सीएम योगी का 50 वा जन्मदिन विशेष :भ्रष्टाचार-आतंकवाद-अपराध विरोधी संघर्ष के नायक की बनी छवि
अजय से योगी और योगी आदित्यनाथ से बुल्डोजर तक का सफर
ए कुमार / मधुसूदन सिंह
गोरखपुर।। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आज यानि कि सोमवार को जन्मदिन है. सीएम योगी के जन्मदिन पर देश के कई दिग्गज नेताओं ने शुभकामनाएं दी हैं. पीएम नरेंद्र मोदी,लोकसभा अध्यक्ष और बीजेपी सांसद ओम बिड़ला, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी , राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी सहित तमाम गणमान्य लोगो ने मुख्यमंत्री को बधाई दी है।
योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को पौड़ी गढ़वाल जिले के पंचूर गांव में हुआ। विभाजन से पहले उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश का हिस्सा था।आदित्यनाथ का बचपन का नाम अजय सिंह बिष्ट था।अपने माता-पिता के सात बच्चों में तीन बड़ी बहनों व एक बड़े भाई के बाद ये पांचवें थे एवं इनसे और दो छोटे भाई हैं। हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से इन्होंने गणित में बीएससी की परीक्षा पास की।
आदित्यनाथ अयोध्या के राम मंदिर आंदोलन से प्रभावित हुए और गोरखपुर आ गए और नाथ पंथ की दीक्षा ली। दीक्षा लेने के बाद इनका नाम योगी आदित्यनाथ पड़ गया। साल 1998 में पहली बार गोरखपुर सदर सीट आदित्यनाथ एमपी बने। योगी आदित्यनाथ के नाम सबसे कम उम्र में सांसद बनने का रिकॉर्ड है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके जन्मदिन की बधाई दी है। योगी आदित्यनाथ को उनके 51वें जन्मदिन के मौके पर उन्हें शुभकामना संदेश देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते छह सालों में योगी आदित्यनाथ ने राज्य का नेतृत्व शानदार तरीके से किया है। उनके नेतृत्व में राज्य का चौतरफा विकास हुआ है। पीएम मोदी ने कहा कि विकास के सभी अहम मानदंडों पर यूपी का विकास उल्लेखनीय है। प्रधानमंत्री मोदी ने सीएम योगी के स्वस्थ एवं लंबे जीवन की कामना की है।
भ्रष्टाचार-आतंकवाद-अपराध विरोधी संघर्ष के नायक
योगी जी के भ्रष्टाचार-विरोधी तेवर के हम सभी साक्षी हैं। अस्सी के दशक में गुटीय संघर्ष एवं अपराधियों की शरणगाह होने की गोरखपुर की छवि योगी जी के कारण बदली । अपराधियों के विरुद्ध आम जनता एवं व्यापारियों के साथ खड़ा होने के कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपराधियों के मनोबल टूटे। पूर्वी उत्तर प्रदेश में योगी जी के संघर्षों का ही प्रभाव था कि माओवादी-जेहादी आतंकवादी इस क्षेत्र में अपने पॉव नही पसार पाए। नेपाल सीमा पर राष्ट्र विरोधी शक्तियों की प्रतिरोधक शक्ति के रुप में हिन्दु युवा वाहिनी सफल रही है। आज उनका यही स्वरूप माननीय मुख्यमंत्री के रूप में सबके सामने है। प्रदेश भ्रष्टाचार-आतंक एव अपराध मुक्त होने की राह पर तेजी से बढ़ चला है।
विकास के पथ पर अनवरत गतिशील
योगी आदित्यनाथ जी महाराज के व्यक्तित्व में सन्त और जननेता के गुणों का अद्भुत समन्वय है। ऐसा व्यक्तित्व विरला ही होता है। यही कारण है कि एक तरफ जहॉ वे धर्म-संस्कृति के रक्षक के रूप में दिखते हैं तो दूसरी तरफ वे जनसमस्याओं के समाधान हेतु संवेदनशील रहते हैं। सड़क, बिजली, पानी, खेती आवास, दवाई और पढ़ाई आदि की समस्याओं से प्रतिदिन जुझती जनता के दर्द को समझने वाले जन-नेता के रूप में उनकी ख्याति के आज सभी साक्षी बन रहे हैं।
सामाजिक समरसता के अग्रदूत
‘जाति-पाँति पूछे नहिं कोई-हरि को भजै सो हरि का होई’ गोरक्षपीठ का मंत्र रहा है। महायोगी गोरक्षनाथ ने भारत की जातिवादी-रूढ़िवादिता के विरुद्ध जो उद्घोष किया, उसे इस पीठ ने अनवरत जारी रखा। गोरक्षपीठाधीश्वर परमपूज्य महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज के पद-चिह्नों पर चलते हुए पूज्य योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने भी हिन्दू समाज में व्याप्त कुरीतियों, जातिवाद, क्षेत्रवाद, नारी-पुरुष, अमीर-गरीब आदि विषमताओं, भेदभाव एवं छुआछूत पर कठोर प्रहार करते हुए, इसके विरुद्ध अनवरत अभियान जारी रखा है। गाँव-गाँव में सहभोज के माध्यम से ‘एक साथ बैठें-एक साथ खाएँ ‘ मंत्र का उन्होंने उद्घोष किया।
पीड़ित मानवता को समर्पित जीवन
वैभवपूर्ण ऐश्वर्य का त्यागकर कंटकाकीर्ण पगडंडियों का मार्ग उन्होंने स्वीकार किया है। उनके जीवन का उद्देश्य है - ‘न त्वं कामये राज्यं, न स्वर्ग ना पुनर्भवम्। कामये दुःखतप्तानां प्राणिनामर्तिनाशनम्।। अर्थात् ‘‘हे प्रभो! मैं लोक जीवन में राजपाट पाने की कामना नहीं करता हूँ। मैं लोकोत्तर जीवन में स्वर्ग और मोक्ष पाने की भी कामना नहीं करता। मैं अपने लिये इन तमाम सुखों के बदले केवल प्राणिमात्र के कष्टों का निवारण ही चाहता हूँ।’’ पूज्य योगी आदित्यनाथ जी महाराज को निकट से जानने वाला हर कोई यह जानता है कि वे उपर्युक्त अवधारणा को साक्षात् जीते हैं।