मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला :कोर्ट ने कहा-आप अधिकारी है राजा नही,दो IAS को दी सात दिन की सजा और 50-50 हजार का जुर्माना, कोर्ट रूम से ही हुए गिरफ्तार
भोपाल।। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने शुक्रवार 18 अगस्त को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 2 आईएएस अधिकारियों को सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोनों ही अधिकारियों पर जुर्माना भी लगाया है। मामला अदालत की अवमानना करने से जुड़ा हुआ है। कोर्ट ने दोनों ही अधिकारियों को सजा सुनाने के बाद कोर्ट रूम से ही दोनों को पुलिस कस्टडी में दे दिया। दरअसल यह मामला 2021 में जिला समन्वयक रचना द्विवेदी को नियम विरुद्ध छतरपुर से बड़ा मलहरा भेजने से संबंधित है । जिसको लेकर रचना द्विवेदी कोर्ट कि शरण में चली गई। तत्कालीन छतरपुर कलेक्टर रहें शिलेन्द्र सिंह ने स्थानांतरण आदेश के बाद रचना को सेवा से बर्खास्त कर दिया।
हाईकोर्ट जस्टिस जी.एस अहलूवालिया की कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई, जहां दोनों आईएएस भी उपस्थित हुए। याचिकाकर्ता के वकील डी.के त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि छतरपुर जनपद में पदस्थ रचना द्विवेदी का बड़ा मलहरा ट्रांसफर कर दिया गया था। जिसे रचना द्विवेदी ने कोर्ट में चैलेंज किया। जिस पर कोर्ट से उन्हें स्थगन आदेश मिल गया। कोर्ट के आदेश के बाद भी रचना से फिर बड़ा मलहरा जाने को कहा गया। जिस पर वह पुनः कोर्ट पहुंची,इस मामले में भी कोर्ट का स्टे मिल गया। इसी बीच दोनों आईएएस अधिकारियों द्वारा दुर्भावनावश रचना द्विवेदी की सेवा समाप्त कर दी गई। जबकि कोर्ट का ऑर्डर उसके पक्ष में था। हाईकोर्ट ने रचना द्विवेदी की बर्खास्तगी पर भी स्टे दे दिया।
बर्खास्तगी पर स्टे मिलने के बाद याचिकाकर्ता रचना द्विवेदी लगातार जिला पंचायत सीईओ अमर बहादुर सिंह और कलेक्टर शिलेन्द्र सिंह के ऑफिस के चक्कर काटते हुए बार-बार आवेदन देते हुए बताया कि हाईकोर्ट से स्टे है और उसे ज्वाइन करवाया जाए। दोनों ही अधिकारियों ने हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए उसे ज्वाइन नहीं करवाया। इतना ही नहीं हाईकोर्ट से लीगल नोटिस भी तत्कालीन कलेक्टर और तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ को भेजा गया इसके बावजूद भी रचना द्विवेदी को राहत नहीं दी गई।
2 अगस्त 2023 को एक बार पुनः हाईकोर्ट में रचना द्विवेदी केस की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि दोनों ही अधिकारी लगातार हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहे हैं। कोर्ट ने सजा के प्रश्न पर भी सुनवाई की और कहा कि याचिकाकर्ता की जितनी भी सैलरी बन रही है उसे मिलनी चाहिए क्योंकि वह सेवा देने को तैयार थी,पर सरकार उसकी सेवा नहीं ले रही थी और इसके बीच आप दोनों अधिकारी थे। कोर्ट ने दोनों ही पक्षों से आपस में बात करने को भी कहा लेकिन कोई रास्ता नहीं निकला।
शुक्रवार 18 अगस्त को इस मामले में जस्टिस जी.एस अहलूवालिया की कोर्ट ने सुनवाई की और तत्कालीन छतरपुर कलेक्टर शिलेन्द्र सिंह और तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ अमर बहादुर सिंह को 7 दिन की कैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने दोनों ही अधिकारियों पर 50-50 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया। कहा जा रहा है कि जस्टिस जी एस अहलूवालिया की कोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक है। इसके बाद अब कोई भी आईएएस - आईपीएस अधिकारी हाई कोर्ट की अवमानना करने से पहले कई बार सोचेंगे।