ज़ब बर्फ घमंड की पिघल कर बह जाएगी,तब मानवता स्वयं हृदय में टिक जाएगी
डॉ भगवान प्रसाद उपाध्याय
प्रयागराज।।
जब घमण्ड की बर्फ पिघल कर बह जाएगी,
तब मानवता स्वयं हृदय में टिक जाएगी।
छंट जाएंगे सभी कलह के सघन कुहासे ,
अपनत्व भरे आनंद नेह के बादल बरसे,
आओ सब मिल जुल कर मद को त्यागें ,
विश्वबंधु का भाव सहेजें हम सब जागें,
नये भोर की नई किरण भी खुशबू ले आएगी,
जब घमण्ड की बर्फ पिघल कर बह जाएगी।
करके नूतन निर्माण सभी को सुखी बनाएं ,
हर घर में सुख का दीप जले दीपावली मनाएं,
रहे न कोई त्रस्त और पीड़ित हो ऐसी खुशहाली ,
वैभव के हों सुमन सुवासित हो छटा निराली,
देश - प्रेम का रंग साथ ले होली भी आएगी,
जब घमण्ड की बर्फ पिघल कर बह जाएगी।
ईर्ष्या जब तक घनीभूत हो तुम्हें जलाती है,
तब तक तेरे सभी प्रगति पथ बन्द कराती है,
सरसों सम दोष दूसरे का ही सदा दिखाती ,
बेल सदृश जो दोष तुम्हारे हैं खूब छिपाती,
बन्द तुम्हारे मन की आंखें तब खुल पाएगी,
जब घमण्ड की बर्फ पिघल कर बह जाएगी।
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