फाइलेरिया नेटवर्क सदस्यों ने स्कूली बच्चों को किया जागरूक
10 फरवरी से चलेगा एमडीए अभियान, घर-घर खिलाई जाएगी दवा
बलिया।।जिले में फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन हर किसी को कराने में सामुदायिक सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं। इसीक्रम में शुक्रवार को पंदह ब्लॉक के पकड़ी ग्रामसभा के कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय में ग्राम प्रधान अंजनी सिंह के नेतृत्व में जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुआ ।
इस मौके पर विद्यालय के 350 छात्र - छात्राओ को फाइलेरिया से बचाव एवं साफ सफाई के प्रति जागरूक किया गया एवं जन जागरूकता रैली निकाली गई। फाइलेरिया नेटवर्क सदस्य जय नारायण तिवारी ने छात्र-छात्राओं और शिक्षकों के साथ अनुभव साझा किये। उन्होंने सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए भी प्रेरित किया। उन्होंने अपील की कि सभी लोग साल में एक बार फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन जरूर करें।
उन्होंने बताया कि दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से ग्रसित को छोड़कर सभी को दवा का सेवन करना है । जिन व्यक्तियों में फाइलेरिया के परजीवी होते हैं उनमें दवा खाने के बाद चक्कर आना, जी मितलाना जैसी मामूली समस्याएं हो सकती हैं लेकिन इससे घबराना नहीं हैं, क्योंकि थोड़ी देर में यह अपनेआप ठीक हो जाती है। इसके बाद भी अगर कोई दिक्कत लगती है तो अपने क्षेत्र की रैपिड रिस्पॉन्स टीम (आरआरटी) या निकटतम स्वास्थ्यकर्मी से संपर्क करें या स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं।
नेटवर्क सदस्य संजय कुमार तिवारी ने बताया कि फाइलेरिया मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी है। संक्रमित को काटने के बाद जब मच्छर स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह भी संक्रमण की चपेट में आ सकता है। मच्छर गंदगी में पैदा होते हैं। इसलिए इस रोग से बचना है, तो आस-पास सफाई रखना जरूरी है। दूषित पानी और कूड़ा न जमा होने दें, जलजमाव की स्थिति में कैरोसीन तेल छिड़क कर मच्छरों को पनपने से रोकें, सोने के समय मच्छरदानी का उपयोग करें।
इससे पहले वृहस्पतिवार को जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव की अध्यक्षता में नागा जी सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय माल्देपुर शहरी क्षेत्र में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुआ । इसमें 2000 से अधिक छात्रों, प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों को एमडीए अभियान के दौरान फाइलेरिया रोधी दवा के सेवन तथा फाइलेरिया रोग के कारण, लक्षण, बचाव आदि के बारे में जागरूक किया गया एवं शपथ भी दिलाई गई । कार्यक्रम में पीसीआई संस्था के जिला समन्वयक संजय सिंह ने सभी के साथ फाइलेरिया रोधी दवा सेवन का संकल्प लिया । इस दौरान बायो लॉजिस्ट हेमंत कुमार एवं फाइलेरिया निरीक्षक शशि कुमार सिंह टीम के साथ उपस्थित रहे एवं प्रचार-प्रसार सामग्री वितरित की।
इसी कड़ी में आईसीडीएस के जिला कार्यक्रम अधिकारी केएम पाण्डेय की अध्यक्षता में सभी बाल विकास परियोजना अधिकारी और स्टाफ को पीसीआई संस्था के जिला समन्वयक ने एमडीए अभियान एवं फाइलेरिया के कारण, लक्षण, बचाव आदि के बारे में जागरूक किया और ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करने की अपील की।
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 10 फरवरी से 27 फरवरी तक मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान चलाया जायेगा। इस अभियान के अन्तर्गत लक्षित लाभार्थियों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए डी.ई.सी और एल्बेंडाजोल की निर्धारित खुराक घर-घर जाकर स्वास्थ्यकर्मी अपने सामने खिलाएंगे एवं किसी भी स्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जायेगा।
उन्होंने बताया की आमतौर पर शुरुआती दिनों में फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। इसके लक्षण आने में पांच से 15 साल लग जाते है। पैरों और हाथों में सूजन (हाथी पांव) और हाइड्रोसील (अंडकोषों की सूजन) आने लगती हैं। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को दिव्यांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक और सामाजिक स्थिति पर भी असर पड़ता है।