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सामाजिक संस्कार ही शिक्षा है -कुलपति प्रो संजीत गुप्ता



बाबू स्व० शिवशंकर सिंह 'वकील साहब' की स्मृति में कुँवर सिंह पी जी कालेज में अत्याधुनिक नियंत्रण कक्ष का उद्घाटन






डॉ सुनील कुमार ओझा

बलिया।।कुँवर सिंह स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बलिया के संस्थापक प्रबंधक पूर्वांचल के मालवीय के नाम से प्रसिद्ध बाबू स्व. शिवशंकर सिंह 'वकील साहब' की स्मृति में अत्याधुनिक नियंत्रण कक्ष का उद्घाटन प्रबंधक श्री सुरेश बहादुर सिंह की अध्यक्षता एवं जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के  कुलपति प्रोफेसर संजीत कुमार गुप्ता के विशिष्ट आतिथ्य में संपन्न हुआ । इस कार्यक्रम में प्रो. रविन्द्र मिश्र(प्राचार्य, टी डी कॉलेज), प्रो. धर्मात्मानंद, प्राचार्य, मथुरा पी जी कॉलेज, प्रो. निवेदिता श्रीवास्तव, प्राचार्य, गुलाब देवी पी जी कॉलेज के साथ ही पूर्व प्राचार्य डॉ. जी पी सिंह, डॉ. अंजनी सिंह, डॉ. सूर्य बली सिंह. श्री इंद्रजीत सिंह अतिथि के रुप में उपस्थित रहे।इस अवसर पर सर्वप्रथम माननीय अतिथियों ने बाबू कुँवर सिंह एवं बाबू शिवशंकर सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।


कार्यक्रम की शुरूआत नियंत्रण कक्ष के उद्घाटन से हुई ।  प्राचार्य प्रो. अंजनी कुमार सिंह ने समस्त गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया एवं अभिनंदन किया। इस क्रम में सभी का माल्यार्पण करके कुंवर सिंह की प्रतिमा एवं महाविद्यालय की पत्रिका सेनानी भेंट की गई। महाविद्यालय की वरिष्ठ शिक्षक प्रोफेसर अशोक सिंह ने बाबू शिव शंकर सिंह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके विचारों की प्रासंगिकता को सिद्ध किया।


जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीत कुमार गुप्ता ने कहा कि-परस्पर निर्भरता ही जीवन के लिए विशिष्ट है। हमें परिवर्तन को स्वीकार करना चाहिए लेकिन स्व में भी विश्वास करना जरुरी है । हमें अपनी जड़ को मजबूत करना है। हमें अपनी संस्कृति को नहीं भूलना है। हमें आधुनिक बनना है लेकिन यह भी ध्यान रहे कि यह आधुनिकता मानसिक हो।शिक्षा एवं शिक्षक का मुख्य उत्तरदायित्व समाजिक संस्कार है। हमें अपना सर्वश्रेष्ठ न्याईछावर करना है। भाषा से तेज कर्म की भाषा होती है।





अपने अध्यक्षीय उदबोधन में प्रबंधक एवं सचिव श्री सुरेश बहादुर सिंह ने बाबू शिवशंकर जी के जीवन एवं विचारों के व्यावहारिक अवदान पर प्रकाश डालते हुए महाविद्यालय के विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान पर सारगर्भित व्याख्यान दिया। उनका स्पष्ट अभिमत था कि-व्यक्ति की महत्वकांक्षा समाज निर्धारित करती है। इस अर्थ में वकील साहब सार्वदेशिक रही है। वह हर देश काल में अनुकरणीय बने रहेंगे। कार्यक्रम का संचालन प्रो. अजय बिहारी पाठक ने किया।


इस अवसर पर प्रो.राम कृष्ण उपाध्याय, प्रो. सत्यप्रकाश सिंह, डॉ. फूलबदन सिंह, डॉ. संजय, प्रो. सच्चिदानन्द, डॉ. दिव्या मिश्रा, श्री मुन्नी सिंह डॉ. हरिशंकर सिंह, डॉ. धीरेंद्र सिंह, डॉ. मनजीत सिंह, डॉ. अवनीश जगन्नाथ, डॉ. शैलेश पाण्डेय, डॉ. राजेंद्र पटेल, डॉ. आनन्द, डॉ. रत्नसेन सिंह, डॉ. योगेंद्र, सुरेंद्र कुमार, उमेश यादव, डॉ. विमल कुमार, पुनिल कुमार, डॉ. शशि सिंह, मनोज, लाल वीरेंद्र सिंह, राज कुमार सिंह, दीनानाथ राय, अंकित, विकास, बब्बन सहित समस्त प्राध्यापक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित थे ।