फाइलेरिया रोगियों को प्रदान की गई एमएमडीपी किट
● प्रशिक्षण के माध्यम से फाइलेरिया प्रभावित अंगों की समुचित देखभाल के प्रति किया जागरूक
बलिया।। जनपद में गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग द्वारा कैंप आयोजित कर मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के फाइलेरिया कंट्रोल यूनिट में शहरी क्षेत्र के 21, नगरा ब्लॉक के अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नगरा मे 150 फाइलेरिया रोगियों को प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही फाइलेरिया प्रभावित अंगो की रुग्णता प्रबंधन के लिए एमएमडीपी किट भी प्रदान की गयी ।
इसी क्रम मे नवानगर ब्लॉक के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बघुरी मे पंद्रह सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता( सी एच ओ) को फाइलेरिया बीमारी के बारे में प्रशिक्षित भी किया गया।
जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) सुनील कुमार यादव ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर जनित रोग है। यह मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इसे लिम्फोडिमा (हाथी पांव) भी कहा जाता है। यह न सिर्फ व्यक्ति को दिव्यांग बना देती है बल्कि इस वजह से मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। शुरू में डॉक्टर की सलाह पर दवा का सेवन किया जाए तो बीमारी को बढ़ने से रोक सकते है। इससे बचाव के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें। घर के आस- पास व अंदर साफ-सफाई रखें, पानी जमा न होने दें और समय-समय पर रुके हुए पानी में कीटनाशक, जला हुआ मोबिल, डीजल का छिड़काव करते रहें।
डीएमओ ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी से बचने के लिए एमडीए अभियान के दौरान दो वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को दवा का सेवन करने की आवश्यकता है। गर्भवती व गंभीर रूप से बीमारी व्यक्ति को यह दवा नहीं खानी है। दवा के सेवन से फाइलेरिया रोग से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया के मरीजों के प्रभावित अंग को अच्छी तरह से साफ-सफाई कर रखना चाहिए, जिससे किसी प्रकार के संक्रमण से मरीज न प्रभावित हो। इसके लिए उन्हें साफ-सफाई और दवा का सेवन नियमित रूप से करना जरूरी है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में जनपद में फाइलेरिया के 4954 मरीज हैं। इसमें हाइड्रोसील के 780 और लिम्फोडीमा के 4174 मरीज हैं। हाइड्रोसील के 780 मरीजों में से 117 मरीजों का सफल ऑपरेशन हो चुका है। लिम्फोडीमा के 4174 मरीजों में से 2017 मरीजों को एमएमडीपी किट वितरित की जा चुकी है।
क्या कहा लाभार्थियों ने
शहरी क्षेत्र के काजीपुरा निवासी मरियम उम्र 55 वर्ष ने बताया कि मेरे दाहिने पैरमेफाइलेरिया( हाथी पांव) का संक्रमण है। फाइलेरिया से रोकथाम, बचाव के लिए आज मुझे मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में बने फाइलेरिया कंट्रोल यूनिट में प्रशिक्षण दी गयी एवं व्यायाम के बारे में बताया गया। साथ ही रुग्णता प्रबंधन किट दी गयी। इस किट में बाल्टी,टब, मग, लाइफ ब्वाय साबुन, तौलिया एवं एंटी फंगल क्रीम है। इसका प्रयोग दैनिक रूप से करना बताया गया है ।
शहरी क्षेत्र के जीयन के छपरा (महिला हॉस्पिटल के पीछे) निवासी हंस प्रकाश सिन्हा उम्र 52 वर्ष ने बताया कि मेरे दाहिने पैर में फाइलेरिया( हाथीपांव) का संक्रमण है। आज मुझे मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में बने फाइलेरिया कंट्रोल यूनिट में फाइलेरिया से रोकथाम, बचाव के लिए प्रशिक्षण दिया गया एवं व्यायाम के बारे में बताया गया। साथ ही रुग्णता प्रबंधन किट भी दी गयी। रुग्णता प्रबंधन किट के द्वारा पैर की साफ- सफाई एवं पैर धोने का अभ्यास कराया गया। व्यायाम में बताया गया कि रात को सोते समय पैरों के नीचे तकिया लगाना और बैठते समय प्रभावित अंग को थोड़ा ऊपर कर बैठना बताया गया।