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पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन लोगों ने अपने पूर्वजों के लिए मोक्ष की कामना, पिंडदान करके पितरो को किया बिदा



संतोष कुमार द्विवेदी 

नगरा, बलिया।। पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन लोगों ने अपने पूर्वजों के लिए मोक्ष की कामना की। क्षेत्र में लोगों ने तालाब, सरोवर व घरों में स्नान कर ब्राह्मणों से पिंड दान व तर्पण कराया।

            शनिवार को पितृ विसर्जन अमावस्या पर लोगों ने अपने पूर्वजों के मोक्ष की कामना की। उनके लिए भोजन तैयार कर कौवा, कुत्ता तथा गाय को परोसा गया। इससे पहले लोग तालाब सरोवर आदि में स्नान कर पिंडदान कर तिलांजलि अर्पित कर तर्पण किया। ब्राह्मणों को दान आदि देकर पूर्वजों के मोक्ष की प्रार्थना की गई। कुछ श्रद्धालुओं ने श्राद्ध अमावस्या पर मुंडन कराने के पश्चात ही अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए पिंडदान तर्पण किया। बाद में श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति के लिए ब्राह्मणों को मिष्ठान, भोजन, वस्त्र व दक्षिणा आदि दान किया। मान्यता है कि महालया व पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन लोगो को अपने पूर्वजों को मोक्ष तथा घर परिवार की सुख समृद्धि के लिए पिंडदान व तर्पण करना चाहिए।





वैदिक विद्वान पं संतोष कुमार द्विवेदी के अनुसार पितृ पक्ष हमारे पूर्वजों के प्रति आभार व्यक्त करने और उनके मोक्ष की कामना करने का समय है। देश भर में कई स्थानों पर अनुष्ठान किए जाते हैं लेकिन बद्रीनाथ,गया,उत्तराखंड के हरिद्वार में नारायणी शिला मंदिर में अनुष्ठान करने का विशेष महत्व माना जाता है। शास्त्रों में वर्णित है कि भगवान विष्णु का सिर बद्रीनाथ धाम में, धड़ हरिद्वार के नारायणी शिला में और भगवान का पैर गया में स्थापित हैं। इसलिए इन तीन स्थानों पर तर्पण करने का महत्व अधिक बताया गया है। उन्होंने बताया कि पौराणिक मान्यता है कि काशी स्थित पिशाच मोचन कुंड गंगा अवतरण से भी पहले से मौजूद है, जहां सदियों से लोग अपने पूर्वजों को पिंडदान करते आ रहे हैं। आज भी काशी के पिशाच मोचन में पूर्वांचल सहित बिहार के लोग पूर्वजों को पिंडदान करने जाते है।