एक वर्ष में 16 पुरुष और 4653 महिलाओं ने अपनाई नसबंदी
● परिवार नियोजन के स्थाई साधनों के प्रति बढ़ी जागरुकता
बलिया।।अर्बन निवासी 32 वर्षीय हरिओम ( काल्पनिक नाम ) को नसबंदी के नाम से भी काफी डर लगता था। वह बताते है की उनको कई ग़लतफ़हमी थी। स्वास्थ्यकर्मियों के समझाने पर जब उन्होंने अपना नसबंदी करा लिया तो पता चला कि यह तो बेहद आसान तरीका है। मामूली सी एक शल्य क्रिया है। बताते हैं कि ऑपरेशन करा कर उसी दिन मैं घर भी आ गया। उन्होंने नसबंदी क्यों कराया? इसके फायदे भी बताते हुए वह कहते हैं कि जन्म दर को रोकने का एक का स्थाई, प्रभावी और सुविधाजनक उपाय हैं। यौन क्षमता पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
ब्लॉक रेवती निवासी 35 वर्षीय अमित कुमार (काल्पनिक नाम ) ने बताया कि जिस दिन मेरी नसबंदी होनी थी, तरह-तरह की भ्रांतियां और डर मेरे दिमाग में चल रहे थे । जब मैंने अपना नसबंदी करा लिया तो मुझे पता चला कि यह तो बहुत ही आसान तरीका है।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी/परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ० आनन्द कुमार ने बताया कि 1अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 तक जनपद में 16 पुरुष और 4653 महिलाओं ने नसबंदी कराकर परिवार नियोजन के स्थाई साधन अपनाये है। इसके अलावा दो बच्चों के बीच में सुरक्षित तीन साल का अंतर रखने के लिए महिलाओं ने अस्थाई साधन को भी अपनाया है। 5695 महिलाएं प्रसव पश्चात (पीपीआईयूसीडी) और 4680 महिलायें इंटरवल आईयूसीडी, 41,965 महिलाएं माला-एन अपना चुकी हैं। 38178 महिलाओं ने सप्ताहिक गर्भनिरोधक गोली छाया ली है। इसके अलावा जनपद में कुल 6367 महिलाओं ने अंतरा तिमाही गर्भ निरोधक इंजेक्शन लगवाया है।
नोडल अधिकारी ने बताया कि दो बच्चों के बीच सुरक्षित अंतर रखना मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक है। किसी महिला को दोबारा मां बनने के लिए कम से कम तीन साल का समय चाहिए होता है। इस अंतराल में मां अपने पहले शिशु की भी अच्छी तरह देखभाल कर पाती है। महिला का शरीर भी दोबारा मां बनने के लिए तैयार हो जाता है। तीन साल से पहले दूसरा बच्चा होने की स्थिति में मां और शिशु के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि पुरुष नसबंदी मामूली शल्य प्रक्रिया है। इसमें सामान्य सा चीरा लगता है। इसमें व्यक्ति को उसी दिन अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। यह महिला नसबंदी की अपेक्षा अधिक सुरक्षित और सरल भी है । इसके लिए न्यूनतम संसाधन, बुनियादी ढांचा और न्यूनतम देखभाल की आवश्यकता है। समाज में पुरुष नसबंदी को लेकर कई भ्रम है। इस भ्रम से पुरुषों को बाहर आना होगा। एक छोटा परिवार एवं सुखी परिवार की अवधारणा को साकार करने के लिए पुरुषों को आगे बढ़कर जिम्मेदारी उठानी होगी। उन्होंने बताया कि नसबंदी कराने वाले पुरुष लाभार्थी को ₹ 3000 प्रोत्साहन राशि के रूप में दिया जाता है। साथ ही नसबंदी के लिए प्रोत्साहित करने वाली आशा को 400 रुपये प्रति लाभार्थी दिए जाते हैं।
फैमिली प्लानिंग लॉजिस्टिक्स मैनेजर उपेंद्र चौहान ने बताया कि परिवार को सामाजिक एवं आर्थिक मजबूती बढ़ाने के लिए पुरुष आगे आकर अपनी जिम्मेदारी निभाएं तथा परिवार नियोजन अपनाकर नसबंदी कराए।