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बहु धनुहि तोड़ी लरिकाई......, रामलीला में परशुराम लक्षमण संवाद देख दर्शक हुए रोमांचित






संतोष कुमार द्विवेदी 

नगरा, बलिया।। सार्वजनिक रामलीला समिति द्वारा जनता इंटर कॉलेज के प्रांगण में आयोजित ऐतिहासिक रामलीला के सातवें दिन शनिवार को वृंदावन से आए कलाकारो ने परशुराम लक्ष्मण संवाद तथा राम सीता विवाह का सजीव चित्रण कर उपस्थित दर्शको का मन मोह लिया। लीला दर्शन करने के लिए सैंकड़ों की सख्या में आए दर्शको को देख आयोजन समिति भी गदगद दिखी।





                      कलाकारो द्वारा मंचित लीला के अनुसार  सीता स्वयंवर में शिव धनुष टूटने की आवाज पर महेंद्रगिरी पर्वत पर समाधि में लीन भगवान परशुराम जी जनकपुर में प्रकट हो जाते हैं। वे शिव जी का टूटा धनुष देखकर भगवान परशुराम क्रोधित हो गए और बोले जिसने शिवजी का धनुष तोड़ा है। वह सहस्त्रबाहु के समान मेरा शत्रु है। इसलिए वह समाज से अलग हो जाए। वरना सभी राजा मारे जाएंगे। परशुरामजी के बचन सुनकर लक्ष्मण जी मुस्कुरा कर कर बोले कि बहु धनुहि तोड़ी लरिकाई, कबहु न असी ऋषि किन्ह गोसाई।बचपन मे हमने बहुत से धनुही तोड़ी है। तब आप इतना क्रोधित नही हुए। आखिर इस धनुष पर इतनी ममता क्यों है। इसके बाद श्री राम खड़े हुए। श्री राम ने कहा कि हे भृगुकुल शिरोमणि आप बालक पर क्रोध न करें। मैं आपका अपराधी हूं। मुझे जो भी दंड देना हो वह दीजिए। आप हर तरह हमसे बड़े है। परशु सहित बड़ नाम तुम्हारा,आपका नाम भी हमारे नाम से बड़ा परशुराम है। जबकि हमारा नाम छोटा सा राम है। इस पर परशुराम जी संशय दूर करने के लिए अपना धनुष देते हुए कहते है कि राम रमापति करधनु लेहु, खैंचहु मोर मिटै संदेहू। श्री राम परशुराम से धनुष लेकर उसपर पर प्रत्यंचा चढ़ा देते है। तब परशुराम को विश्वास हो जाता है कि भगवान विष्णु राम रूप में पृथ्वी पर जन्म ले चुके हैं। वे राम लक्ष्मण से अपने गलतियों की क्षमा मांगने के बाद चले जाते है। इसके बाद धूम धाम से श्रीराम सीता सहित चारो भाईयो का विवाह संपन्न हुआ।