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स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कालाजार छिड़काव का किया निरीक्षण :जनपद के 10 ब्लॉक कालाजार से प्रभावित, तीन में हो रहा है छिड़काव




पन्द्रह दिन से अधिक रहे बुख़ार, तो हो सकता है कालाजार, जांच जरूर कराएं

बलिया।।जनपद के 10 ब्लॉक के 35 गाँव कालाजार से प्रभावित हैं जिसमें बालू मक्खी रोधी कीटनाशक दवा का छिड़काव यानि इंडोर रेजीडुअल स्प्रेईंग (आईआरएस) किया जा रहा है। यह कार्य एक सितंबर से हो रहा है। वर्तमान में तीन ब्लॉक क्रमशः मुरलीछपरा, मनियर एवं कोटवा में छिड़काव किया जा रहा है। शेष सात ब्लॉक हनुमानगंज, बांसडीह, रेवती, चिलकहर, दुबहड़, सोहांव, पंदह में छिड़काव हो चुका है। इसकी मदद से ग्रामीण इलाकों के मिट्टी के घरों में पनपने वाली बालू मक्खी को खत्म किया जा सकेगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ निशांत एवं जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने बुधवार को कालाजार से प्रभावित ब्लॉक मुरली छपरा के लालगंज गांव में हो रहे छिड़काव कार्य का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने कालाजार से प्रभावित रोगियों से मुलाकात की, छिड़काव की स्थिति देखी, एवं जनसमूह से बातचीत कर कालाजार से बचने के उपाय बताए। वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक कृष्ण कांत पाण्डेय, मुरली छपरा ब्लॉक के बीसीपीएम विनोद यादव भी साथ रहे।

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि कालाजार एक जानलेवा रोग है जो बालू मक्खी के काटने से फैलता है और अक्सर यह ग्रामीण इलाकों मे मिट्टी के घरों या कच्चे घरों, दरारों, दीवारों आदि में पायी जाती है। इससे बचाव के लिए घर के आसपास साफ़-सफाई का ध्यान रखकर एवं मच्छरदानी का प्रयोग कर इस रोग से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि जनपद में जनवरी 2023 से अब तक कालाजार के तीन रोगी पाए गये, जिसमें एक वीएल (बुखार वाला कालाजार) और दो पीकेडीएल (चमड़ी वाला कालाजार) के मरीज हैं।





उन्होंने बताया कि किसी व्यक्ति को 15 दिन से अधिक बुखार आना, भूख नहीं लगना, खून की कमी, वजन घटना, त्वचा का रंग काला होना आदि कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। वहीं इसके मुख्य लक्षण में से एक है त्वचा पर धब्बा बनना। यदि किसी व्यक्ति में यह लक्षण पाए जाएँ हो तो तत्काल अपने नजदीक के प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला चिकित्सालय पर जांच कराकर पूरा इलाज कराएं। यह बीमारी एक बार ठीक होने पर लापरवाही न करें क्योंकि यह बीमारी एक बार ठीक होने पर दोबारा से शुरू हो सकती है। इसलिए चिकित्सक की सलाह बेहद जरूरी है।

प्राय:देखा जाता है कि आईआरएस छिड़काव का कार्य अधिकतर लोग पूजा घरों और रसोई घरों में नहीं कराते हैं जिससे बालू मक्खी की बचे रहने की संभावना बनी रहती है। स्लोगन "कोई कमरा छूटा, सुरक्षा चक्र टूटा" पर भी चर्चा की। उन्होंने जनपदवासियों से अपील की कि आईआरएस का छिड़काव  पूजा घर रसोईघर के साथ ही सभी कमरों की सभी दीवारों पर छह फीट की ऊंचाई तक अवश्य करवाएं।

                 ऐसे करें बचाव  

●अपने घर को साफ रखें। दीवार एवं आसपास के कोनों की नियमित और पूरी सफाई आवश्यक है। 

● घर में प्रकाश आना चाहिए।

रोगी एवं स्वस्थ व्यक्ति की कड़ी (बालू मक्खी) को नष्ट करने के लिए छिड़काव जमीन से छह फीट की ऊंचाई तक कराएं तथा तीन महीने तक घरों में किसी प्रकार की सफेदी और पुताई न कराएं। 

●कमरे में जमीन से दीवार की कुछ ऊंचाई तक पक्की दीवार की चिनाई कराएं।

●सभी लोग पूरे शरीर को ढ़कने वाले कपड़े पहनें एवं फर्श पर खुले बदन न सोएं, सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करें।

                लाभार्थियों के बोल

लालगंज, मुरलीछपरा निवासी रंजन यादव ने बताया कि अभी जल्द ही हमारे घर तथा गांव में मच्छर, मक्खियों की दवा का छिड़काव किया गया है। जिससे मच्छर, मक्खी, कीड़े- मकोड़े का प्रकोप हमारे घरों में कम हो गया है। राजू यादव ने बताया कि हमारे घरों में छिड़काव हो गया है।तथा गांव में हो रहा है। छिड़काव के लिए आयी टीम ने बताया कि इसका प्रभाव दो से तीन माह तक रहता है। टीम ने रंगाई- पुताई के लिए मना किया है।

           क्या है आईआरएस

 कीटनाशक दवा का छिड़काव यानि इंडोर रेजीडुअल स्प्रेईंग या अंत: अवशेषी छिड़काव (आईआरएस) यह एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा घर के अन्दर की दीवारों और घर में जानवरों के लिए बनाए गए आश्रय स्थलों पर छह फ़ीट की ऊँचाई तक दवा का छिड़काव किया जाता है जिससे कालाजार बीमारी की कारक बालू मक्खी से बचाव किया जा सके। कीटनाशक का छिड़काव, बालू मक्खी की संख्या को कम करता है। कीटनाशक का छिड़काव यदि सभी हिस्सों में नहीं किया गया हो तो बालू मक्खी बिना छिड़काव वाली सतह पर सुरक्षित रह जायेगी और उसे कोई नुकसान नहीं होगा।