स्थानांतरण शासनादेश एएनएम संवर्ग पर कब होगा लागू ?
मधुसूदन सिंह
बलिया।। उत्तरप्रदेश सरकार ने सभी कर्मचारियों के लिये स्थानांतरण नीति घोषित कर रखी है। राज्य स्तरीय केंद्रीकृत कर्मचारियों का तो जनपद से बाहर स्थानांतरण एक निर्धारित समयावधि के बाद हो जाता है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग में कुछ ऐसे भी पद है जिनका स्थानांतरण जिला स्तर पर ही होता है। लेकिन ये इतने लामबंद रहते है कि इनको स्थानांतरित करने की हिम्मत मुख्य चिकित्सा अधिकारियों में नही होती है। नतीजन ये लोग अपनी सर्विस की शुरुआत के तैनाती स्थान से ही सेवानिवृत भी होती है।
हम बात कर रहे है एएनएम संवर्ग की। इन लोगों का स्थानांतरण आपको शायद ही देखने को मिले। इनमे से जिनकी तैनाती प्रसव की सुविधा वाली पीएचसी / सीएचसी पर होती है, उनको हटाना किसी भी सीएमओ के लिये टेढ़ी खीर होती है। क्योंकि प्रसव में प्रसूताओं के परिजनों से ली जाने वाली जबरदस्ती की बख्शीस छोड़ना ये कत्तई पसंद नही करती है। यही नही टीकाकरण केंद्रों पर भी निःशुल्क टीको के बदले पैसा लेकर टीका लगाने के कारण इनके मुंह में जो खून लग जाता है, के कारण इनको हटाना नामुमकिन है।
बता दे कि बलिया में आपको ऐसी अधिकतर एएनएम मिल जायेगी जो अपने तैनाती स्थल पर 5 साल,10 व 15 सालों से भी अधिक समय से तैनात है लेकिन कोई भी सीएमओ इनको आजतक हटा नही सका है। जबकि जिला स्तरीय सरकारी सेवकों का प्रत्येक 3 साल बाद पटल बदलने का शासनादेश है। लेकिन यह बलिया है। इसको हजारी प्रसाद द्विवेदी ने ऐसे ही थोड़े जिला नही देश कहा था। यहां जिला स्तरीय कर्मियों पर यूपी सरकार का नही बल्कि बलिया के धौंस वाला आदेश चलता है। अगर नही होता तो अबतक सीएमओ बलिया ने स्थानांतरण सत्र शुरू हो जाने के बाद स्थानीय स्तर पर ऐसे एएनएम की सूची बनवा कर जो 3 साल से अधिक समय से एक ही पटल का कार्य देख रही है, उनको वर्तमान पटल से हटाकर दूसरे पटल पर तैनाती का आदेश जारी कर दिये होते। चाहे सीएम योगी हो या डिप्टी सीएम बृजेश पाठक जी हो, कितना भी आदेश निर्गत करें, बलिया में वर्षो से कुंडली मारकर बैठी एएनएम का कुछ भी बिगड़ नही सकता है। स्वास्थ्य विभाग के अन्य पैरा मेडिकल स्टॉफ यही कहते मिल जायेंगे कि काश हमारी भी किस्मत एएनएम जैसी होती।