नगरा क्षेत्र में लम्पी वायरस को लेकर पशु पालकों में दहशत, पशुओं के बचाव में उतरा पशु पालन विभाग
संतोष कुमार द्विवेदी
नगरा, बलिया। पशुओं को अपनी चपेट में लेकर मौत के आगोश में पहुंचाने वाले लंपी वायरस के व्यापक प्रकोप से क्षेत्र के पशुपालकों में हड़कंप है। कमोवेश हर गांव में इस वायरस से पशु बीमार हैं। पशुपालन विभाग द्वारा इससे बचाव के लिए युद्ध स्तर पर टीकाकरण कराया जा रहा है। विभाग का सबसे अधिक ध्यान गोआश्रय केंद्रों पर है। यहां बीमारी न फैले इसको लेकर विभाग काफी सतर्क दिख रहा है।
पशुपालन महकमे की माने तो प्रतिदिन 7000 टीके पशुओं को लगाए जा रहे हैं। बीमारी को लेकर सर्विलांस की भी व्यवस्था की गई है। तैनात कर्मचारी प्रतिदिन एक ब्लाक के पांच प्रधानों से बात कर लंपी बीमारी के बारे में जानकारी ले रहा है। सूचना मिलने पर टीम भेजकर इलाज कराया जा रहा है। पशु चिकित्सको के मुताबिक गोआश्रय केंद्र रघुनाथपुर, करौंदी व बाहरपुर में संरक्षित गोवंशो का शत प्रतिशत टीकाकरण कराया जा चुका है। इसी बीच जिला मुख्य पशुचिकित्साधिकारी डा. एमपी सिंह ने लखनऊ से पहुंची विशेषज्ञों की टीम के साथ नगरा व भीमपुरा क्षेत्र में टीकाकरण कार्य का निरीक्षण किया। सीवीओ ने भीमपुरा क्षेत्र के बरौली चिऊंटापुर ग्राम पंचायत में जाकर हो रहे टीकाकरण कार्य का सत्यापन किया। वहां भीमपुरा के पशुचिकित्साधिकारी डा. ऋषिकेश कुमार व अन्य स्टाफ के लोग टीकाकरण करते हुए पाए गए। उन्होंने नगरा के पशुचिकित्साधिकारी डा. बीएन पाठक से टीकाकरण के प्रगति के संबंध में जानकारी हासिल की। भीमपुरा के बीओ ने बताया कि क्षेत्र में टीकाकरण से लंपी डिजीज के फैलाव को रोक दिया गया है। नगरा के बीओ बीएन पाठक ने बताया कि नगरा क्षेत्र में युद्ध स्तर पर टीकाकरण हो रहा है। यह बीमारी अब कंट्रोल में है।
लंपी वायरस के लक्षण
नगरा के पशु चिकित्साधिकारी डा बीएन पाठक ने बताया कि लंपी से संक्रमित पशु के मुंह से लार अधिक निकलती है। संक्रमित पशु को हलका बुखार रहता है। मुंह से लार अधिक निकलती है और आंख-नाक से पानी बहता है। पशुओं के लिंफ नोड्स और पैरों में सूजन रहती है। संक्रमित पशु के दूध उत्पादन में गिरावट आ जाती है। गर्भित पशु में गर्भपात का खतरा रहता है और कभी-कभी पशु की मौत भी हो जाती है। पशु के शरीर पर त्वचा में बड़ी संख्या में दो से पांच सेमी आकार की कठोर गांठे बन जाती हैं।
रोकथाम और बचाव के उपाय
डा बीएन पाठक के अनुसार जो पशु संक्रमित हों उन्हें स्वस्थ पशुओं के झुंड से अलग रखें, ताकि संक्रमण न फैले। कीटनाशक और विषाणुनाशक से पशुओं के परजीवी कीट, किल्ली, मक्खी और मच्छर आदि को नष्ट करना चाहिए। पशुओं के रहने वाले बाड़े की साफ-सफाई रखें। जिस क्षेत्र में लंपी वायरस का संक्रमण फैला है, उस क्षेत्र में स्वस्थ पशुओं की आवाजाही रोकी जानी चाहिए। किसी पशु में लंपी वायरस के लक्षण दिखें तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। संक्रमित क्षेत्र में जब तक लंपी वायरस का खतरा खत्म न हो, तब तक पशुओं के बाजार मेले आयोजन और पशुओं की खरीद-बिक्री पर रोक लगनी चाहिए। स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण कराना चाहिए ताकि अगली बार उन्हें किसी तरह का संक्रमण न हो।