भारत की बहू, हिन्दुस्तान की लुगाई,मै हिन्दी हूँ
भारत की बहू, हिन्दुस्तान की लुगाई,मै हिन्दी हूँ
बलिया।। 'विश्व हिन्दी दिवस' पर विलुप्त होती भारत की राजभाषा 'हिन्दी' पर अपनी लेखनी से कसक उकेरते 'शिक्षक' निर्भय नारायण सिंह -----
दबी सी सहमी सी सकुचाई सी
बेजान होती जिह्वा
लुटती अपनी थाती
सिसकती हूँ मैं।
पराए की आहट
थामने की चाहत
अस्तित्व पर खतरा
बिकती घर की इमारत
इज्ज़त हूँ मैं।
नज़रों से ओझल
अधरों पर बोझल
सोच में असभ्य
विकास की बाधक
अभिव्यक्ति हूँ मैं।
मैं, भारत की बहू
हिन्दुस्तान की लुगाई
हिन्दी हूँ ...
हाँ! मैं ही हिन्दी हूँ।
निर्भय नारायण सिंह
शिक्षक
बलिया