जिलाधिकारी से शिकायत के बाद भी नही रुका निर्माण कार्य, नायब तहसीलदार की भूमिका पर पीड़ित ने उठाया सवाल
बलिया।। नगरा बाजार ज़ब से नगर पंचायत बना है, इसके अंदर की जमीनो के भाव बेतहाशा बढ़ गये है। भाव बढ़ने से एक दूसरे की जमीनो पर कब्जे करने की घटनाये भी सामने आ रही है। नगरा क्षेत्र के एक पत्रकार ही न्याय के लिये नगरा थाने से लेकर एसडीएम रसड़ा और जिलाधिकारी तक दौड़ लगा रहे है लेकिन नायब तहसीलदार की विपक्षियों से दूरभिसन्धि के चलते न्याय नही प्राप्त कर पा रहे है।
बता दे कि पीड़ित पत्रकार विनोद सोनी के पिता जी स्व कैलाश ने 14 जून 1966 को कन्धई अहीर से 1000 रूपये में बैनामा के आधार पर नगरा बाजार में जमीन खरीदी थी। स्व कैलाश ने इस जमीन पर अपने साथ ही अपने अन्य दो सगे भाइयों कमला और शिव प्यारे का भी नाम दर्ज कराया था। इस तरह इस भूखंड पर तीनों भाइयों का बराबर हिस्सा हुआ। कमला के पुत्रो ने अपने 1/3 हिस्से पर पहले ही पक्का मकान बना लिया है। अब शेष बचे भूखंड पे कैलाश व शिवप्यारे के बच्चों का आधा आधा हिस्सा कानूनी रूप से हुआ। सूच्य हो कि शिवप्यारे का एक पुत्र था जो बहुत पहले ही मर चूका है, वही शिवप्यारे और इनकी पत्नी भी इस दुनिया में नही है। इनके हिस्से पर इनकी पुत्री उषा काबिज है।
बवाल तब पैदा हुआ ज़ब ऊषा देवी अपनी पुरानी मकान की जगह नया मकान बनाने लगी और हिस्से से अधिक पर निर्माण कार्य जबरिया शुरू करा दिया। पीड़ित पत्रकार विनोद सोनी ने इसकी शिकायत थाने पर की, जिसके बाद कुछ दिनों तक काम रुक गया। लेकिन ज़ब से इस प्रकरण में एसडीएम रसड़ा के आदेश पर जांच आख्या देने के लिये नायब तहसीलदार साहब की इंट्री हुई, सब कुछ पटरी से उतर गया। लेखपाल, कानूनगो की रिपोर्ट के बाहर जाकर नायब साहब ने ऊषा देवी को निर्माण कार्य को रोकने के बजाय शुरू करा दिया लेकिन रिपोर्ट नही दिया। यही नही ऊषा देवी शिवजोर नामक व्यक्ति से साढ़े 14 फिट चौडाई का बैनामा पीड़ित पत्रकार विनोद सोनी के आराजी नंबर 886 में ही करा लिया है। जबकि इस आराजी पर 1966 से ही कैलाश कमला और शिवप्यारे के अलावा किसी का भी नाम दर्ज नही था। ज़ब शिवजोर नामक व्यक्ति का 886 में कोई जमीन का टुकड़ा ही नही था तो फिर बैनामा कैसे कर दिया? और इस बैनामा कराने वाली महिला के खिलाफ कार्यवाही करने की बजाय नायब तहसीलदार शह क्यों दे रहे है, यह सोचने वाली बात है।
पीड़ित पत्रकार विनोद सोनी ने इसकी शिकायत जिलाधिकारी बलिया से की, जिसके बाद एसडीएम रसड़ा ने फिर आख्या तलब की लेकिन नायब साहब है कि जबतक निर्माण कार्य पूर्ण न हो जाय, रिपोर्ट देने वाले है नही। नतीजन रात में भी निर्माण कार्य जारी है। अगर इसकी जांच करनी हो तो कोई भी विनोद सोनी के घर लगे सीसीटीवी फुटेज को देख सकता है। देखिये कैसे एसडीएम के आदेश --अवैध निर्माण न होने पाये, की धज्जियां उड़ रही है। ज़ब सीमांकन हुआ ही नही तो निर्माण वैध है या अवैध कैसे साबित होगा? अब देखना है कि जिलाधिकारी महोदय और स्थानीय पुलिस क्या कार्यवाही करती है।