योगी जी देखिये उत्कर्ष हत्याकांड के 75 दिन बाद भी हत्यारों को नहीं खोज पाई आपकी प्रयागराज पुलिस
जांच में अभी तक कोई सुराग लगा पाने में करछना पुलिस विफल
प्रयागराज।।उत्कर्ष हत्याकांड के 75 दिन पूरे हो जाने के बाद भी प्रयागराज की तेजतर्रार पुलिस के हाथ अभी तक खाली हैं और पुलिस हत्यारों परछाई भी खोज नहीं पायी । यही जांच में अभी तक कोई सुराग लगा पाने में करछना पुलिस पूरी तरह विफल रही है।
ऊपर रेलवे लाइन पर पड़ा उत्कर्ष का शव
गौरतलब हो की बीते 31दिसम्बर 2022 को घर से सुबह कोचिंग पढ़ाने के लिए निकले उत्कर्ष का जख्मी शरीर मरणासन्न अवस्था में करछना थाना अंतर्गत गांव गंधियांव में रेलवे ट्रैक पर पाया गया था, जिसकी सूचना परिजनों को होते ही पूरे क्षेत्र में यह खबर आग की तरह फैल गई थी। बता दें कि उत्कर्ष एक होनहार और मेधावी छात्र था, जो बीटेक सेकंड ईयर में कंप्यूटर साइंस, प्रयाग इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी का छात्र था और पूरे विद्यालय ही नहीं क्षेत्र के मानस पटल पर अपनी पहचान बना रहा था। उत्कर्ष वरिष्ठ पत्रकार भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक तथा हिंदी दैनिक समाचार पत्र पवन प्रभात के प्रधान संपादक डॉक्टर भगवान प्रसाद उपाध्याय का पौत्र एवं हिंदी दैनिक समाचार पत्र पवन प्रभात के संपादक वरिष्ठ पत्रकार पवनेश कुमार पवन का इकलौता पुत्र था।
उत्कर्ष की मौत की खबर सुनकर परिजनों के होश उड़ गये। आनन फानन में परिजन घटना स्थल पर पहुंचे और अपने जिगर के टुकड़े को रेल की पटरियों पर मरा हुआ देख अपना होशोहवास खो बैठे। वे वहां पर कुछ सोच विचार करने की स्थिति में नहीं रह गए।उन्होंने पुलिस की मूकदर्शिता के चलते रेल दुर्घटना साबित करने की साजिश रचने वालों की चाल नहीं समझें और साजिशकर्ताओ की साजिश और स्थानीय पुलिस की मौन स्वीकृति के चलते पोस्टमार्टम कराने की बजाय पंचनामा कराकर अंतिम संस्कार कर दिया।
साजिश रचने वाले तत्काल तो सफल हो गए , किन्तु घटना के दूसरे दिन परिजनों को वस्तुस्थिति का ज्ञान होने पर स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया। काफी मशक्कत के बाद 15 दिन बाद कमिश्नर के हस्तक्षेप एवं स्थानीय सांसद डॉ रीता बहुगुणा जोशी के प्रयास से एफआईआर दर्ज की गई थी और तब से अब तक जांच के नाम पर महज पीड़ित परिवार को केवल कोरा आश्वासन ही मिल रहा है।आज तक पुलिस उत्कर्ष के मोबाइल की डिवाइस लोकेशन भी नहीं निकाल पाई। कुछ कथित लोगों के सीडीआर पर पूरी तरह हवाई जांच चलती रही । पत्रकारों के हस्तक्षेप के बाद जांच अधिकारी पुलिस उपायुक्त के यहां तलब भी हुए थे उन्हें मोबाइल डिवाइस लोकेशन निकालने के लिए कहा भी गया था किंतु अभी तक वे इसमें सफल नहीं हुए। उधर रेलवे ने किसी भी इस तरह की घटना से स्पष्ट इनकार किया है और प्रथम दृष्टया रेल दुर्घटना की साजिश रचने वालों पर अभी तक कोई कार्यवाही ना होने से परिजन बहुत आहत हैं।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पत्रकारों ने स्थानीय थाने पर धरना भी दिया जिसमें एसीपी ने आकर जिस प्रकार धाराप्रवाह प्रवचन दिया उससे यह लगा कि स्थानीय पुलिस के बूते न्याय मिलना मुश्किल है। तथाकथित स्वयं को ज्योतिषी समझने वाले वरिष्ठ अधिकारियों के प्रवचन से पीड़ित परिवार संतुष्ट नहीं था फिर कुछ दिन के बाद प्रदेशभर से उत्तर प्रदेश की पुलिस को जगाने का एक अभियान चलाया गया फिर भी पुलिस के कान पर जूं नहीं रेंगी और आज तक उत्कर्ष हत्याकांड के हत्यारे बेखौफ घूम रहे हैं। पुलिस उन्हें छू तक नहीं पाई है । अब तो पीड़ित परिवार को तरह-तरह की धमकियां दी जा रही हैं और उनके विद्यालय के पूरब पश्चिम रहने वाले पड़ोसियों ने आतंक का माहौल बना रखा है। आए दिन गाली गलौज करना और पुनः घटना को अंजाम देने की धमकी देना उनकी दिनचर्या बन गई है। देखना यह है कि जन-जन को न्याय देने का ढिंढोरा पीटने वाली सरकार कब जागती है और वह आम आदमी को न्याय कब देती है। लोगों ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया है कि जब लोकतंत्र के चतुर्थ स्तंभ के साथ इस तरह का व्यवहार किया जा रहा है तो आम जनमानस की क्या दशा होगी इसकी कल्पना सहज ही की जा सकती है।