अटेवा की NPS निजीकरण भारत छोड़ो यात्रा पहुंचेगी 5जून को बलिया, कलेक्ट्रेट पर होंगी सभा
बलिया।। अटेवा पेंशन बचावो मंच, उत्तर प्रदेश एवं NMOPS द्वारा प्रस्तावित #NPSनिजीकरण भारत छोड़ो यात्रा 4 जून की सायं जयप्रकाश जी की जन्मस्थली जय प्रकाश नगर में अटेवा/NMOPS के अध्यक्ष विजय कुमार बंधु के नेतृत्व में पहुँचेगी। जहाँ रात्रि विश्राम के पश्चात 5 जून की सुबह 8 बजे सम्पूर्ण क्रांति के जनक जयप्रकाश जी की प्रतिमा पर माल्यर्पण एवं नमन कर आगे को प्रस्थान करेगी। यात्रा बैरिया-बेलहरी-हल्दी-दुबहर होते हुए 10 बजे प्रातः जिलाधिकारी कार्यालय स्थित धरना स्थल पहुँचेगी,जहाँ स्वागत का कार्यक्रम रखा गया है। यह जानकारी कार्यक्रम के प्रभारी अटेवा के जिला प्रवक्ता विनय राय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी । श्री राय ने बताया कि यात्रा की सभी व्यवस्थाओं को समय से पूर्ण कर लिया गया है और जय प्रकाश नगर ,सिताब दियारा से आंरभ होने वाली इस यात्रा की ऐतिहासिक सफलता के लिए समस्त पेंशन विहीन साथियों का सक्रिय सहयोग अपेक्षित है।उक्त अवसर पर जिला मीडिया संयोजक संजीव कुमार सिंह भी उपस्थित रहे।
अटेवा की NPS निजीकरण भारत छोड़ो यात्रा पहुंचेगी 5जून को बलिया, कलेक्ट्रेट पर होंगी सभा
पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन के लिये पूरे देश के सरकारी कर्मचारी आंदोलित है। एक तरफ सरकार जहां कर्मचारियों को गारंटेड पुरानी पेंशन को बंद करके शेयर आधारित नयी पेंशन दे रही है, तो वही विधायकों सांसदों को पुरानी पेंशन ही दे रही है। इसी दोहरी नीति का कर्मचारियों द्वारा विरोध किया जा रहा है। अटेवा के अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने इस आंदोलन को अंग्रेजों के खिलाफ बापू के आंदोलन और तानाशाही सरकार इंदिरा गांधी के खिलाफ जेपी द्वारा छेड़े गये आंदोलन, दोनों के उद्भव वाले स्थानों चम्पारण और सिताब दियारा (अब जय प्रकाश नगर ) से होकर चलाने के पीछे भी सम्पूर्ण क्रांति जैसा माहौल देश भर में बनाने से है। श्री बंधु जी का मानना है कि देश भर के कर्मचारियों को लामबंद होकर आंदोलन करना होगा तब जाकर पुरानी पेंशन बहाल हो पायेगी।
पांच जून 1974 : सम्पूर्ण क्रांति का जेपी ने किया था उद्घोष
बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान से 5 जून 1974 को जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया था। तब जेपी ने कहा था कि ”सम्पूर्ण क्रांति से मेरा तात्पर्य समाज के सबसे अधिक दबे-कुचले व्यक्ति को सत्ता के शिखर पर देखना है.” उस वक्त गांधी मैदान में नारा गूंजा था-
‘जात-पात तोड़ दो, तिलक-दहेज छोड़ दो।
समाज के प्रवाह को नयी दिशा में मोड़ दो.’
इसी आह्वान के साथ शुरू हुई संपूर्ण क्रांति के रास्ते देश, समाज व बिहार की राजनीति जब आगे बढ़ी तो देश में सामाजिक बदलाव की कहानी भी बुनी जाने लगी। पिछड़ा वर्ग का उभार हुआ और सत्ता-समाज में उपेक्षित तबके की भागीदारी लगातार बढ़ने लगी। आज राज्य की सत्ता के शीर्ष पर इसी पिछड़ा उभार के परिणाम से निकले नेता नायक बनकर उभरे हैं।
जयप्रकाश नारायण को लोग जेपी भी कहकर पुकारते थे और इनके कई अनुयायियों में से कइयों को ‘जेपी का चेला’ भी कहा जाता था। जेपी के इसी आंदोलन से ऐसे कई नेता निकले जो सत्ता के शीर्ष तक पहुंचे। कुछ नेता वो थे जिन्होंने सीधे-सीधे जेपी के पीछे आंदोलन का झंडा उठाया, तो कुछ नाम ऐसे भी रहे जो आंदोलन के बाद लगे आपातकाल के कारण चर्चा में आए। बिहार से उठे जेपी के संपूर्ण क्रांति के नारे का असर पूरे देश में देखने को मिला था। वर्तमान में बिहार से लेकर देश तक की बागडोर जेपी के अनुयायियों के हाथों में है।