश्वास है कि समाज एवं बलिया जिले के युवाओं के विकास में इस एकेडमी की उल्लेखनीय भूमिका रहेगी। सुंदरम फाउंडेशन के संस्थापक मनोज चंद तिवारी ने कहा कि क्रांतियां सदैव मन से होती है,जो युवाओं की देन है। युवा जगेगा तभी देश बचेगा।
डॉ. सुनील कुमार ओझा ने कहा कि बलिया के लाल मंगल पांडेय द्वारा 1857 में क्रांति का बिगुल फूंके जाने के बाद 90 वर्ष देश को आजादी मिलने में लग गई। दुनिया में फैले हुए भारत के लोग आजादी के महोत्सव को बड़े हर्षोल्लास के साथ मना रहे।
पशुपति नाथ ओझा, हृदयानंद सिंह, राजेंद्र सिंह तथा अमित चौबे ने संगोष्ठी को संबोधित किया। संगोष्ठी में अनूप सिंह, अभिषेक उपाध्याय, अमित प्रसाद के साथ-साथ सैकड़ों गणमान्य व्यक्तियों एवं छात्र-छात्राओं की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही। संगोष्ठी के उपरांत तिरंगा रैली का आयोजन किया गया साथ ही पांच वृक्ष लगाकर समाज को प्रकृति पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया।