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बलिया में श्रीराम कथा का छठवा दिन : पूज्य प्रेम भूषण जी महराज ने सुमधुर गीतों संग सुनाया धनुष यज्ञ और प्रभु श्रीराम सहित चारों भाइयों की शादी का प्रसंग, श्रोता हुए भाव विह्वल




 श्रीराम कथा के छठवें दिन जनकपुर में दोनों भाइयों का पुष्प वाटिका में फूल तोड़ना, श्रीराम और सीता जी का एक दूसरे को देखना, धनुष का टूटना और श्रीराम सीता के साथ ही भरत लखन और शत्रुघ्न की शादी का सुनाया प्रसंग

विवाह के बाद विदाई के प्रसंग में गीत संगीत से लायी सजीवता
श्रोता हुए मंत्रमुग्ध 
मधुसूदन सिंह
बलिया 12 अगस्त 2023।।बांसडीह रोड थाना क्षेत्र में स्थित बाबा बालखंडी नाथ मंदिर के बगल में  प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह के द्वारा आयोजित  नौ दिवसीय श्रीराम कथा के छठवें दिन  कथावाचक परम् पूज्य स्वामी प्रेम भूषण जी महाराज ने भगवान राम सीता जी के विवाह के  प्रसंग का सुंदर वर्णन किया । कथा प्रारम्भ होने से पूर्व स्वामी प्रेम भूषण जी महाराज के आसन पर पहुंचने के बाद इस आयोजन के यजमान  श्रीमती तेतरी सिंह (माता  श्री दयाशंकर सिंह ), मंत्री प्रतिनिधि धर्मेंद्र सिंह सपत्निक व अन्य परिजनों और इष्ट मित्रों के साथ भगवान भोलेनाथ , भगवान श्रीराम को सपरिवार पूजन अर्चन किया ।

कथा सुना रहे परम् पूज्य प्रेम भूषण जी महाराज ने श्रीराम सीता व्याह के प्रसंग को पारंपरिक तरीके से अपने गीत आदि के माध्यम से सुनाकर सभी श्रोताओं को  मंत्रमुग्ध कर सियाराम मय कर दिया । कथा की शुरुआत लक्ष्मण जी के ब्रह्म मुहूर्त में जगने से होती है। इसके बाद प्रभु श्रीराम भी गुरु विश्वामित्र जी के जगने से पहले उठ जाते है। शौच आदि नित्य क्रिया करने के और स्नान करने के बाद दोनों भाई गुरुदेव से आज्ञा लेकर पुष्प लेने के लिये वाटिका में जाते है। पुष्प वाटिका की नाना प्रकार से बड़ाई करते हुए पूज्य श्री प्रेम भूषण जज महराज प्रभु श्रीराम और माता सीता द्वारा एक दूसरे को देखने के प्रसंग को लोक व्यवहार से जोड़ते हुए बतलाते है। माता सीता का मां पार्वती को पूजने और माता पार्टी द्वारा मनचाहा वर मिलने की आशीष मिलने पर प्रफुल्लित मन से सीता जी के घर के अंदर जाने के प्रसंग को गीत संगीत के माध्यम सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।








गुरु विश्वामित्र और दोनों भाइयों के दोपहर के भोजन करने, विश्राम करने के बाद शाम को गुरु द्वारा कथा कहने के प्रसंग को सुनाकर उपस्थित लोगों को लोक व्यवहार के कई सीख दी। राजा जनक के कुलगुरु शतानन्द जी द्वारा गुरु विश्वामित्र संग दोनों भाइयों को आदर पूर्वक धनुष यज्ञ के सुंदर मंडप में सबसे ऊँचे और सुंदर आसान पर बैठाने की कथा कहते है। फिर राजा जनक की आज्ञा पाकर बंदीजन उपस्थित सभी राजाओं के मध्य राजा जनक की धनुष यज्ञ से संबंधित प्रतिज्ञा बताते है और कहते है कि जो भगवान शिव के इस धनुष को तोड़ेगा, राजकुमारी सीता उसको बिना विचार किये ही वरण कर लेगी।





ज़ब सभा में उपस्थित कोई भी राजा धनुष उठाना तो दूर हिला भी नही पाया है तो राजा जनक ने कहा कि अगर मै जानता कि धरती वीरों से खाली हो गयी है तो मै ऐसा प्रण ही नही करता। लगता है कि विधाता मेरी पुत्री सीता के भाग्य में विवाह लिखा ही नही है। तब लखन लाल क्रोधित होकर दहड़ाते है, जिनको प्रभु श्रीराम इशारो से बुलाकर अपने पास बैठाते है। गुरु विश्वामित्र शुभ घड़ी देखते ही प्रभु श्रीराम को धनुष तोड़ने की आज्ञा देते है और श्रीराम जी गुरु व श्रेष्ठ जनों को नमन करके धनुष को तोड़ देते है।




धनुष टूटने के बाद सीता जी सखियों संग जयमाला लेकर मंडप में पहुँचती है।धनुष भंग के बाद जयमाल लेकर खड़ी जनक नंदिनी की सहेली श्रीराम से कहती है --

झुकि जइयो ललन  एक बार ,किशोरी मोरी छोटी सी ...
  सुनियो विनय दशरथ जी के लाला,
पहिरो आज विजय जयमाला,
हम गावें मंगलाचार , किशोरी मोरी छोटी सी ...
व्याह उछाह सुमंगल गावें
नगरवासी लोचन फल पावें
तव जुगल चरन बलिहार , किशोरी मोरी ....
गिरिधर प्रभु झुकि माला लीजै
लोचन लाभ सखिन्ह कहुँ दीजै
हम गावें सुमंगलाचार , किशोरी मोरी छोटी सी
झुकि जइयो ललन इक बार , किशोरी मोरी छोटी सी ।।


माता सीता की सहेली के कहने पर प्रभु श्रीराम झुकते है । यह देख सहेली सीता जी को इशारे से वरमाला पहनाने को कहती है लेकिन प्रेम में विह्वल सीता जी खड़ी ही रहती है जब पुनः सखी कहती है तब सीता जी सकुचाते हुए प्रभु राम के गले मे वरमाला डालती है ।
वरमाला हाथों में लिया सीता जी के हाथों की शोभा कमल दंड को भी अपनी सुंदरता से लज्जित करने वाला गोस्वामी जी कह रहे है ।
मंच पर सियाराम की जोड़ी को देखकर सखियां गीत गाती है --
दूल्हा के रंग आसमानी लली के रंग बादामी ...
काली काली जुल्फे ,और केश घुंघराले
कुसुम कली मनमानी , लखत हिय हुलसनी
 दूल्हा के रंग ......
नैन कजरारे , अधर अरुनारे
मधुर मधुर मुस्कानी, लखत भई दीवानी
दूल्हा के रंग .....
चन्द्र बदन मुख, अम्बुज लाली
चितवन अमीय रस सानी , बिबस भई मिथिलानी
दूल्हा के रंग ......
प्रेम प्रमोद को , बादल बरसत
सखी प्रेम रंग में रंगानी, सकल जग बिसरानी
दूल्हा के रंग .....
गिरिधर यह छबि , देखि हरष हिय
गदगद भई बर बानी,दशा अति हरषानी
दुलहा के रंग ...... ।।





गोस्वामी जी यहां गले मे वरमाला पहने प्रभु श्रीराम की शोभा का वर्णन करते हुए कहते है -- प्रभु की सुंदरता को देखकर धनुष तोड़ने की लालसा रखने वाले राजा इस तरह लज्जित हो  रहे है जैसे सूर्य के निकलने के बाद कुमुदनियां लज्जित होती है , राजा जनक के परिजन मित्र रिश्तेदार भगवान को पुत्र रूप में देखकर आनन्दित हो रहे है , तो देवता ऋषि मुनि परमपिता परमात्मा के रूप में देखकर अलौकिक आनन्द की अनुभूति कर रहे है ।
भगवान राम द्वारा जनक नंदिनी सीता के गले मे जयमाला पहनाने के बाद पूरा समाज हर्षित होकर जय जयकार करने लगा ।


इसी बीच धनुष टूटने की खबर पाकर भगवान परशुराम आते है ।  धनुष टूटने पर बहुत क्रोधित होते है और भगवान विष्णु के दिये हुए धनुष पर श्रीराम से बाण चढ़वाते है। ऐसा होते ही परशुराम जी को रामावतार होने का आभास होता है और अपना धनुष श्रीराम को देकर प्रत्यंचा चढ़वा कर पुष्टि करते है और युगल जोड़ी को प्रणाम कर जंगल को तपस्या के लिये चले जाते है ।



 राजा जनक अपने कुलगुरु शतानन्द जी से विचार विमर्श करके दूत के माध्यम से श्रीराम सीता के व्याह होने की सूचना अयोध्या भेजवाते है ।
दूत पाती लेकर अयोध्या राजा दशरथ के दरबार मे जाता है और कहता है ---
हम त पाती लेइके आवत बानी पार से , राजा जनक दरबार से ना ।
हमरा घरवा जनक नगरिया, राजन अइली भूप दुअरिया
मनवा रीझ गइले महिमा अपरम्पार से ...
हमरा राजा जनक के धिया ,जिनकर नाम बाटे सीया
उनकर शादी होइहे कोशल राजकुमार से ....
सिय के शांति रूप जब जनलें,बाबा जनक धनुष प्रण ठनलें
रचना रचले सिया स्वयंवर के विचार से ....राजा जनक ..
जुटले बड़े बड़े भट भूप , धनुहा देखि के बैठे चुप
तिलभर धनुष उठल ना कौनो बीर बरियार से , राजा जनक .....
तहवाँ राजन राउर लाल, पवले धनुष तोड़ जयमाल
तीनो लोक भरल रघुवर के जय जयकार से , राजा जनक ...
पाती लिखल बाटे थोड़ा, जल्दी साजी हाथी घोड़ा
बिनती करजोरी करत बानी सरकार से , राजा जनक ...।।

इस गीत के साथ पूरा पंडाल करतल ध्वनि से गूँजता रहा ।

यह शुभ समाचार सुनते ही राजा दशरथ की खुशी का ठिकाना नही रहा । राजा दूत को इनाम देने लगते है तो वह मना करते हुए कहता है - महाराज राजकुमारी सीता हम लोगो की बेटी है और हम लोगो बेटी के घर का कुछ लेते नही है । देना ही है तो तुरंत बारात सजाकर जनकपुर चलिये । इसके बाद राजा दशरथ तुरंत सादर गुरु वशिष्ठ को बुलाते है और राजा जनक की पाती देते है । विश्वामित्र जी भी प्रसन्न होते है और कहते है राजन यह आपकी धर्मशीलता का परिणाम है ।सभी लोग बातचीत करके और तैयारी के साथ जनकपुर के लिये बारात सजाकर निकल पड़े । बारात जनकपुर शुभ मुहूर्त से एक पक्ष पहले ही पहुंच जाती है । राजा जनक राजा दशरथ गुरु वशिष्ठ के साथ ही सभी बारातियों का स्वागत करके अति विशिष्ठ अतिथिगृह में ठहराते है । 15 दिन बाद शादी का शुभ मुहूर्त निकलता है ।

अवध नगरिया से चलली बरियतिया
हे सुहावन लागे।।
जनक नगरिया भइले शोर
हे सुहावन लागे ....
सब देवतन मिलि, चलले बरियतिया
हे सुहावन लागे
बजवा बजेला घनघोर
हे सुहावन लागे ...
बजवा के शब्द सुनि ,हुलसे मोर छतिया
हे सुहावन लागे ....
परिछन को चलली सब, सखियां सहेलियां
हे सुहावन लागे ....
पहिरेली लहंगा पटोर
हे सुहावन लागे ...
कहत "रसिक"जन,दूलहा के सुरतिया
हे सुहावन लागे ....
सुफल मनोरथ भइले मोर
हे सुहावन लागे .....

 शादी के दिन गुरु वशिष्ठ राजा दशरथ के साथ चारो भाई मंडप में आते है ।
भगवान राम जब मंडवा में जाते है तो स्त्रियां गीत गाती है ---
राघव धीरे चलो, ससुराल गालियां
मिथिला की नारि नवेली ,
मोहित छवि लखि रंगरलियां .. राघव...
पीत उपरना,कानन कुंडल
लटकत माथे मौर लारियाँ
राघव धीरे चलो....
तुमहि बिलोकि न नजरा लगावें
जनक नगर की सब आलिया
राघव धीरे ...
मुनि तिय ज्यों पद, परसि तिहारो
हीरा मोति मनि होइहैं लारियाँ
राघव धीरे चलो...
गिरिधर प्रभु लखि, प्रेम बिबस भई
रबिहि निरखि ज्यों कमल कलियां
राघव बचिके चलो ससुराल की गलियां
राघव धीरे चलो.....

  गीत के माध्यम से शादी के माहौल को श्री प्रेमभूषण जी ने सजीव किया ।
वही राजा जनक के कहने पर अपने अन्य तीनो बेटों की शादी भी इसी मंडप में करने को राजा दशरथ तैयार हो जाते है । अब मंडप में एक नही चार चार दूल्हे दुल्हानियो के साथ बैठे है । इस पर गीत गाया जा रहा है ....
चारो दुलहा देहि भामरिया ए ,
संग सोहत दुलही नगरिया ए ।।
श्याम गौर गौर श्याम ,चारो जोड़ा जोरिया ...
नव रंग मणिन की ,सुपली सोहरिया ,
लावा छरियावे भरि भरिया ए .....
   इसके साथ ही चारो भाइयो की आरती के साथ ही सगुन में गाई जाने वाली तरह तरह की गलियां स्त्रियां सुनाती है ।