जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती का निधन
बलिया।।सनातन धर्म के ध्वज वाहक,अद्वैत वेदांत के प्रकांड विद्वान, राम मंदिर निर्माण के प्रणेता,अनंत श्री विभूषित ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने मात्र 9 साल की उम्र में ही अपना घर छोड़ दिया था। जिसके बाद उन्होंने भारत के सभी प्रसिद्ध तीर्थ स्थानों एवं सिद्ध संतों के दर्शन करते हुए काशी पहुंचे।
आजादी के लड़ाई में वाराणसी में 9 और मध्यप्रदेश की जेल में 6 महीने की सजा भी इन्होंने काटी थी। इस दौरान वो धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज के सानिध्य में आए एवं धर्म सम्राट करपात्री जी महाराज द्वारा गठित राजनीतिक दल "राम राज्य परिषद" के अध्यक्ष भी रहे थे।
आप 1950 में दंडी संन्यासी बनाये गए और 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली। ज्योतिषपीठ के ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से दण्ड-सन्यास की दीक्षा के उपरांत आप स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से जाने जाने लगे।आपने अभी हरियाली तीज को अपनी 99 वर्ष की आयु पूर्ण की थी।