केकई द्वारा राजा दशरथ से राम के लिये चौदह वर्ष का वनवास मांगना, राम का वन गमन, दशरथ मरण का कलाकारों ने किया जीवंत चित्रण, दर्शक हुए मंत्र मुग्ध
संतोष द्विवेदी
नगरा बलिया।।सार्वजनिक रामलीला समिति द्वारा जनता इंटर कॉलेज के प्रांगण में आयोजित ऐतिहासिक रामलीला में कलाकारो ने कैकेई द्वारा राजा दशरथ से वरदान मांगने, राम वन गमन लीला का सजीव मंचन किया। राम वन गमन को देख दर्शक भावुक हो गए। लीला का शुभारंभ बसपा विधान मंडल दल के नेता व रसड़ा क्षेत्र के विधायक उमाशंकर सिंह ने भगवान की आरती पूजन कर किया।
कलाकारो द्वारा मंचित लीला के अनुसार राजा दशरथ, गुरु वशिष्ठ के परामर्श पर राम को राजा बनाने की घोषणा करते हैं। इससे रानी कैकेयी की दासी मंथरा कुपित होकर रानी के कान भरती है। रानी उसकी बातों में आकर कोप भवन में जाती हैं, जहां राजा दशरथ को रानी अपने दो वचन याद दिलाती हैं और उसे मांगते हुए कहती हैं कि उनके पुत्र भरत को राज और राम को वनवास भेजा जाए। रानी की बात सुन महाराज दशरथ अचेत हो जाते हैं। होश में आने पर राम को संदेशा भिजवाते हैं। आने पर राम को वनवास की बात पता चलती है। पिता की आज्ञा पाकर राम लक्ष्मण व सीता वन पथ पर प्रस्थान करते हैं। वन पथ पर राम को जाता देख अयोध्या की प्रजा उनके साथ हो लेती है।रास्ते में वह प्रजा को बिना बताए प्रस्थान कर जाते हैं। राम के वनगमन के बाद राजा दशरथ प्राण का त्याग करते हैं। भरत को उनके ननिहाल से बुलाया जाता है। अयोध्या आने के उपरांत उन्हें घटना क्रम की जानकारी होती है, जिससे कुपित होकर भरत अपनी माता कैकेयी से नाराज होते हैं।
इधर पिता का कर्मकांड कर भरत राम को वन से लौटाने के लिये वन प्रस्थान करते हैं,जहां राम भरत का मिलन होता है। काफी मनाने के बाद जब राम नहीं मानते तब राम की चरण पादुका सिर पर रख कर भरत वापस अयोध्या पहुंचते हैं। इधर राम चित्रकूट से पंचवटी के लिये प्रस्थान करते हैं। राम वन गमन का मंचन देख दर्शको की आंखे भर आई। रसड़ा नगर पालिका के अध्यक्ष विनय शंकर जायसवाल, पूर्व प्रमुख निर्भय प्रकाश, भाजपा के जिला महामंत्री आलोक शुक्ला, राजेश गुप्ता, रामायण ठाकुर,डा शशि प्रकाश कुशवाहा,गणपति गोड, कृष्ण पाल यादव केपी,सुनील गुप्ता, हरेराम गुप्ता, राजू चौहान आदि मौजूद रहे। इस दौरान भारी भीड़ को देखते हुए थानाध्यक्ष अतुल कुमार मिश्र मय फोर्स चक्रमण करते रहें।