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खुलासा :मरीज बेच कर मालामाल हो रहे है एम्बुलेंस संचालक, पूरे यूपी में चल रहा है खेल




मधुसूदन सिंह

बलिया।। मरीज बेचकर मालामाल हो रहे है एम्बुलेंस संचालक, यह बात सुनकर आपको अटपटी तो लग रही है लेकिन यह सोलह आने सच्ची है। बलिया समेत प्रदेश का ऐसा कोई जिला नही है जहां मरीज नहीं बेचे जा रहे है। इनके एजेंट के रूप में सरकारी अस्पतालों के गेट के सामने ठेलो पर या गुमटीयों में चाय समोसा बेचने वाले काम करते है। मरीजों के परिजन इनके यहां चाय पीते है, नाश्ता करते है और अपनी परेशानी को अपने परिचितों से आमने सामने या मोबाइल से शेयर करते है। इसी दौरान ये दुकानदार धीरे धीरे परिजन को अपनी बातों की गिरफ्त में लेते है। इनके द्वारा बताया जाता है कि फलां एम्बुलेंस संचालक का इस रोग के अच्छे डॉक्टर से संपर्क है जो कम पैसे में इलाज करते है, अपने मरीज की जान बचानी हो तो तुरंत सरकारी अस्पताल से मरीज को निकाल कर उनके यहां चले जाइये। परेशान परिजन इनके झांसे में आकर एम्बुलेंस के साथ खुद ही लूटने के लिये उस चिकित्सक के अस्पताल में चला जाता है, जहां शुरू होता है अंतहीन आर्थिक शोषण का दौर।

सबसे ज्यादे तो दलालों का अड्डा महिला अस्पताल होता है। जहां सरकारी चिकित्सक नार्मल डिलेवरी को भी इतना कॉम्प्लिकेटेड दर्शा देती है कि परिजन बहुत परेशान हो जाते है। तभी उसी चिकित्सक के एजेंट परिजनों को डॉक्टर साहिबा से प्राइवेट में दिखाने की सलाह देकर मरीज को उनके नर्सिंग होम तक पहुंचा देते है। नतीजन जो इलाज सरकारी अस्पताल में बिना पैसे का होता, वह 30 से 40 हजार में होता है।

खून पेशाब अल्ट्रासॉउन्ड जांच में भी घपला

जिला अस्पताल हो या महिला अस्पताल हो इसके आसपास कुकुरमुत्ते की तरह खून पेशाब जांच और अल्ट्रासॉउन्ड केंद्र अनाधिकृत रूप से संचालित होते है। खून पेशाब जांच में ये जांच घर वाले वही रिपोर्ट देते है जो इनके पास भेजनें वाले चिकित्सक का निर्देश होता है। बिना जांच के ही कंप्यूटर से रिपोर्ट तैयार के मरीज को दे दी जाती है जिसके आधार पर चिकित्सक मनमाने ढंग से मरीज का आर्थिक दोहन के लिये इलाज करते है। वही बिना योग्य चिकित्सक के अल्ट्रासॉउन्ड भी किया जाता है और रिपोर्ट चिकित्सक की मर्जी के अनुरूप तैयार करके दे दी जाती है। ऐसे केंद्रों के खिलाफ अभियान तो चलता है लेकिन इनका बिगड़ता कुछ नही है क्योंकि सभी को ये हिस्सा जो पहुंचाते है।





कैसे खुलासा हुआ एम्बुलेंस संचालकों का कृत्य 

गोरखपुर।। एम्बुलेंस संचालकों के मालामाल होने और मरीजों को बीआरडी मेडिकल कॉलेज से बेचे जाने की मिलने वाली शिकायतों पर गोरखपुर पुलिस ने ज़ब जांच शुरू की तो हकीकत काफी चौकाने वाली निकली। ट्रामा सेंटर के सामने ठेला लगाकर चाय समोसे बेचने वाले आलीशान कोठियों और बड़ी बड़ी लक्ज़री गाड़ियों के स्वामी निकले।एएसपी मानुष पारिक ने कहा कि पुलिस ने एंबुलेंस मरीज माफिया की जांच की है। उसमें पांच स्तर से मरीज की बाहर भेजने की पुष्टि हुई है। पुलिस की ओर से मेडिकल कॉलेज प्रशासन को भी जानकारी दी गई है। स्वास्थ्य मेडिकल प्रशासन के सहयोग से पूरे गठजोड़ पर कार्रवाई की जाएगी।


बीआरडी मेडिकल कॉलेज से मरीज बिकते हैं। यह बात कहने, सुनने में थोड़ी अजीब जरूर है, लेकिन पूरी तरह सही है। इसका खुलासा खुद पुलिस की गोपनीय जांच में भी हुआ है। पता चला है कि मेडिकल कॉलेज के गेट पर चाय, नमकीन और पानी के सात ऐसे ठेले वाले हैं, जो मरीज बेचकर आलीशान बंगले के मालिक बन गए हैं।चाय बेचने वाले ने भटहट में आलीशान बंगला बनाया है और दूसरा लग्जरी गाड़ी खरीदकर लाया है। इसी तरह बाकी ठेले वालों ने भी बंगले और गाड़ियों में खूब पैसा लगाया है। पुलिस को भी इसकी भनक लगने के बाद पूरा खेल खुल चुका है और जांच करके प्रमाण जुटाए जा रहे हैं।


एंबुलेंस मरीज माफिया के तार एक दूसरे से ऐसे जुड़े हैं कि किसी को भनक भी नहीं होती और सस्ते इलाज की आस लिए मेडिकल कॉलेज आया मरीज बिक कर एक नर्सिंग होम में पहुंच जाता है। फिर के बिल चुकाने के लिए जमीन- जायदाद तक बेचनी पड़ जाती है। उधर, इस गंदे धंधे में लगे लोग मालामाल हो रहे हैं।इस गठजोड़ को तोड़ने में लगी पुलिस अब स्वास्थ्य विभाग से मदद मांग रही है। खबर है कि पूरी रिपोर्ट के आधार पर मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने भी कार्रवाई और सहयोग का भरोसा दिया है।