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योगीराज में में भी अपारदर्शी रूप से नियुक्तियों की कोशिश, टाउन पॉलिटेक्निक बलिया का मामला




मधुसूदन सिंह

बलिया।। वर्ष 2016 से टाउन पॉलिटेक्निक बलिया में प्रबंध तंत्र द्वारा विभिन्न अभियांत्रिक के व्याख्याता के पदों हेतु आवेदन आमंत्रित किया जा रहा है, जो कभी कोर्ट द्वारा रोक लगाने से तो कभी लिखित परीक्षा के दौरान अभ्यर्थियों से प्रवेश पत्र परीक्षा हाल में ही जमा करा लेने के कारण चर्चा में आया है।

इस संस्थान में व्याख्याता की नियुक्ति हो, विभागाध्यक्ष की नियुक्ति हो, प्रधानाचार्य की नियुक्ति हो, या अन्य पदों पर नियुक्ति हो पारदर्शी तरीके से होंगी इसमें संशय दिख रहा है। यह हम हवा हवाई नही बल्कि टाउन पॉलिटेक्निक बलिया के प्रबंधक राजीव कुमार जी के हस्ताक्षर से जारी रिक्तियों के लिये मांगे गये आवेदन पत्र के लिये जारी विज्ञापन के आधार पर कह रहे है। नीचे पहले प्रबंधक जी द्वारा जारी विज्ञापन को ध्यान से पढ़िए ---



उपरोक्त विज्ञापन में न तो विज्ञापन संख्या है, न ही विज्ञापन जारी होने का दिनांक ही है। यही नही आवेदन पत्र को ऑनलाइन भरने की बात कही गयी है और इसके बाद भरे हुए आवेदन पत्र की प्रिंट को सभी दस्तावेजों के साथ डाक से भेजनें की बात कही गयी है लेकिन अंतिम तिथि क्या है आप विज्ञापन में ढूंढ़ते रह जायेंगे। इनकी वेबसाइट भी हमेशा सर्वर प्रॉब्लम बताने में ज्यादे तर समय निकाल दी। क्योंकि इनमे चहेतो का फॉर्म भर जाने के बाद किसी अन्य को भरने देना ही नही था। कुछ बच्चों ने सर्वर न चलने के कारण ऑफ लाइन में डाक से आवेदन पत्र बैंक ड्राफ्ट के साथ भरकर भेज दिया, लेकिन उनका फॉर्म या ड्राफ्ट दिसंबर 2022 से आजतक किस स्थिति में है आवेदकों को कोई सूचना तक नही दी गयी है जबकि आवेदन पत्र के साथ 25 रूपये का टिकट लगा व आवेदक के पूर्ण पते वाला लिफाफा भी भेजा गया है।





हद तो तब हो गयी उपरोक्त खाली पदों में से मेकेनिकल अभियंत्रण के व्याख्याता के पदों के लिये अगस्त 2023 में लिखित परीक्षा और साक्षात्कार भी करा लिया गया है। इस परीक्षा में भी ऐसी घटनाये हुई है जो यह साबित करती है कि मुख्यमंत्री योगी जी चाहे लाख हड़का ले, जेल भेजनें की बात कर ले, भ्रष्टाचार करने वाले अपनी हरकतों से बाज नही आयेगें।

टाउन डिग्री कॉलेज बलिया में आयोजित हुई लिखित परीक्षा में सम्मिलित अभ्यर्थियों से परीक्षा के दौरान ही प्रवेश पत्र जमा करा लिया गया, जबकि ऐसा किसी भी परीक्षा में नही होता है। क्योंकि परीक्षार्थियों के पास यही एक सबूत परीक्षा में शामिल होने का होता है। दूसरा कांड इस परीक्षा में सफल परीक्षार्थियों को लेकर है। कोई भी परीक्षा होती है तो उसका परीक्षा परिणाम प्रकाशित होता है। चाहे वह अखबार में प्रकाशित हो या संस्थान के वेबसाइट पर प्रकाशित हो। लेकिन समूह ख की इस परीक्षा का परिणाम न तो चर्चित अखबारों में, न ही संस्थान के वेबसाइट पर ही प्रकाशित किया गया है। परिणाम की सूचना सीधे सफल अभ्यर्थियों के मेल पर भेज कर साक्षात्कार के लिये बुला लिया गया। साक्षात्कार में शामिल अभ्यर्थियों से साफ कहा गया था कि साक्षात्कार के समय सभी आवश्यक प्रमाण पत्र मूलरूप में लेकर आना है। लेकिन इसमें प्रमाण पत्रों से आवेदन पत्र को सत्यापित करने की जगह अभ्यर्थियों से मोबाइल नंबर मांगा गया, सोचनीय प्रश्न है।

अगर धांधली नही हो रही है तो होना चाहिए ये

इस नियुक्ति को पारदर्शी तरीके से अगर करने की प्रबंधक राजीव कुमार जी की इच्छा शक्ति होती तो कम से कम संस्थान के वेबसाइट पर ही परीक्षा देने वाले सभी अभ्यर्थियों की सूची अपलोड करा दिये होते। इसके बाद कौन कौन सफल हुए है, कितने अंक प्राप्त किये है और साक्षात्कार के लिये आमंत्रित किये गये है, उनकी सूची अपलोड की गयी होती। लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ है। चर्चा तो यह भी है कि जो परीक्षा नही दिया है, वो भी चयनित हो सकता है। ऐसी चर्चा को हवा संस्थान और प्रबंधक ने अपारदर्शी तरीका अपना कर दिया है।

अब फिर से निकली नियुक्तियां

प्रबंध तंत्र की कारगुजारियों का खात्मा अभी भी नही हुआ है। प्रबंध तंत्र ने एक बार फिर से मेकेनिकल प्रवक्ता के पदों को छोड़कर पहले निकाली गयी रिक्तियों के लिये आवेदन पत्र आमंत्रित किया है। इस विज्ञापन में पिछले विज्ञापन में प्रवक्ता सिविल के एक अनारक्षित पद को समाप्त करते हुए एक ओबीसी और एक अनुसूचित जाति के अभ्यर्थियों के लिये आवेदन आमंत्रित किया है। अब सवाल यह उठता है कि पिछले विज्ञापन में अनारक्षित पद के सापेक्ष जिन जिन अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन और ऑफ लाइन आवेदन परीक्षा शुल्क के साथ किया था, उनका क्या होगा? दूसरा सवाल यह उठ रहा है कि वर्तमान में सिविल प्रवक्ता के पदों पर जो आरक्षण निर्धारित किया गया है, उसको निर्धारित करने वाली कमेटी में कौन कौन अधिकारी शामिल थे और इसकी बैठक कब हुई थी। पिछले विज्ञापन के आधार पर अनारक्षित वर्ग के जिन अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, उनका क्या होगा?

सबसे बड़ी बात यह है कि जिस विज्ञापन में अंतिम तिथि निर्धारित ही नही थी, उसकी लिखित परीक्षा कैसे आयोजित हो गयी? यही नही लिखित परीक्षा के बाद साक्षात्कार भी हो गया। जो दर्शा रहा है कि प्रबंध तंत्र को अपने खास अभ्यर्थियों को जल्द से जल्द नियुक्ति देनी है, चाहे उसके लिये कोई भी कुटिल चाल ही क्यों न चलनी पड़े।




मेरी  प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी जी से अपील है कि टाउन पॉलिटेक्निक बलिया में चल रहे नियुक्ति में गोरख धंधे का संज्ञान ले और इन नियुक्तियों के लिये शासन स्तर से परीक्षा कराकर प्रबंध तंत्र के खेल को रोकने का आदेश दे। बता दे कि इस पॉलिटेक्निक के निर्माण से लेकर कर्मचारियों तक का वेतन सरकार द्वारा ही दिया जाता है लेकिन फिर भी यह प्रबंध तंत्र के हाथों में है। यह भी सूच्य हो कि इस पॉलिटेक्निक के बनवाने में स्व मुरली मनोहर लाल का मात्र 1 रुपया लगा बताया जाता है। साथ ही यह भी बताया जाता है कि प्रबंध तंत्र के विवाद के बाद ज़ब जिलाधिकारी इसके अध्यक्ष थे, तब शासन से इसको राजकीय पॉलिटेक्निक बनाने का आदेश यहां आया था लेकिन वो कही अंधेर खाने में दबा दिया गया है।

अगली कड़ी में बलिया एक्सप्रेस टाउन पॉलिटेक्निक बलिया के अंदर होने वाले आर्थिक गोलमाल का खुलासा करेगा। सच्ची खबरों के लिये बलिया एक्सप्रेस के साथ बने रहिये।