पुलिस अधीक्षक जल्द करेंगे अपनी नई टीम का गठन, थानों में फैले भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की कबायत अंतिम दौर में
मधुसूदन सिंह
बलिया।। पिछले 23 जून को शासन द्वारा बलिया के पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात किये गये एस आनंद, जिनकी ख्याति एक स्वच्छ और अपराधों पर नियंत्रण रखने वाले कुशल पुलिस अधिकारी की है, कार्यभार ग्रहण करने के लगभग 15 दिन बीत गया है। लेकिन बिहार सीमा से लगने वाले थानों की कार्य संस्कृति में पिछले पुलिस अधीक्षक के समय से कोई बदलाव नही दिख रहा है। बता दे की शराब की अवैध तस्करी इन्ही थाना क्षेत्रों से ही नदियों के रास्ते होती है। इसकी पिछले पुलिस अधीक्षक के कार्यकाल में कई बार शिकायत भी,आम जनों द्वारा की गयी थी लेकिन कार्यवाही के नाम पर सिर्फ लीपापोती ही हुई है। एक चर्चित थाने में तो शिकायतकर्ताओ की सूची में शामिल युवा परचून दुकानदार को ही पुलिस ने शराब तस्करी में गिरफ्तार कर जेल भेजनें का बड़ा काम किया । इसी थाना क्षेत्र में एक बुजुर्ग को उसके दो बेटों द्वारा की गयी हत्या में भी मृतक की बहु से 8 हजार रूपये पिछले दिनों हुई मारपीट के लिये लेने का आरोप खुद बहु ने ही लगा कर सनसनी फैला दी है।
पिछले कार्यकाल में थाना छोड़िये, चौकियों पर भी तैनाती में न जाने किस कारण से महीनों तक का बिलम्ब होता था और अधीनस्थ ही प्रभारी की भूमिका निभाते थे। आज भी लगभग आधे दर्जन चौकियों पर प्रभारी नही है। नतीजन रसड़ा कोतवाली के उत्तरी पुलिस चौकी पर दीवान ही चौकी प्रभारी बन कर पुलिस रेगुलेशन एक्ट की धज्जियां उड़ा रहा है और इसकी वीडियो भी वायरल हो गयी है।
बलिया की तेजतर्रार एसओजी टीम भी यहां के अनसुलझे केस को सुलझाने में कम और शराब तस्करी को पकड़ने में जितनी तत्परता दिखायी, अगर अन्य मामलों में दिखायी होती तो पिछले पुलिस अधीक्षक का कार्यकाल और सफल कहलाता। सीमावर्ती थानाध्यक्ष आज भी पिछली कार्य संस्कृति से ही कार्य करते हुए दिख रहे। एकाध केस छोड़ दीजिये जो पुलिस अधीक्षक एस आनंद के आने के बाद पकड़े गये है। अभी रविवार की देर रात ही मांझी चेक पोस्ट पर बिहार पुलिस ने बलिया से शराब लदी पिकअप को पकड़ा है जिसमे 50 पेटी शराब थी। अब सवाल यह है कि यह पिकअप बैरिया थाना क्षेत्र को पार करके कैसे बिहार सीमा तक बलिया पुलिस की मिट्टी पलित कराने पहुंच गयी, इसकी जांच होनी चाहिए।यह शराब आरा पहुंचानी थी।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर शराब तस्कर गये कहां? क्या बलिया में शराब तस्करी रुक गयी है या नये पुलिस अधीक्षक के रुख को भाँपने का प्रयास हो रहा है।सूत्रों की माने तो नये पुलिस अधीक्षक भी अब धीरे धीरे बलिया पुलिस की कार्य प्रणाली से परिचित भी हो गये है और कौन थानाध्यक्ष कितने दिनों से और कितनी शिकायतों के बाद भी जमा हुआ है, यह सब जान चुके है। यह भी जान चुके है कि किन किन थाना क्षेत्रों के किन किन रास्तों से अवैध शराब की तस्करी होती है। यह भी जान चुके है कि कौन थानाध्यक्ष जनता की बात निष्पक्ष रूप से सुनता है और कौन नही। सभी थानेदारों की कुंडली पुलिस अधीक्षक के पास पुलिस अधीक्षक के आंख नाक कान कहलाने वाले विंग के द्वारा उपलब्ध करा दी गयी है। यही नही पुलिस ऑफिस में कार्यरत तेजतर्रार पुलिस निरीक्षकों के पिछले कार्यकाल को भी पुलिस अधीक्षक द्वारा मंगा कर देखा जा रहा है। पुलिस अधीक्षक जल्द से जल्द चुस्त दुरुस्त पुलिस व्यवस्था बलिया की जनता को देने हेतु मंथन कर रहे है, टीम के खिलाड़ियों का नाम भी लगभग तय माना जा रहा है।अब बस पुलिस अधीक्षक के द्वारा थानेदारों के स्थानांतरण की सूची पर हस्ताक्षर होना बाकी होना बताया जा रहा है।