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इंडियन बैंक और बैंक ऑफ़ वड़ोदा में आधार कार्ड बनाने में हो रही है धड़ल्ले से अवैध वसूली, क्या बैंक अधिकारियों की भी है मिलीभगत?

 


मधुसूदन सिंह

बलिया।। पिछले दिनों यूनियन बैंक में जिस पैटर्न पर आधार कार्ड बनाने व संशोधन में अवैध वसूली की जा रही थी, का भंडाफोड़ हुआ था और चीफ मैनेजर ने तुरंत कार्यवाही करके उपरोक्त कार्य को करने वाली एजेंसी को कार्य करने से रोक दिया था। ठीक ऐसे ही कृत्य स्टेशन रोड पर स्थित इंडियन बैंक और बैंक ऑफ़ वड़ोदा में भी चल रहा है, लेकिन यहां यूनियन बैंक के चीफ मैनेजर जैसी दृढ इच्छा शक्ति दिखाने वाले मैनेजर नही दिख रहे है। यही कारण है कि इन दोनों बैंकों में आज भी धड़ल्ले से आधार कार्ड बनाने व संशोधन के नाम पर अवैध वसूली सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में चल रही है। लोगों का कहना है कि इस वसूली में बैंक के अधिकारी भी शामिल हो सकते है? अगर ऐसा नही होता तो यह अवैध वसूली नही होती।

इस कारण अधिकारियों पर उठ रही है उंगली?

बता दे कि इस तरह की अवैध वसूली का भंडाफोड़ हुए लगभग दो सप्ताह हो गये है। यह भी पता चला है कि जिस एजेंसी द्वारा  यूनियन बैंक में आधार बनाने का कार्य किया जा रहा था, उसी के पास इन बैंकों में भी आधार कार्ड बनाने का ठेका है। ज़ब इस एजेंसी की करतूत यूनियन बैंक में सामने आ गयीं, तभी इन बैंकों में भी इस पर रोक की कार्यवाही होनी चाहिए थी, जो आजतक नही हुई। इसी कारण से इन बैंकों के अधिकारियों पर भी इस एजेंसी से मिलीभगत का आरोप लग रहा है।

रेट सूची न लगने से हो रहा है गोरखधंधा

बता दे कि भारत सरकार ने नये आधार कार्ड बनाने के लिये कोई भी शुल्क नही रखा है यानी नया आधार कार्ड निःशुल्क बनेगा। वही आधार कार्ड में संशोधन के लिये 50 रूपये का शुल्क निर्धारित है। लेकिन इन बैंकों पर आप कही भी इस तरह की सूचना को चस्पा हुई नही देखेंगे। जबकि बैंक संबंधी सारी सूचनाएं चस्पा दिखेंगी। आखिर बैंक परिसर में ही ज़ब यह कार्य हो रहा है तो इससे संबंधी सूचनाएं क्यों नही प्रदर्शित है? सूचनाओं के प्रदर्शित न होने का ही कारण, अवैध वसूली है। रेट सूची प्रदर्शित न होने से आधार कार्ड बनवाने के लिये 100-150 और संशोधन के लिये 150-300 रूपये तक की वसूली की जा रही है।





कैश के नाम पर बैंक कर्मियों द्वारा किया जाता है मीडिया कवरेज का विरोध

ऐसी सूचनाओं पर ज़ब मीडिया कर्मियों द्वारा कवरेज करने का प्रयास किया जाता है तो बैंक कर्मियों द्वारा ही विरोध शुरू कर दिया जाता है, कहा जाता है कि यहां कैश का काम होता है, बिना परमिशन के कोई रिकॉर्डिंग नही की जा सकती है? अब सवाल यह उठ रहा है कि ज़ब बता कर रिकॉर्डिंग की जायेगी, तो कौन अवैध वसूली करते हुए पकड़ा जायेगा? बलिया एक्सप्रेस ने इसकी सूचना जिलाधिकारी बलिया को देते हुए तत्काल रोक लगाने की मांग की है।