जेएनसीयू : अमृत काल में दीनदयाल जी के विचारों की प्रासंगिकता, विषयक संगोष्ठी का आयोजन
बलिया।। दीनदयाल उपाध्याय की जयन्ती के अवसर पर गुरुवार 25 सितम्बर को जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के सभागार में पं. दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के द्वारा 'अमृत काल में दीनदयाल जी के विचारों की प्रासंगिकता' विषयक एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता श्री मिथिलेश नारायण, क्षेत्रीय बौद्विक शिक्षा प्रमुख, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, पूर्वी उत्तर प्रदेश ने अपने उद्बोधन में कहा कि दीन दयाल जी ने विश्व के सभी संस्कृतियों की तुलना की और भारतीय संस्कृति के महत्त्व को बताया। समाज और देश का परिष्कार संस्कार युक्त जीवन से होता है। भारतीय संस्कृति इसी संस्कार की शिक्षा देती है। भारतीय शिक्षा व्यवस्था भारतीय मनीषा के आधार पर होनी चाहिए। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलपति प्रो. संजीत कुमार गुप्ता ने कहा कि दीन दयाल जी के विचार आज के समय सर्वथा प्रासंगिक हैं। दीन दयाल जी का सर्वात्मवाद मनुष्य मात्र की चिंता करता है।
कार्यक्रम का संचालन प्रो. अजय बिहारी पाठक, स्वागत एवं विषय प्रवर्तन प्रो. रामकृष्ण उपाध्याय, निदेशक, पं. दीनदयाल शोध पीठ एवं धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव एस. एल. पाल ने किया। इस अवसर पर संस्कार केन्द्र, बसंतपुर के अध्यापक, पूजा, नंदिनी आदिविद्यार्थी, अभिभावकों एवं समाज के गणमान्य नागरिकों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में राष्ट्रगीत एवं राष्ट्रगान की प्रस्तुति व संगीत विभाग के प्राध्यापक प्रद्युम्न उपाध्याय ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय एवं सम्बद्ध महाविद्यालयों के प्राचार्य एवं प्राध्यापक डॉ. रामसरन, डॉ. अभिषेक मिश्र, डॉ. पुष्पा मिश्र, प्रो. बैकुंठ नाथ पाण्डेय, प्रो. अशोक कुमार सिंह, डाॅ. रामशरण पाण्डेय आदि एवं परिसर के विद्यार्थी तथा कर्मचारी एवं जनपद के गणमान्य नागरिक गण उपस्थित रहे।