सकारात्मक पत्रकारिता से ही होती है पत्रकारों की पहचान - भगवान प्रसाद उपाध्याय
प्रयागराज।। " सकारात्मक पत्रकारिता से ही पत्रकारों की सही पहचान होती है और सार्थक सोच के फलस्वरूप सामाजिक बदलाव को उचित मार्गदर्शन मिलता है। "
उपरोक्त विचार भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक डा० भगवान प्रसाद उपाध्याय ने उस समय व्यक्त किया जब वे वर्तमान पत्रकारिता के मापदंड पर दिशा और दशा पर आयोजित एक चर्चा में अपना दृष्टिकोण रख रहे थे। डॉ उपाध्याय ने कहा कि वर्तमान पत्रकारिता को विकृत करने के लिए कुछ असामाजिक तत्व भी इस क्षेत्र में घुसपैठ कर चुके हैं जो केवल अपने निहित स्वार्थ की पूर्ति के लिए पत्रकारिता के गुणधर्म को जाने बिना इसके आंतरिक भावों को कलुषित कर रहे हैं और वह स्वयं को अवांछित तरीके से प्रदर्शित करने के लिए प्रत्येक स्तरहीन साधन अपनाने से परहेज नहीं करते।ऐसी विषम परिस्थितियों में सार्थक और सकारात्मक ऊर्जा के साथ पत्रकारिता धर्म का निर्वाह करने वाले विचलित होते हैं और उनकी भावनाओं पर कुठाराघात किया जाता है।
समाज के कल्याण के लिए रचनात्मक पत्रकारिता की जरूरत होती है किंतु आज देखा जा रहा है कि केवल किसी को परिधि में रखकर अपना स्वार्थ सिद्ध किया जाता है और कभी-कभी तो इतनी स्तरहीन विचार की प्रस्तुति होती है जिससे समाज में नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होता है | स्वच्छ छवि के पत्रकारों को अपने अस्तित्व बचाने की चिंता सता रही है और जो समाज की परवाह किए बिना केवल अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए इस क्षेत्र को साधन बना रहे हैं वह पत्रकारिता में प्रदूषण फैला रहे हैं जिन से बचने की जरूरत है | डॉ उपाध्याय ने कहा कि पत्रकारिता को उच्च शिक्षा के रूप में जिन्होंने गहन अध्ययन करके अपनाया है वही सार्थक विचार रख सकते हैं और जो केवल अल्प ज्ञान एवं अपूर्ण जानकारी होने पर भी इसमें अनावश्यक सहभागिता कर रहे हैं, उन पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है।