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उचेड़ा की मां चण्डी : दिन मे बदलती है तीन स्वरूप, भक्तो की करती है मनोकामनायें पूर्ण





ललन बागी

रसड़ा बलिया।।हिन्दू धर्म मे नवरात्रि का बडा महत्व है।एक वर्ष मे दो बार नवरात्रि का पर्व आता है। ग्रीष्म कालिक व शरदकालिक यानी अक्टूबर माह मे शारदीय नवरात्रि।दोनो नवरात्रि मे मां जगतजननी जगदम्बा की आराधना व उपासना करने से मां की कृपा प्राप्त होती है। शारदीय नवरात्रि मे आदि शक्ति जगत जननी मां जगदम्बा की आराधना उपासना व्रत रखने से मां की विशेष कृपा होती है।रसडा में जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी दूर उचेड़ा गांव में आदि शक्ति चंडी देवी का प्राचीन मंदिर है। मान्यता है कि आदिशक्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती हैं। सुबह में बालिका, दोपहर में महिला तथा शाम को वृद्ध के रूप धारण कर लेती हैं। मान्यता है कि रसड़ा क्षेत्र के गोपालपुर निवासी ब्रह्मानंद चौबे माह के प्रत्येक पूर्णिमा को सदियों पूर्व गांव से विंध्याचल, मां का दर्शन करने पैदल जाया करते थे।





वृद्धावस्था में उन्‍होंंने कहा कि मां शारीरिक रूप से अक्षम हो गया हूं। अब आपका दर्शन कैसे करूंगा। जब वह घर पर सोए हुए थे तो मां विन्ध्यवासिनी ने सपने में दर्शन दिया और कहा कि मैं बगल के गांव उचेड़ा में जमीन फाड़कर प्रकट होऊँगी । सपने के कुछ ही दिन बाद आदिशक्ति मां चंडी देवी के रूप में भगवान भोलेनाथ के साथ जमीन से प्रकट हुईं।

इसके बाद चौबे ने चंडी देवी और भोलेनाथ का पूजा करना आरंभ कर दिया। इसके बाद से क्षेत्र के लोग वहां पूजन-अर्चन कर परिवार के सुख-समृद्धि के लिए मन्नतें मांगते हैं। जिन्हें मां सहर्ष पूर्ण करती है इसी क्रम मे नीबू कबीरपुर गांव मे सिद्धिदात्री आदि शक्ति मा दुर्गा का अष्टम रूप मां काली का मंदिर है। कहा जाता है कि इस गांव में आदि काल मे प्रलय के बाद लोक मंगल के लिए मां प्रकट हुई। जहां मां प्रकट हुई वहां गांव का वीरान जंगल था, जिसे लोग पिंडी के रूप मे मूर्ति देख मंदिर का निर्माण कराया था और मां का पूजा करने लगे। लोग मां से विनती कर मन्नते मानते थे, मां उनकी सभी मनोकामना पूर्ण करती है।जिसे लोग मां को इच्छापूर्णी देवी कहते है। गांव के बुजुर्ग बताते है कि मंदिर निर्माण स्थापना गांव के शाहू वैश्य  अधिवक्ता वी पी गुप्ता  के पिताश्री ने करा के उपासना पूजन अर्चन शुरू किया था।