एक ऐसी सीएचसी जो खुद ही वर्षो से है बीमार, मरीज बलिया या मऊ जाने क़ो है लाचार,कब टूटेगी सीएमओ की तंद्रा
ललन बागी
रसड़ा (बलिया)।। रसड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र विभागीय उच्चाधिकारियों की लापरवाही, राजनीतिक उदासीनता,जनप्रतिनिधियो के निष्क्रियता के चलते, मुख्य चिकित्सकों की कमी एवं आधुनिक चिकित्सा व्यवस्था के अभाव के चलते यह अस्पताल वर्षों से रेफरल अस्पताल बनकर रह गया है। प्रतिदिन इस अस्पताल में सैकड़ों मरीज तो आ रहे हैं किंतु समुचित उपचार नहीं मिलने से उन्हें दर-दर भटकने को विवश होना पड़ रहा है। यह विभागीय कार्यशैली का आलम यह है कि जहां दो वर्ष से बाल रोग रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं किए जाने से यहां बच्चों का उपचार पूर्ण रूपेण बाधित होकर रह गया है। वहीं समय से बच्चों का इलाज नहीं मिलने से अब तक काफी संख्या में बच्चे कालकवलित हो चुके हैं।
वहीं हड्डी रोग विशेषज्ञ, नाक, कान, गला, आंख विशेषज्ञ, जनरल सर्जन व फिजिशियन की तैनाती नहीं होने से इस अस्पताल से मरीजों का मोह भंग होकर रह गया है। 30 बेड वाले इस अस्पताल की हालत यह है कि एक्सरे सहित अन्य जांच मशीनें या तो बहुत पुरानी हो चुकी हैं या तो जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की जा रही है। सबसे दयनीय स्थिति गंभीर मरीजों को लेकर यहां पर है। खास तौर से सड़क दुर्घटनाओ में घायल मरीजों को सुविधाओ व चिकित्सकों के अभाव में इलाज करने के बजाय तत्काल रेफर के कागज तैयार कर दिए जाते हैं। नतीजन अक्सर मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। दवाओ के नाम यहां अक्सर महत्वपूर्ण दवाओ का अभाव ही बना रहता है वहीं प्रसव कक्ष में विशेष साफ-सफाई व आवश्यक दवाओं के हमेशा नहीं रहने से तथा महिला चिकित्सक की हमेशा उपलब्धता नहीं होने से भी प्रसुता महिलाएं व उनके स्वजन यहां आने से कतरताते हैं और मजबूरी में अन्यत्र चले जाते है। प्रसव केस मे नगर मे अवैध चल रहे प्राइवेट जच्चा बच्चा नीम हकीम खतरे जान नर्सिंग होम मे चले जाते है, जहां रामभरोसे हो प्रसव सफल होता है या प्रसूता या बच्चा या दोनों के जीवन से हाथ धोना पड़ता है।इस संबंध मे नगर सहित क्षेत्र के लोगो के आलावा व्यापारी संगडन के तथा समाज सेवी वर्ग के लोगो ने आग्रह करते हुए व्यवस्था की मांग किया है।