Breaking News

सिकंदरपुर थाने पर लोगो ने किया कब्जा


22 अगस्त 1942 

मधुसूदन सिंह

बलिया।।जिले के सदर पर कब्जा हो जाने के बाद गाँव के लोग बचे हुए थानों पर कब्जा करने के लिये उतावले हो गए थे। सिकन्दरपुर क्षेत्र में नवा नगर पोस्ट ऑफिस पर 22 अगस्त को सुबह ही हजारों आदमी एकत्र होकर पोस्ट ऑफिस  पर कब्जा कर लिए और मेज-कुर्सियों को फूंक दिए। गांजे की दुकानों को भी तोड़-फोड़ दिया गया।

इसके बाद जन-समूह सिकन्दरपुर थाने को नष्ट करने के लिए चल पड़ा । सिकन्दरपुर कस्बे में हाथी और घोड़ों के साथ परिक्रमा करते हुए थाने पर जा पहुंचा। थानेदार और थाने के सिपाही थाना छोडकर पहले ही भाग गये थे । थानेदार की घोड़ी एक चौकीदार से छीनकर श्री जगधारी सिंह चढ़ गये। लोगो ने थाने के जंगले और दरबाजो तक को निकाल कर आग लगा दी। थाना कब्जा करने के बाद जन समूह डाक बंगले पहुंच कर वहां के सभी सामानो को लूट लिया और डाक बंगले मे आग लगा दी।


सिकन्दरपुर थाने के अफसर दोयम अपनी रिपोर्ट में लिखते हैं - ता० 22 अगस्त सन् 1942 को ववक्त 2 बजे दिन मजमा कांग्रेसी झंडा लिये हुए व बल्लम, गड़ासा,टाँगी, गड़ांसी, ईटा, कनस्टर, मय तेल मिट्टी हर चहार तरफ से एक ब-एक दौड़ा हुआ आया और इमारत थाना को अफसरान व मुन्शी को दिगर मुल्जिमान को घेर लिया। जो मजमा पूरब से आया आगे मजमा के मेरे घोड़ों जो साइस ले जा रहा था करीब जंगल, जमुआंव काँग्रेसी जो खेजुरी की तरफ से आ रहा था, मुलाकात हुई। मेरी घोड़ी को साइस से छीन कर मुजम्मी जलधारी सिंह कांग्रेस लीडर साकिन पूर चढ़ लिया और साइस को मुस्क बांध कर मुजम्मी राम सरन नोनियाँ साकिन जगदरा अपने हिरासत में लाया।


मजमा कुल तखमीनन 8-10 हजार का था। कार्टरान थाना में तेल छिड़ककर आग लगा दी और इन्कलाब जिन्दावाद का नारा लगाना शुरू किया। बाद फूंकने इमारत थाना व क्वार्टर अफसरान व मुन्शी क्वार्टर आलमारी सरकारी असबाव व दरवाजा आलमारी व छड़ जंगला इमारत का माल असबाब सरकारी व निजी मुलाजिमान को लूट कर व फूंक कर जानिव डाक बंगला वापिस चले गये। चुनाचे बॅगला पर जाकर उसको भी फूंका और उसके असबाब लूट कर व सामान निकाल कर जानिब पन्द्रह दिगर सिम्त ले गए। नुकसान तखमीनन 15,हजार रुपये का हुआ है।


इस काण्ड के सम्बन्ध में सर्व श्री गौरी शंकर राय, मनबोध रंगवा, शिव पूजन राय, हीरा राय, मान राय, हीरा राय पे० सीता राय, हजारी राय, चन्द्रिका ओझा, राम सचन तिवारी, जलधारी सिंह, राज किशोर राय, धर्मदेव पाण्डेय, गनेश राय हरीराम, परशुराम मिश्र, बलदेव अहीर, प्रमोदा राय, सूर्यदेव राय, रामधारी शर्मा, विश्वनाथ राम, विश्वनाथ लाल, शंकर दत्त , कन्हैया लाल देवनाथ उपाध्याय, सुग्रीव राय और राधा कृष्ण कांदू पर मुकदमें चले।