यथार्थ का आइना हैं जीवन के सात सुर की कहानियाँ - टेकू वासवानी
बबूल के फूल और जीवन के सात सुर कहानी संग्रह के लोकार्पण समारोह में कविता की बही रसधार
प्रयागराज।। कवि और वरिष्ठ साहित्यकार उमेश शर्मा के आवास पर सुप्रसिद्ध लेखिका जया मोहन के सद्यः प्रकाशित दो कहानी संग्रह जीवन के सात सुर और बबूल के फूल का लोकार्पण मस्कट से पधारे ख्यातिलब्ध साहित्यकार मुख्य अतिथि श्री टेकू वासवानी और विशिष्ट अतिथि श्री उमेश शर्मा,श्री भगवान प्रसाद उपाध्याय तथा अध्यक्षता कर रहे साहित्यकार डॉ विजयानंद के संयुक्त करकमलों द्वारा किया गया । लोकार्पण समारोह के पूर्व लेखिका श्री मती जया मोहन ने अतिथियों को मंचासीन कराया । समारोह का संचालन नंदिता एकाकी ने किया और अतिथियों द्वारा वाग्देवी सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्ज्वलित किया गया। सरस्वती वन्दना शरद श्रीवास्तव ने किया।
अपने उद्बोधन में मुख्य अतिथि टेकू वासवानी ने जीवन के सात सुर की कहानियों को यथार्थ का आइना बताया। उन्होंने मस्कट के कई संस्मरण सुनाए और कहा कि वहां हिंदी और हिंदुस्तान के प्रति लोगों में अधिक सम्मान है। विशिष्ट अतिथि उमेश शर्मा ने जया मोहन जी की रचनाओं की खूब सराहना की और कहा कि यह उनकी 42वीं पुस्तक है , वह सतत साहित्य साधना में लगी हुई हैं।डॉक्टर भगवान प्रसाद उपाध्याय ने कहा की जया मोहन की रचनाएं नकारात्मक विचार का शमन करके सकारात्मक विचार का प्रवाह करती हैं और पाठकों को बरबस बांधे रहती हैं।डा० उपाध्याय ने कहा कि जया मोहन जी की कविताएं कहानियां व लघुकथाएं और अन्य विधा की रचनाएं सशक्त व मानवीय मूल्य से परिपूर्ण होती हैं।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ विजयानंद ने कहा कि जया मोहन जी सफल लेखिका हैं। मैं इनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं और शहर के साहित्यकारों से अपील करता हूं कि वह अपने साहित्यकारों को प्रोत्साहन देने के लिए उनकी रचनाओं का अध्ययन अवश्य करें। इस अवसर पर उपस्थित कवियों ने अपनी अपनी कविताओं से साहित्यकारों का मन मोह लिया और सभी ने एक से बढ़कर एक कविताओं की सफल प्रस्तुति दी।
कविताओं की प्रस्तुति देने वालों में डॉ इंदु जौनपुरी , डॉ वीरेंद्र कुमार तिवारी , हरिहर सिंह, नीलिमा मिश्रा, मधुकर मिश्रा, रीतामिश्रा, उर्वशी उपाध्याय, अभिषेक केसरवानी,गंगा प्रसाद तिवारी ,शक्ति सक्सेना,नीतू शर्मा डॉक्टर मीनाक्षी,डॉक्टर प्रशान्त आदि मुख्य रहे।सभी ने जया मोहन जी को दीर्घाजीवी होने की शुभकामना दी और इसके पश्चात डॉक्टर वीरेंद्र कुमार तिवारी की पुस्तक प्रीति धारा को भी सब लोगों ने सर आंखों पर बैठाया।