ब्रांकीयोलाइटिस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं शिशु,सांस लेने में तकलीफ, बुखार एवं चिड़चिड़ापन है प्रमुख लक्षण: डॉ सिद्धार्थ
"श्वासनलिकाशोथ" के नाम से भी जाना जाता है ब्रांकिओल्स (फेफड़ों के सबसे छोटे वायु मार्ग) का संक्रमण
ठंड के मौसम में 2 माह से 2 साल तक के शिशु ज्यादा होते हैं प्रभावित
बलिया।। ठंड का मौसम शुरू होने और बढते प्रदूषण का दंश शिशुओं को भी झेलना पड़ रहा है। 2 माह से 2 वर्ष तक के शिशु धूंध व प्रदूषण के कारण ब्रांकिओलाइटिस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। यह जानकारी जिला महिला अस्पताल स्थित प्रश्वोत्तर केंद्र पर तैनात वरिष्ठ नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सिद्धार्थ मणि दुबे ने दी। डॉ दुबे बताया कि वर्तमान में कई शिशु सांस लेने में तकलीफ, बुखार,उल्टी व चिड़चिड़ापन की समस्या लेकर ओपीडी में प्रतिदिन आ रहे हैं। इस समय शिशुओं को ठंड,धुंध व प्रदूषण से बचने की आवश्यकता है।
श्वासनलिकाशोथ एवं लक्षण
फेफड़ों के सबसे छोटे वायु मार्ग (ब्रोंकिओल्स) में संक्रमण को ब्रांकिओलाईटिस कहते हैं।
बच्चों में सबसे आम कारण रेस्पिरेट्री सिंशियल वायरस जो की एक वायु जनित विषाणु है।
ब्रांकिओल्स में संक्रमण से सूजन और फ्लेम (म्यूकस) भर जाता है, जिससे वायु मार्ग बाधित होता है और शिशु को सांस लेने में कठिनाई होती है।
सर्दी/जुकाम, बुखार, सांस लेने में तकलीफ/तेज रफ्तार, खांसी चिड़चिड़ापन और दूध पीने में कमी आदि प्रमुख लक्षण है। कई बार बच्चे निर्जलीकरण का भी शिकार हो जाते हैं।
डॉक्टर दुबे बताते हैं कि शिशु में ऐसे किसी भी लक्षण के दिखने पर अभिभावक चिकित्सक के सलाह से ही इलाज कराएं। 6 माह से कम बच्चों को माताएं अधिकाधिक सिर्फ स्तनपान कराएं एवं 6 माह से बड़े बच्चों को तरल पेय पदार्थ जैसे ओआरएस का घोल,चावल का माढ, मूंग की दाल आदि निरंतर अंतराल पर पिलाते रहें ताकि बच्चे का निर्जलीकरण ना हो।