महिसासुर और रक्तबीज के संहार होते ही, मां दुर्गा के जयकारे से गूंज उठा पांडाल
संतोष कुमार द्विवेदी
नगरा, बलिया। क्षेत्र के नरही स्थित श्री नरहेजी धाम में चल रहे पन्द्रह दिवसीय श्री लक्ष्मी नृसिंह ज्ञान महायज्ञ के बारहवें दिन वृंदावन से आई रासलीला मंडली ने महिषासुर एवं रक्त बीज संहार का सजीव मंचन किया। रक्तबीज एवं महिषासुर वध होते ही पूरा पंडाल मां दुर्गा के जयकारे से गूंज उठा।
कलाकारों द्वारा प्रस्तुत लीला के अनुसार रक्त बीज और महिषासुर भगवान शिव की कठोर तपस्या करते हैं। कठोर तपस्या से खुश होकर भगवान शिव महिषासुर को वरदान देते हैं कि कन्या के अलावा उसे कोई मार नहीं सकता है। वहीं रक्तबीज को वरदान देते हैं कि तुम्हारे शरीर से जितना रक्त पृथ्वी पर गिरेगा उतना ही रक्तबीज पैदा हो जाएंगे। भगवान शिव से वरदान पाकर रक्तबीज एवं महिषासुर चारों तरफ अत्याचार करने लगते हैं। उनके अत्याचार से चारों तरफ हाहाकार मच जाता है।
दोनो राक्षसों के आतंक से चिंतित सभी देवता आदि शक्ति की आराधना करते हैं।आदि शक्ति देवी प्रसन्न होकर काली रूप धारण कर रक्तबीज नामक दैत्यों का संहार करती हैं, तथा मां दुर्गा रूप में महिषासुर का वध करती हैं। दोनों राक्षसों का वध होने ही देवता आकाश से फूलों की बारिश करते हैं। इस दौरान उपस्थित लोगों के जयकारे से पूरा पांडाल भक्तिमय हो गया। इससे पूर्व आयोजक डा विजय नारायण सिंह उर्फ गोपाल जी ने मां आदि शक्ति का आरती पूजन किया। राजेश सिंह,प्रदीप मिश्रा, सुनील राय, अर्जुन गोपालन, राहुल सिंह बघेल, डा अच्युतानंद चौबे, डा केएम सिंह, आदित्य नारायण, आनंद विजय सिंह आदि मौजूद रहें।