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जिलाधिकारी ने जनपद में एलएसडी के संक्रमण को रोकने हेतु त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित कराने के दिए निर्देश





जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गोवंश में Lumphy Skin Disease (एल एस डी) रोकने हेतु वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक संपन्न

सोनभद्र और मिर्जापुर वाले बॉर्डर के क्षेत्र में वैक्सीनेशन सबसे पहले कराई जाए:जिलाधिकारी

सभी ब्लाकों में गोशाला  निर्माण कार्य शीघ्र आरंभ कराया जाए:निखिल टी. फुंडे


 चंदौली।। शुक्रवार को पशुओ में लम्पी स्किन डिजीज (पशुओ में त्वचा रोग) के सम्बन्ध में जिलाधिकारी निखिल टी. फुंडे की अध्यक्षता में वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से बैठक  आयोजित की गई।बैठक के दौरान जिलाधिकारी द्वारा एल0एस0डी0 बीमारी से रोकथाम एंव संक्रमण से बचाव के सम्बन्ध में आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये।


जिलाधिकारी ने मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को निर्देश देते हुए कहा कि जनपद में एल एस डी के संक्रमण को रोकने हेतु त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।उन्होंने मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को सोनभद्र और मिर्जापुर के बॉर्डर वाले क्षेत्र में पहले वैक्सीनेशन कराने का निर्देश दिया साथ ही उन्होंने अतिरिक्त वैक्सीन की मांग के लिए शासन को पत्र भेजने के लिए सीवीओ को निर्देशित किया।


जिलाधिकारी निखिल टी. फुंडे ने सीवीओ से वैक्सीन की उपलब्धता सहित अब तक की गई कार्यवाहियों की प्रगति के बारे में पूछताछ की।मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि  जनपद को अब तक दस हजार वैक्सीन प्राप्त हुई है जिसमे अब तक आठ हजार निःशुल्क वैक्सीनेशन किया जा चुका है।


मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि एल एस डी  संक्रामक एवं विषाणु जनित बीमारी है।यह बीमारी गोवंशीय एंव महिषवंशीय पशुओ में पायी जाती है।

इस रोग का संचरण /फैलाव/प्रसार पशुओ में मक्खी,चिचडी एंव मच्छरो के काटने से होता है।

 पशुओ मे हल्का बुखार होना,पूरे शरीर पर जगह-जगह नोड्यूल/गाठो का उभरा हुआ दिखाई देना इसके प्रमुख लक्षण हैं।इस बीमारी से ग्रसित पशुओ की मृत्यु दर अनुमान 1 से 5 प्रतिशत है।





 इस बीमारी के रोकथाम एंव नियत्रण के उपाय के संबंध में उन्होंने बताया कि बीमारी से ग्रसित पशुओ को स्वस्थ पशुओ से अलग रखा जाय।पशुओं को मक्खी,चिचडी एंव मच्छर के काटने से बचाया जाए।पशुशाला की साफ-सफाई दैनिक रूप से करना तथा डिसइन्फैक्शन का स्प्रे करना।संक्रमित पशुओं को खाने के लिए संतुलित आहार तथा हरा चारा दे तथा मृत पशुओं के शव को गहरे गड्ढे में दबाया जाए।


संक्रमण से बचाव हेतु उन्होंने बताया कि आवलॉ,अश्वगन्धा,गिलोय,एंव मुलेठी मे से किसी एक को 20 ग्राम की मात्रा मे गुड मिलाकर सुबह शाम लड्डू बनाकर खिलाये। अथवा तुलसी के पत्ते एक मुठ्ठी,दालचीनी 05 ग्राम सोठ पाउडर 05 ग्राम,काली मिर्च 10 नग को गुड मे मिलाकर सुबह शाम खिलाएं।संक्रमण रोकने के लिए पशु बाडे में गोबर के कण्डे मे गूगल,कपूर,नीम के सूखे पत्ते,लोबान को डालकर सुबह शाम धुऑ करें।पशुओ के स्नान के लिए 25 लीटर पानी मे एक मुठ्ठी नीम की पत्ती का पेस्ट एंव 100 ग्राम फिटकरी मिलाकर प्रयोग करे। घोल के स्नान के बाद सादे पानी से नहलाये।संक्रमण होने के बाद देशी औषधि व्यवस्था-नीम के पत्ते एक मुठ्ठी,तुलसी के पत्ते एक मुठ्ठी,लहसुन की कली 10नग ,लौग 10 नग,काली मिर्च 10 नग जीरा 15 ग्राम हल्दी पाउडर 10 ग्राम पान के पत्ते 05 नग,छोटे प्याज 02 नग ,पीसकर गुंड मे मिलाकर सुबह शाम 10-14 दिन तक खिलायें।


खुले घाव के देशी उपचार हेतु नीम के पत्ते एक मुठ्ठी,तुलसी के पत्ते एक मुठ्ठी,मेहंदी के पत्ते एक मुठ्ठी,लेहसुन की कली 10 ,हल्दी पाउडर 10 ग्राम,नारियल का तेल 500 मिली0को मिलाकर धीरे-धीरे पकाये तथा ठण्डा होने के बाद नीम की पत्ती पानी में उबालकर पानी से घाव साफ करने के बाद जख्म पर लगाये।

किसी भी पशु में बीमारी होने पर नजदीक के पशु चिकित्सालय पर सम्पर्क करके उपचार कराये, किसी भी दशा में बिना पशु चिकित्सक के परामर्श के कोई उपचार स्वंय न करें।किसी तरह के समस्या/समाधान/सूचना हेतु कंट्रोल रूम नंबर 05412262197,8840688479 पर संपर्क कर सकते हैं।उन्होंने बताया कि अभियान चला कर गोवंशीय पशुओ को टीका निःशुल्क लगाया जा रहा है।सभी पशुपालकों से अपील है कि वे अपने पशुओ को टीका अवश्य लगवायें।