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जालंधर वध व शालीग्राम तुलसी विवाह देख दर्शक हुए मंत्रमुग्ध, यज्ञ में हो रहा है नृसिंह पुराण का वाचन







सन्तोष कुमार द्विवेदी 

नगरा, बलिया।। क्षेत्र के नरही में चल रहे पंद्रह दिवसीय श्री लक्ष्मी नृसिंह ज्ञान महायज्ञ के दसवें दिन वृन्दावन से आए रासलीला कलाकारों ने जालंधर वध व शालिग्राम तुलसी विवाह की मम स्पर्शी प्रस्तुति कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कलाकारों ने लीला का सजीव चित्रण करते हुए ऐसा समां बाधा कि पूरा पंडाल राधे राधे के उद्घोष से गूंज उठा।

                लीला के अनुसार देवराज इंद्र की जिद से महादेव शिव जब क्रोधित हुए तो जालंधर उत्पन्न हुआ। उसने अपने तपोबल से तमाम शक्तियां हासिल की और अजेय हो गया। उसकी पत्नी वृंदा भी पतिव्रता थी। इस कारण वह और शक्तिशाली हो गया।जब जालंधर अपनी शक्तियों के मद में चूर होकर त्रिदेव से ही लड़ने पर आमादा हो जाता है तो भगवान विष्णु लीला करके विश्व मोहिनी का अवतार करवाते हैं। इस सुंदरी का नाम वृंदा होता है और जालंधर से उसकी शादी होती है। वृंदा पतिव्रता स्त्री है, भगवान विष्णु छल के द्वारा वृंदा का पतिव्रत भंग कर देते हैं और भगवान शंकर जालंधर का वध कर देते हैं। जब वृंदा को इस छल का पता चलता है तो वह भगवान विष्णु को पत्थर होने का श्राप दे देती है। इससे क्रोधित होकर मां लक्ष्मी वृंदा को जंगल की लकड़ी होने का श्राप देती हैं। श्राप के प्रभाव से जहां पत्थर के रुप में भगवान शालिग्राम होते हैं, वहीं वृंदा तुलसी के रूप में अवतरित होती है। तब से दोनों ही इसी रूप में पूजे जाते हैं। बिना तुलसी के शालिग्राम का भोग नहीं लगता है। अंत में विधि विधान के साथ शालीग्राम व तुलसी का विवाह संपन्न होता है।





महायज्ञ में भाग लेने के लिए श्रद्धालुओं की काफी संख्या में भीड़ उमड़ रही है।आसपास के सुदूरवर्ती गांव के महिला-पुरुष सुबह से ही यज्ञ स्थल पर पहुंचकर में विधिवत पूजा अर्चना कर पुण्य के भागी बन रहें है।आचार्यों द्वारा वैदिक मंत्रोंच्चारण की गूंज से पूरा वातावरण भक्तिमय हो रहा है।यज्ञाचार्य डा इश्वरचन्द्र पाण्डेय ने बताया कि यज्ञ से विश्व का कल्याण होता है। इसलिए समय-समय पर यज्ञ के कल्याण के लिए महायज्ञ जरूरी है। बताए की श्री लक्ष्मी नृसिंह ज्ञान महायज में प्रतिदिन नृसिंह पुराण के पाठ के साथ आहुति दी जा रही है। यज्ञ में एक लाख साठ हजार मंत्रो की आहुति दी जाएगी।यज्ञ मंडप में काशी से पधारे आचार्यों द्वारा पूजा अर्चना, हवन आदि का संचालन किया जा रहा है। वहीं श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए यज्ञ कमेटी के सदस्य पूरी तरह मुस्तैद रह रहें हैं। बता दें कि पंद्रह दिवसीय महायज्ञ डा विजय नारायण सिंह उर्फ गोपाल जी की देखरेख में किया जा रहा है। राजेश सिंह, प्रदीप मिश्रा, अच्युतानंद चौबे, अर्जुन गोपालन, आदित्य नारायण, आनन्द विजय, राहुल सिंह बघेल आदि व्यवस्था देखरेख में जुटे रहे।