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फाइलेरिया के प्रसार का स्तर जानने के लिए हुआ “नाइट ब्लड सर्वे”






सहयोगी संस्थाओं ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

बलिया।।फाइलेरिया रोग उन्मूलन एवं फाइलेरिया के प्रसार का स्तर जाने के लिए नाइट ब्लड सर्वे एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इससे माइक्रो फाइलेरिया के धनात्मकता की दर का पता चलेगा और मॉस ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एम.डी.ए), आई.डी.ए (आईवरमेंक्टिन, डीईसी, एल्बेंडाजोल ), ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे (टीएएस) आदि गतिविधियों की रणनीति बनाने में सहायता मिलेगी। इसी कड़ी में बुधवार से जनपद में स्वास्थ्य विभाग की टीमें फाइलेरिया नाइट ब्लड सर्वे का कार्य सभी ब्लॉकों और नगरीय क्षेत्र में कर रही है।

टीमों ने गुरुवार को शहरी क्षेत्र के साथ ही बारह ब्लाकों के चयनित स्थलों पर एवं शुक्रवार को शहरी क्षेत्र के साथ ही चौदह ब्लॉकों के चयनित स्थलों पर नाइट ब्लड सर्वे का कार्य किया। गुरुवार को नाइट ब्लड सर्वे में कुल 1539 लोगों के ब्लड सैंपल लिये गये। वही शुक्रवार को नाइट ब्लड सर्वे में कुल 1483 लोगों के ब्लड सैंपल लिए गए । नाइट ब्लड सर्वे कार्य का पर्यवेक्षण जनपद स्तर पर जिला मलेरिया अधिकारी एवं उनकी टीम द्वारा एवं ब्लॉक स्तर पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र  एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारियो एवं कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है। यह जानकारी जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने दी ।

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया के परजीवी यानि माइक्रोफाइलेरिया रात में ही सक्रिय होते हैं। इसलिए नाइट ब्लड सर्वे के लिए बनी टीम लोगों के ब्लड का सैंपल रात में लेती है। उन्होंने बताया कि सर्वे में आए बीस साल से अधिक आयु के सभी लोगों का सैंपल लिया गया । सैंपल लेकर रक्त पट्टिका बनाई गईं हैं। इससे परजीवी होने या न होने की पुष्टि की जाएगी। इस सर्वे का उद्देश्य फाइलेरिया रोगी मिलने पर उसका तत्काल उपचार शुरू कर जिले में फाइलेरिया के प्रसार को रोकना है। उन्होंने बताया कि इसके लिए आशा कार्यकर्ताओं के जरिये नाइट ब्लड सर्वे कराने के लिए जांच स्थान पर आने के लिए प्रचार-प्रसार किया गया था।इस सर्वे में सहयोगी संस्थाओं के जनपद स्तरीय एवं ब्लॉक स्तरीय प्रतिनिधि उपस्थित रह कर सहयोग किये।





                    फाइलेरिया को जानें  

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है। इसे सामान्यतः हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है। इसके प्रभाव से पैरों व हाथों में सूजन, पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और महिलाओं में स्तन में सूजन की समस्या आती है।

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में जनपद में फाइलेरिया के 4893 मरीज हैं। इसमें हाइड्रोसील के 647और लिम्फोडिमा के 4246 मरीज हैं। हाइड्रोसील के 647 मरीजों में से 170 मरीजों का सफल ऑपरेशन हो चुका है। 4246 लिम्फोडिमा के मरीजों में से 3185 मरीजों को एमएमडीपी किट वितरित की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि एक जनवरी 2023 से अब तक नाइट ब्लड सर्वे के दौरान 8701 व्यक्तियों की जांच की गई, जिसमें अब तक 44 माइक्रोफाइलेरिया धनात्मक पाए गए, जिनको उपचारित कर दिया गया।

जिला मलेरिया अधिकारी ने जनपद वासियों से अपील की है कि फाइलेरिया के कोई भी लक्षण दिखें तो जांच अवश्य कराएं, ताकि समय रहते उपचार किया जा सके। प्रत्येक बुधवार को रात आठ बजे के बाद सीएमओ ऑफिस  स्थित फाइलेरिया कंट्रोल यूनिट में फाइलेरिया जांच की सुविधा उपलब्ध है। 

                       लक्षण  

. कई दिन तक रुक-रुक कर बुखार आना।

. शरीर में दर्द एवं लिम्फ नोड (लसिका ग्रंथियों) में सूजन।

. हाथ, पैरों में सूजन (हाथी पांव) एवं पुरुषों के अंडकोष में सूजन ( हाइड्रोसील ) ।

. महिलाओं के स्तन में सूजन, पहले दिन में पैरों में सूजन रहती है और रात में आराम करने पर कम हो जाती है।

. संक्रमित व्यक्ति में बीमारी के लक्षण पांच से 15 साल में दिख सकते हैं।

                              बचाव  

. फाइलेरिया से बचाव की दवा की एक खुराक पांच वर्ष लगातार, साल में एक बार सेवन करके बचा जा सकता है।

. लक्षण दिखने पर समय से जांच कराकर इलाज शुरू कर दें।

. फाइलेरिया के मच्छर गंदगी में पनपते हैं। इसलिए साफ-सफाई रखें, मच्छरों से बचाव करें।

. मच्छरों से बचने के लिए पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें।

. रात में सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।