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संपूर्ण भारत में रामनगर (वाराणसी) की राम लीला के बाद है रसड़ा की रामलीला का दूसरा स्थान,वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में भी है दर्ज





14 अक्टूबर से शुरू हो रही रसड़ा की रामलीला

अखिलेश सैनी 

रसड़ा (बलिया)।। वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी रसड़ा की एेतिहासिक रामलीला की तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच की हैं। जीवंतता ही रसड़ा रामलीला को एेतिहासिक बनाती है। रामलीला मैदान में अध्योध्या, अशोक वाटिका, लंका आदि की रंगाई-पुताई का कार्य अंतिम दौर में चल रहा है। इस बार मेले में मौत का कुआं, जादूगर, विष कन्या, बड़ी चर्खियां आदि आकर्षण का केंद्र बिंदु होंगी। 14 अक्टूबर से से शुरू होकर सात नवम्बर तक चलने वाली इस रामलीला को सफल बनाने के लिए मेला कमेटी के अध्यक्ष जयप्रकाश के नेतृत्व में इस दिशा में दिन-रात एक कर दिया गया है।

बड़े बुजुर्गों के अनुसार वर्ष 1830 में नगर के बरनवाल जाति के पुरखा पुरंदर लाल ने सर्व प्रथम रामलीला का आयोजन किया था। बाद में चलकर इस रामलीला का नेतृत्व कलवार जाति के हाथों में आ गया। 1921 में नगर के निवासी सीताराम ने रामलीला की पूरी कमान अपने हाथों में ले ली और लगभग 25 वर्षों तक लगातार अपने प्रयास से रामलीला का आयोजन करते रहे। तत्पश्चात रामलीला कमेटियों के माध्यम से आज भी रामलीला का आयोजन प्रतिवर्ष होता आ रहा है।





 सीताराम के सहयोग से भैरो बाबा ने बड़े गोपनीय तरीका से रामलीला मैदान में एक सुरंग का निर्माण कराया। इस सुरंग का उपयोग सती सुलोचना प्रसंग में किया जाता है जो आज भी दर्शकों व मेलार्थियों के लिए कुछ समय के लिए रहस्य बन जाती है। विजय दशमी के दिन नगर में स्थापित 60 से अधिक दुर्गा प्रतिमाओ का जुलूस भी अपने विभिन्न कलाओ का प्रदर्शन करते हुए कलाकारों के साथ रामलीला मैदान में पहुंचता है। वैसे तो इस रामलीला की सभी कार्यक्रम लोगों को भाव-विह्वल कर देते हैं किंतु रामलीला में पात्रों द्वारा की गई लीलाओ को अपने अभिनय द्वारा  जीवंत बनाना इसे ऐतिहासिक बनाता है।

 वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में है शामिल 

रसड़ा (बलिया) : वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी रसड़ा की ऐतिहासिक रामलीला की तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच की हैं। जीवंतता ही रसड़ा रामलीला को ऐतिहासिक बनाती है। रामलीला मैदान में अध्योध्या, अशोक वाटिका, लंका आदि की रंगाई-पुताई का कार्य अंतिम दौर में चल रहा है। इस बार मेले में मौत का कुआं, जादूगर, विष कन्या, बड़ी चर्खियां आदि आकर्षण का केंद्र बिंदु होंगी। 14 अक्टूबर से से शुरू होकर सात नवम्बर तक चलने वाले इस रामलीला को सफल बनाने के लिए मेला कमेटी के अध्यक्ष जयप्रकाश के नेतृत्व में इस दिशा में दिन-रात एक कर दिया गया है।