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15 अगस्त (शनिवार) 1942:बैरिया थाने पर झंडा फहरा



मधुसूदन सिंह 

बलिया।। सुमेरनपुर रेलवे स्टेशन पर दिन में तीन बजे के लगभग हजारों की संख्या  जन-समूह इन्कलाब जिन्दाबाद, अंग्रेजों भारत छोड़ो के नारे लगाते हुए स्टेशन पर टूट पड़ा। रेल की पटरियों को उखाड़ फेंका, टेलीफोन के तारों को काट डाला और सिंगनल को तोड़-फोड़ दिया। स्टेशन पर मिट्टी का तेल छिड़क कर आग लगा दी। स्टेशन की इमारत धुं धुं कर जलने लगी। वहीं से एक दल वकुलहा स्टेशन की तरफ बढ़ा रास्ते में तार के खम्भों को तोड़ते हुए बकुलहा स्टेशन पर पहुंच कर उसमें आग लगा दी । रेवती स्टेशन की तरफ कुछ लोग चले । वे भी रास्ते में तार के खम्भों को तोड़ते हुए, रेल की पटरियों को उखाड़ते हुए रेवती स्टेशन के कागजात और मेज कुर्सियों में आग लगा दिये । इस सम्बन्ध में सर्व श्री ठाकुर मिश्र, रामधार सिंह, वंशरोपन राय, शिवपूजन राय, भगवती पाण्डेय, शिवपूजन सोनार, सुन्द नोनिया, डोमन चमार आदि पर रिपोर्ट हुई थी ।





जिले के कोने-कोने में आन्दोलन की सरगर्मी छाने लगी । लोग सरकारी इमारतो तथा थानों पर से ब्रिटिश सरकार के आधिपत्य को मिटा देने के लिए निकल पड़े। बलिया के पूर्वी अंचल में बैरिया थाने पर 12 बजे दिन में हजारों की संख्या मे जन-समूह पहुंचा। जन-समूह से डा० अयोध्या सिंह, राम अवतार, भूपनारायण सिंह और सुदर्शन सिंह थानेदार से बात करने के लिए थाने के अन्दर गये। इन्होने थानेदार से कहा कि आज से आप स्वराज्य सरकार मान लीजिए। थानेदार जन समूह को देखते हुए कहा कि हम आपके तावेदार हैं। एक तिरंगा झंडा थानेदार ने स्वयं थाने पर फहराया और जन-समूह नारे लगाते हुए प्रसन्नता पूर्वक रानीगंज बाजार गया वहाँ गांजे-भांग की दुकानों को लूट लिया।


उसी दिन 5 सशस्त्र पुलिस बलिया से बैरिया थाने की रक्षा के लिए पहुंची। इनके पहुंचते ही थानेदार ने झण्डे को उखाड़ फेंका। जब लोगों को यह मालूम हुआ कि सशस्त्र पुलिस बलिया से आयी है और थाने का झण्डा थानेदार ने उखाड़ है। जब लोगों को यह मालूम हुआ कि सशस्त्र पुलिस बलिया से आयी है और थाने का झंडा थानेदार ने उखाड़ कर फेंक दिया है, तो यह तय किया गया कि 18 अगस्त को थाने पर कब्जा किया जाय।

15 अगस्त को ही विद्यार्थियों से भरी एक ट्रेन बनारस से बलिया पहुंची। विद्यार्थियों के नेता श्री पंचानन्द मिश्र ने लोगों से कहा कि यह आजाद ट्रेन है। जो जहाँ चाहे आ,जा सकता है। कांग्रेस के नेताओं की योजना भी लोगों को उन्होंने बतायी। ट्रेन में लड़के तिरंगा झण्डा लिए हुए नारे लगा रहे थे। ट्रेन पर उनका उस समय पूर्णरूप से अधिकार था। बलिया के बहुत छात्र थे जो बनारस, इलाहाबाद में पढ़ते थे।


उसी दिन 8 विद्यार्थियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी से लोगों में उत्तेजना फैल गई और उसी समय दो तीन सौ आदमी जहाज घाट स्टेशन पर चक्रमरण करके आग लगा दिये। इसके बाद बलिया शहर के पोस्ट आफिस के कागजातों में आग लगा दी गई। श्री काशी प्रसाद 'उन्मेष' और श्री अमरनाथ ने सेफ को तोड़ दिया। पोस्ट ग्राफिस पर झन्डा फहरा कर जन-समूह चल दिया। यही जन समूह बलिया मालगोदाम पर पहुंच कर मालगोदाम में रखे हुए सामानों को लूटा । जिसमें गल्ला, कपड़ा और जूते थे । 15 अगस्त को ही कांग्रेस की तरफ से यह घोषणा की गई कि जो बाजार आज तक बन्द रहा है वह कल से जनता की सुविधा के लिए खुलेगा । इधर अधिकारियों ने शहर में धारा 144 लागू कर दिया था लेकिन जनता पर इसका कोई असर नहीं था। 


रसड़ा तहसील में 15 अगस्त को ही 8 बजे सुबह आस-पास के गांव के लोग पोस्ट ऑफिस पर एकत्र होकर पोस्ट ऑफिस के कागजातों में आग लगा दिए। वहाँ से डाक बंगले पहुंच कर डाक बंगले को लूटा और झण्डा फहराये। जन-समूह लौटते समय रास्ते के सभी पुलों को तोड़ता जाता था। एक चौकीदार की वर्दी-पेटी छीन कर जला भी दिया। इस काण्ड में स्वामी चन्द्रिका दास, सर्वश्री बालेश्वर सिंह, हंसनाथ सिंह, हर गोविन्द सिंह, सत्य नारायन सिंह, मुसाफिर अहीर, रामबचन गोड़, सहदेव चमार, गौरी कलवार, इन्द्रदेव प्रसाद को सजा हुई। श्री महेश दास को पुलिस गिरफ्तार न कर सकी और वे फरार रहे।

 15 अगस्त को ही सोहाँव में कांग्रेस कार्यकर्तायों की एक सभा हुई, जिसमें यह निश्चय किया गया कि आस -पास की रेलवे लाइन को उखाड़ दिया जाय और स्टेशनों को जला दिया जाय ।


बेल्थरा रोड स्टेशन पर एक मालगाड़ी जिसमें गल्ला, चीनी आदि भरा था उसे वहां के लोगों ने लूट लिया। मालगाड़ी के डब्बे देखते-देखते खाली हो गए। लोगों ने स्टेशन मे आग लगा दी। श्री गंग वृंद उर्फ़ लालजी सहाय अपने मिडिल स्कूल के छात्रों को साथ लेकर डीएवी स्कूल के छात्रों से जा मिले। सभी छात्र तोड़फोड़ मे लग गये।