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महिला पहलवानों का आंदोलन : अब कितने सबूत चाहिए दिल्ली पुलिस को ब्रज भूषण शरण सिंह के खिलाफ



मधुसूदन सिंह

बलिया।। महिला पहलवानों के सम्मान में बलिया एक्सप्रेस मैदान में।जी हां, देश की नामचीन महिला पहलवानों के साथ, देश के सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद यौन उत्पीड़न के केस में भी जिस तरह से दिल्ली पुलिस जांच कर रही है, जिस तरह से पीड़ितों के खिलाफ ही दिल्ली पुलिस का रवैया दिखा है, इससे साफ जाहिर हो गया है कि इन महिला खिलाड़ियों ने जिस बृजभूषण शरण सिंह पर आरोप लगाया है, उसके खिलाफ कार्यवाही करने की स्थिति में दिल्ली पुलिस नही है।यही कारण है कि बलिया एक्सप्रेस भी महिला पहलवानों की आवाज में अपनी आवाज मिला रहा है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाले प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की इस प्रकरण में चुप्पी से अब यह बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा बेटियों के खिलाफ गाली देने जैसे लग रहा है।  पुलिस बृजभूषण शरण सिंह पर लगे आरोप,जैसे आरोप अगर किसी आम जन पर लगे तो उसको पकड़ कर जेल में डालने में तनिक भी देर नही करती है, वह श्री सिंह के खिलाफ ठोस साक्ष्य नही मिलने का बयान देती है। जबकि यौन उत्पीड़न जैसे मामलों में पुलिस को पहले गिरफ्तारी, पीड़िता के कोर्ट में बयान के बाद ही करनी है, जांच बाद में करनी है। लेकिन चुंकि आरोपी बाहुबली बीजेपी के सांसद है, ऐसे में इनकी गिरफ्तारी बाद में होंगी, पहले जांच कर साक्ष्य जुटाया जायेगा कि आरोप सही है कि नही। ध्यान दीजियेगा यह केवल ऐसे बड़े लोगों के केस में ही होगा, आम लोगों के केस ने गिरफ्तारी पहले जांच बाद में होंगी।





देश के अधिकतर मीडिया घराने भी चुप है, उनको समझ में ही नही आ रहा है कि इस खबर को प्रकाशित करें तो कैसे? पहलवानो के पक्ष में छापे तो सरकारी विज्ञापन न बंद हो जाय? एक तो ऐसे बड़े पत्रकार है जो पहलावानों को जो मैडल मिला है उसको सरकार का उपहार साबित करते है, यानी इनकी नजर में ये महिला पहलवान कुश्ती में लड़ने नही भी उतरती तो उनको मैडल मिलना, पत्रकार महोदय की सोच के अनुसार पक्का था। इनको जो सरकार ने इनाम दिया वह इनकी काबिलियत पर नही बल्कि सरकार ने दया दिखाते हुए दिया। बता दे कि ये वही पत्रकार साहब है जिनको 2000 की नोट में चिप्स दिखे थे लेकिन इनको आज तक बेरोजगार नही दिखे है। इनको महंगाई तो जैसे दिखती ही नही है।

उपरोक्त पत्रकार साहब की कटघरियों के पत्रकार ठीक उसी तरह सरकार का बचाव करना अपना परम् धर्म समझते है जैसे सेना में किसी ऑपरेशन में टीम को आगे भेजनें के लिये कवर फायर दिया जाता है। उपरोक्त श्रेणी के पत्रकार भी सरकार को बचाने के लिये कवर फायर देकर जनता का ध्यान सरकार को असहज करने वाले मुद्दों से हटाते है। लेकिन इन सब के बावजूद देश में कुछ ऐसे पत्रकार और लोक गायक है जो स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता को जिन्दा रखे हुए है। अगर समाचार पत्रों की बात करें तो इंडियन एक्सप्रेस, द टेलीग्राफ और दैनिक भास्कर को छोड़कर देश का कोई भी नामचीन अख़बार इस प्रकरण को वो जगह नही दे रहा है, जो देना चाहिए।

ईमान की बात करना अब बेईमानी कहा जायेगा। क्योंकि आजकल 5 किग्रा राशन में सबका ईमान बंधक हो गया है। लोगों को आरोप लगाने वाली बेटियां अपनी नही लग रही है, देश को गौरवान्वित करने वाली बेटियां अगर कह रही है कि फलां ने मेरे टी शर्ट में हाथ डाला, मुझे गलत इरादे से जकड़ा, हम विस्तर होने के लिये दबाव डाला, छाती पर हाथ रखकर सांस लेने की स्पीड नापने की कोशिश की, तो इन लोगों को विश्वास नही हो रहा है या ये लोग भी मीडिया घरानो की तरह ही विज्ञापन के मोह की तरह ही,मुफ्त में मिल रहे 5 किग्रा अनाज के मुंह खोलते ही बंद होने से घबरा रहे है और देश के बहादुर बेटियों की अस्मत को 5 किग्रा राशन के बदले बदनाम होने दे रहे है, क्योंकि इनके ईमान या तो बंधक है या मर गये है।

इंडियन एक्सप्रेस और द टेलीग्राफ के द्वारा छापी गयीं महिला पहलवानों की दर्द भरी दास्तांनो के बाद भी पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की चुप्पी यह बयां कर रही है कि आरोपी की हैसियत कितनी बड़ी है। द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित पूर्व कोच महावीर फोगाट ने तो यहां तक कह दिया है कि अब बच्चियां कभी मैदान में ही नही उतरेंगी। साथ ही यह भी कह दिया है कि जिस तरफ देश की जनता ने अंग्रेजी शासन को उखाड़ फेका था, उसी तरफ इस सरकार को भी फेक देगी।

इस खबर पर पहले दिन से ही लगातार आवाज उठाने वाले जाँबाज पत्रकारों अजीत अंजुम जी रविश कुमार अशोक बानखेड़े, अभिसार जी और लोक गीत गायिका नेहा सिंह राठौर को बलिया एक्सप्रेस सलाम करता है जिन लोगों ने महिला पहलवानों की आवाज में अपनी आवाज मिलाकर जनता को हकीकत से रूबरू कराया नही तो देश के हिंदी अखबारों ने तो इनको आंदोलन को खत्म ही घोषित कर दिया था। ये वही अख़बार और टीवी चैनल वाले है जो किसान आंदोलन में आतंकवादी एंगल खोज निकाले थे।

बलिया एक्सप्रेस का मानना है कि आरोपी चाहे कितना भी बड़ा आदमी क्यों न हो, पुलिस को उसके खिलाफ भी वैसा ही सलूक करना चाहिए जैसे आम आदमी के साथ करती है। अगर इस केस में पहले सबूत मिलेंगे तब गिरफ्तारी की नीति है तो यही नीति सब लोगों पर लागू होनी चाहिए। वही देश के प्रधानमंत्री जी से भी निवेदन है कि आप तो लोगों की बातों को अपनी मन की बात के माध्यम से बता देते है। अगस्त 2021 में ही एक मैडलिस्ट खिलाड़ी ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न को बता दिया था, फिर आप देश की इज्जत को विदेशी मीडिया के माध्यम से हो रही जग हंसायी को क्यों नही रोक रहे है? क्या देश के इतिहास के सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री भी बेटियों को न्याय दिलाने की बात पर भीष्म पितामह जैसी चुप्पी रखकर बेटियों की इज्जत को तारतार होने से नही रोक सकते है। प्रधानमंत्री जी अगर अब आप नही बोले, कार्यवाही नही कराये, तो मेरा सुझाव है कि फिर अपने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को हटवा दीजिये।

अब आप अजीत अंजुम जी, रविश कुमार जी, नेहा सिंह राठौर और अशोक बानखेड़े की यह रिपोर्ट देखिये ---